ऋतुचर्या के अनुसार खाना व लाइफ स्टाइल में बदलाव – Weather Change Effects

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ऋतुचर्या Ritucharya अर्थात ऋतु के अनुसार खाने पीने और रहन सहन में बदलाव लाना। बसंत , ग्रीष्म , वर्षा , शरद , हेमंत आदि ऋतुओं का शरीर पर अलग असर होता है और उसी के अनुसार बदलाव कर लेने चाहिए।

हमारा शरीर मौसम के हिसाब से ढल जाता है किन्तु ढ़लने के प्रयास में कुछ कमजोर भी पड़ जाता है। मौसम बदलते समय कुछ संभावित परेशानियां हो सकती है। ये weather change effects  के कारण होता है।

यदि हम खान पान , पहनावे व दिनचर्या में मौसम के हिसाब से बदलाव कर दें तो मौसम के बदलने से होने वाले रोगों से लड़ने में शरीर का साथ दे सकते है। ये घरेलू नुस्खे का ही हिस्सा है।

नीचे बताये गए तरीके के अनुसार हितकारी और अहितकारी वस्तुओं का ध्यान रखने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहती है। इस तरह बीमार होने की संभावना कम की जा सकती है।

ऋतु और महीने के अनुसार जिस परेशानी के होने की सम्भावना होती है और जो बदलाव किये जाने चाहिए वो बताये गए है। अहितकारी वो है जो नुकसान देह होते है इन्हें Avoid करना चाहिए। हितकारी वो है जो फायदेमंद है ,इन्हें अपनाया जाना चाहिए। 

बसन्त ऋतु  :  April – May

बसंत

—  सम्भावना : बैचेनी , भारीपन , पेट में दर्द , अरुचि , भूख न लगना , बुखार , खांसी , बदन में दर्द आदि।

—  अहितकारी  : नया अनाज , दही , उड़द , आलू , प्याज , गन्ना , नया गुड़ , भैंस का दूध , सिंघाड़ा , ठंडे व चिकनाई वाले भारी आहार।

—  हितकारी  : पुराना गेंहू , जौ , बाजरा , मक्का , ज्वार आदि धान। मूंग ,मसूर , अरहर , चने की दाल। बथुआ , चौलाई , लौकी ,परवल , मेथी ,पालक , अदरक ,  धनिया आदि । सुबह जल्दी उठकर सैर , योगासन। शहद के साथ हरड का  सेवन। व्यायाम , उबटन आदि।

ग्रीष्म ऋतु  :  June – July

grishm

—  सम्भावना : लू लगना , नकसीर , लीवर के रोग  पीलिया , उल्टी , दस्त , बुखार , कमजोरी आदि।

—  अहितकारी : गरम , तीखा , ज्यादा नमक वाला तला हुआ भोजन। मैदा या बेसन से बना या पचने में भारी भोजन । धूप में घूमना , अधिक शारीरिक श्रम , रेशमी कपड़े , प्यास रोकना आदि

—  हितकारी  : हल्के , मीठे चिकनाई वाले पदार्थ। चावल , जौ , मूंग , मसूर , दूध ,शर्बत , दही की लस्सी , छाछ  ,सत्तू , फलों का रस। जल जीरातरबूज , खरबूजा , गन्ना , नारियल पानी , शिकंजी , संतरा , अनार

ठन्डे पानी से नहाना , बार बार पानी पीना ,दिन में कुछ देर सोना आदि।

वर्षा ऋतु  :  August – September

varsha ritu

—  सम्भावना : फोड़े फुंसी , मलेरिया , डेंगू बुखार  , टाइफाइड , जोड़ों में दर्द  , सूजन , खुजली , आई फ्लू आदि।

—  अहितकारी : चावल , आलू , अरबी , भिन्डी और पचने में भारी खाना , बासी खाना , दही , ज्यादा पेय पदार्थ , मछली आदि। दिन में सोना , खुले में सोना , अधिक कसरत करना , शराब पीना। बारिश में अधिक भीगना।

—  हितकारी : घी , दूध , छाछ में बनाई गई  बाजरे की राबड़ी या मक्का की , पुराना अनाज गेहूं , जौ , चावल आदि ,सब्जी में लौकी ,तुरई ,परवल , मेथी  ,बैंगन ,कद्दू , करेला ,अदरक , लहसुन इत्यादि। तेल की मालिश व कीड़े , झींगुर और मच्छरो से बचाव।

शरद ऋतु  :  October – November

sharad ritu

—  सम्भावना : सिर दर्द , चक्कर , खट्टी डकार , एसिडिटी , त्वचा रोग , कब्ज , जुकाम , अफारा आदि।

—  अहितकारी : मैदे से बनी चीजें , गरम , तीखा , भारी , मसालेदार खाना तथा तली हुई चीजें। ज्यादा मात्रा में भुट्टे , मूंगफली , कच्ची ककड़ी , दही आदि। दिन में सोना , मुहँ ढ़ककर सोना।

—  हितकारी : घी , मुनक्का , बादाम , काजू , अखरोट ,अंजीर खजूर , सिंघाड़ा , नारियल , छिलके वाली दालें ,सुबह गुनगुने पानी के साथ नींबू का रस ,  सब्जियां , करेला , फलों का रस आदि। चन्दन पाउडर  या मुल्तानी मिट्टी का लेप। कसरत , तेल मालिश इत्यादि।

हेमन्त ऋतु  : December – January

hemant ritu

—  सम्भावना : पैर में बिवाई फटना , अस्थमा , लकवा , जुकाम , आदि।

—  अहितकारी : भूखा रहना , अधिक तरल भोजन , ठण्डा व वायु बढ़ाने वाली चीजें। दिन में सोना। तेज ठंडी हवा। गरम कपडे नहीं पहनना।

—  हितकारी : घी , तेल  , उड़द , गोंद , मेथी के लड्डू , नया चावल , खीर आदि। तेल मालिश , उबटन , पैर के तलुओं की मालिश , गहरे रंग के कपड़े  पहनना , गुनगुने पानी से नहाना , ऊनी कपड़े पहनना।

इन्हें भी जानें और लाभ उठायें :

सफ़ेद मूसली / गर्भ निरोधक साधन के फायदे नुकसान / कब्ज के घरेलु नुस्खे / मानसिक तनाव / मसूड़ों से खून /यूरिन इन्फेक्शन डायबिटीज और इन्सुलिन / जोड़ों का दर्द /