अलसी Alsi बहुत लाभदायक होती है। अलसी के बीज Alsi ke beej पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। दुनिया भर में इसके गुणों को समझकर इसे अपनाया जा रहा है। आइये जानें अलसी में ऐसा क्या है।
अलसी के बहुत से उपयोग हैं। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है जो खाना बनाने में तथा दवा बनाने में काम आता है। साथ ही यह तेल पेंट , वार्निश , प्रिंटिंग की स्याही Ink , साबुन आदि बनाने के लिए भी काम में लिया जाता है।
तेल निकालने के बाद बची हुई खली पशुओं को खिलाई जाती है जिसे वे बड़े चाव से खाते हैं। इसे खाने से पशुओं में दूध और माँस की गुणवत्ता में बहुत सुधार होता है।
अलसी के बीज और पौधा दोनों व्यावसायिक महत्त्व रखते हैं। पौधे में शानदार रेशा होता है जिसे ” सन ” के नाम से जाना जाता है जिसे कपड़े, रस्सी आदि बनाने में काम लिया जाता है।
अंग्रेजी भाषा में यह रेशा ” लिनन Linen” कहलाता है। आजकल उच्च तकनीक से बने लिनन के कपड़े कॉटन की तरह आरामदायक होते हैं जो काफी चलन में हैं।
अंग्रेजी भाषा में इसका पौधा फ्लेक्स Flax और इसके बीज फ्लेक्स सीड्स Flaxseeds या लिनसीड linseed कहलाते है।
अलसी को मराठी में जवास Javas या अतासी Atasi व बीज को जवसाच्या बिया javsachya biya , गुजराती भाषा में अड़सी adsi , बंगाली में तीसी Tisi , कन्नड़ में अगासी Agasi , तेलगु में अविसेलु Aviselu आदि नामों से जाना जाता है।
दुनिया में अलसी Flaxseeds का सबसे अधिक उत्पादन कनाडा में होता है। भारत चौथे नंबर पर आता है। भारत में अलसी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है। छत्तीसगढ़ , उत्तरप्रदेश , महाराष्ट्र और बिहार में भी अलसी का उत्पादन होता है।
अलसी बीज के पोषक तत्व
Flaxseed / Linseed Nutrients
अलसी के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं । इसमें पाए जाने वाले फाइबर , एंटीऑक्सीडेंट , और ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण यह एक अलग ही स्थान प्राप्त कर चूका है। दुनिया भर में इसके गुणों को परखकर इसे अपनाया जा रहा है।
अलसी में प्रोटीन , विटामिन , खनिज , फाइबर , ओमेगा 3 फैटी एसिड , ओमेगा 6 फैटी एसिड तथा एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।
अलसी के बीज में लिगनन नामक तत्व बहुतायत में होता है। यह पेड़ पौधों में पाया जाने वाला पोलीफेनोल एंटीऑक्सीडेंट है जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह तत्व शरीर में हानिकारक फ्री रेडिकल को नष्ट करके कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है।
अलसी के बीजों Flaxseeds में थायमिन , विटामिन बी 6 , फोलेट , नियासिन , राइबोफ्लेविन , विटामिन K , पैण्टोथेनिक एसिड जैसे विटामिन होते हैं तथा मैंगनीज , फास्फोरस , मैग्नीशियम , कॉपर , सेलेनियम , आयरन , जिंक , तथा कैल्शियम जैसे खनिजों का यह बहुत अच्छा स्रोत है। ये सभी शरीर के लिए जरुरी और लाभदायक तत्व हैं ।
अलसी बीज के फायदे – Flaxseed / Linseed benefits
पाचन क्रिया – Digestion
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पाचन क्रिया अच्छी होना बहुत जरुरी होता है और पाचन क्रिया फाइबर यानि रेशे युक्त आहार से सुधरती है। फाइबर आँतों की सफाई करके पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाते हैं साथ ही कब्ज जैसी परेशानी दूर करके सैंकड़ों तरह की बीमारियाँ दूर रखते हैं।
अलसी के बीज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं जो अपना काम दक्षता से करके पाचन क्रिया को लाभ पहुंचाते हैं। अलसी में पाया जाने वाला पर्याप्त मैग्नीशियम , इस कार्य को अच्छे से करने में सहायक होता है।
हृदय – Heart
अलसी में पाए जाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता है। बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर हृदय रोग का कारण बन सकता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड धमनियों को लचीला बनाये रखने में सहायक होता है। यह नसों में कोलेस्ट्रॉल जमने से बचाता है तथा हृदय की धड़कन नियमित करने में मदद करता है।
अलसी के बीज नियमित खाने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड , घुलनशील फाइबर तथा लिगनन के सामूहिक प्रभाव के कारण हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और हृदय रोग से बचाव होता है।
डायबिटीज – Diabetes
रिसर्च के अनुसार लिगनन युक्त आहार के नियमित सेवन से इन्सुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है जिसके कारण रक्त में शक्कर की मात्रा सही रहती है और डायबिटीज जैसी परेशानी से बचाव होता है। डायबिटीज होने पर भी अलसी खाने से लाभ मिल सकता है पर इसे डॉक्टर की सलाह के बाद ही शुरू करना चाहिए।
मेनोपॉज – Menopause
नियमित अलसी खाने से मेनोपॉज के समय महिलाओं को होने वाले हॉट फ़्लैश में कमी आती है। यह मेनोपॉज से पहले तथा बाद में होने वाले दुष्प्रभाव को कम करती है। अलसी में पाए जाने वाले लिगनन में एस्ट्रोजन हार्मोन जैसे गुण पाए जाते हैं। मेनोपॉज होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी का बैलेंस कुछ हद तक अलसी से ठीक हो सकता है।
अलसी के उपयोग से मेनोपॉज के बाद होने वाला ओस्टियो पोरोसिस का खतरा भी कम हो सकता है। इसके अलावा माहवारी चक्र को नियमित करने में भी यह सहायक सिद्ध हो सकती है।
त्वचा – Skin
अलसी का उपयोग त्वचा के लिए लाभदायक होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा की कोशिकाओं Skin Cells के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाला लिगनन त्वचा की परेशानियों से बचाता है। यह त्वचा में DHT को कम करके उसे चमकदार बनाता है।
अलसी के नियमित उपयोग से स्किन रेशेज , जलन , मुँहासे , फोड़े फुंसी , स्किन की बीमारियाँ आदि होने की संभावना कम हो जाती है।
अलसी के बीज का नियमित उपयोग करने से त्वचा के प्राकृतिक तेल सुचारु रूप से बनते रहते हैं जिसके कारण त्वचा कोमल और जवां बनी रहती है। इसके अलावा रूखेपन के कारण होने वाली समस्याएँ जैसे एग्जीमा , सोरायसिस तथा झुर्रियाँ आदि से बचाव होता है। अलसी के तेल की मालिश भी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
धूप की किरणों में मौजूद रेडिएशन के प्रभाव अलसी खाने से कम हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल को नष्ट करके त्वचा को कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में सहायक होते है।
बाल – Hair
अलसी के बीजों में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन , कैल्शियम , ज़िंक , मैग्नीशियम , आयरन और ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि। बालों के स्वास्थ्य के लिए ये सभी जरुरी होते हैं। अतः अलसी के उपयोग से बाल घने , मजबूत और रेशमी बनते हैं। इससे दोमुहे बालों की समस्या , सिर में रुसी या अन्य परेशानी कम होती है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी से बाल रूखे और बेजान हो जाते है जो अलसी के उपयोग से पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है। अलसी में पाए जाने वाले ALA ( Alfa linolenic acid ) के कारण बाल गिरना कम होता है तथा नए बाल उगने में मदद मिलती है। इस तरह गंजापन मिट सकता है।
कैंसर से बचाव – Cancer
अलसी में पाये जाने वाले लिगनन Lignan एंटीऑक्सीडेंट कैंसर और हृदय रोग से बचाते हैं। यह स्तन कैंसर , प्रोस्टेट कैंसर और आँतों के कैंसर का खतरा कम करते हैं। लिगनन उम्र तथा हार्मोन के बदलाव के कारण होने वाले प्रभाव को कम कर सकते हैं तथा ये कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्निर्माण में सहायक होते हैं।
गलत आदतों और दिनचर्या के कारण होने वाले शारीरिक नुकसान की पूर्ती भी लिगनन जैसे एंटीऑक्सीडेंट से हो सकती है जो कि अलसी में अच्छी मात्रा में होते हैं।
अलसी का उपयोग कब नहीं करना चाहिए
Flaxseeds side effects / नुकसान
— अलसी में पेट साफ करने की प्रकृति होती है। इरिटेबल बॉउल सिंड्रोम (IBS ) की समस्या से ग्रस्त लोगों को सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए।
— खून को पतला करने की , कोलेस्ट्रॉल कम करने की या डायबिटीज की दवा ले रहे हों तो अलसी डाक्टर की सलाह के बाद ही लें।
— कच्ची अलसी में सूक्ष्म मात्रा में विषैला तत्व हो सकता है अतः अधपकी अलसी काम में ना लें।
— अलसी का उपयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए अन्यथा नुकसान हो सकता है।
— गर्भावस्था में अलसी नुकसान करती है अतः नहीं खानी चाहिये।
— अलसी का उपयोग कर रहे हो तो पानी खूब पीना चाहिए। क्योंकि यह पानी सोखती है।
— किसी को अलसी खाने से एलर्जी जैसे स्किन में रेशेज , खुजली या साँस लेने में तकलीफ आदि हो तो अलसी नहीं लेनी चाहिये।
— किसी भी प्रकार का रक्तस्राव की समस्या से ग्रस्त हों तो अलसी का उपयोग ना करें।
— एसिडिटी होती हो तो अलसी ना खायें। इसमें मौजूद रेशे पचने में भारी होते हैं और एसिडिटी बढ़ा सकते हैं।
अलसी को कैसे रखें – How to store
अलसी को साबुत अवस्था में एयर टाइट कंटेनर में किसी ठंडी और सूखी जगह रखने से ये साल भर तक ख़राब नहीं होती। इसे पीस कर नहीं रखना चाहिए वर्ना स्वाद ख़राब हो सकता है। अलसी को ताजा पीस कर उपयोग करना चाहिए।
अलसी को पीस कर उपयोग करने से इसके पूरे फायदे मिलते हैं। इसे ग्राइंडर या मिक्सी में आसानी से पीसा जा सकता है। पिसी हुई अलसी बच जाये तो एक दो दिन फ्रिज में रख सकते हैं।
अलसी कैसे खायें – How to eat flaxseeds
अलसी को अंकुरित करके खाना सबसे अच्छा है। इसे दस मिनट गर्म पानी में फिर दो घंटे सादा पानी में डालकर भिगो देना चाहिए। भीगने पर इसे अंकुरित करने के लिए कपडे में बांध दें या स्प्राउट मेकर में रख दें। अंकुरित होने पर खाएं या किसी डिश में डालें।
इसे साबुत खाने से पच नहीं पाती और इसके पोषक तत्व नहीं मिल पाते अतः इसे पीस कर खाना ठीक रहता है। अलसी का पाउडर बना कर किसी भी डिश में डालकर इसका उपयोग किया जा सकता है। इसे खाते समय ही तुरंत पीसना चाहिए अन्यथा स्वाद ख़राब हो सकता है।
शुरू में कम मात्रा में लेनी चाहिए। यदि सूट करे तो प्रतिदिन दो चम्मच तक ली जा सकती है। इससे इसके पूरे फायदे मिल जाते हैं।
क्लिक करके जानें इनके फायदे नुकसान :
इमली / खीरा ककड़ी / पालक / हरी मिर्च / प्याज / करेला / तुरई / भिंडी / चुकंदर / गाजर / मटर / लौकी / मूली / अदरक / आलू / नींबू / टमाटर / आंवला / मशरूम / फूल गोभी / पत्ता गोभी / शकरकंद