एल्युमिनियम के बर्तन Aluminium ke bartan जैसे कढ़ाई, देगची, फ्राइंग पैन आदि और एल्युमिनियम फॉइल Aluminium foil का उपयोग लगभग सभी घरों में होता है। आइये जानें एल्युमिनियम फायदे नुकसान।
Aluminium वजन में हल्का होता है , तुरंत गर्म हो जाता है और सस्ता होता है। इन्ही गुणों के कारण इसका उपयोग रसोई में बहुतायत से होता है। विशेष कर प्रेशर कुकर दाल और सब्जी जल्दी बनाने के लिए काम में लिया जाता है।
एल्युमिनियम की पतली फॉइल का उपयोग भी खाना पैक करने और कुछ विशेष प्रकार के व्यंजन बनाने में होता है। एल्युमीनियम के बर्तन काम में लेने चाहिए या नहीं और क्या इनका उपयोग हानिकारक होता है, आइये जानें।
एल्युमिनियम धातु – Aluminium
Aluminium धरती पर ज्यादा मात्रा में पायी जाने वाली धातुओं में से एक है। पीने के पानी और खाने पीने की चीजें जैसे फल सब्जी आदि में थोड़ी बहुत एल्युमिनियम की मात्रा होती है , हवा में भी यह घुला होता है जो साँस के द्वारा शरीर में जाता है। लेकिन यह इतनी कम मात्रा होती है कि शरीर को नुकसान नहीं करती।
धरती पर पाए जाने वाले खनिज जैसे लोहा , तांबा , कैल्शियम आदि की शरीर को जरुरत होती है लेकिन एल्युमीनियम की जरुरत बिल्कुल नहीं होती। यह शरीर के लिए एक अनावश्यक पदार्थ है जो अंदर जाने पर विषैले तत्वों की तरह मल मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है।
अधिक मात्रा में Aluminium का शरीर में जाना नुकसान देह हो सकता है। जब भी एल्युमिनियम के बर्तन में या फॉइल में भोजन पकाया जाता है तो एल्युमिनियम की कुछ मात्रा उसमे घुल जाती है।
एल्युमिनियम के बर्तन या फॉइल में खाना ज्यादा देर तक रखने से भी उसमे एल्युमीनियम घुल सकता है। भोजन में इसकी कितनी मात्रा घुलती है यह इन पर निर्भर होता है –
कितनी तेज आँच पर खाना बनाया गया है – जितनी अधिक आंच होती है उतना ही ज्यादा भोजन में Aluminium घुलने की मात्रा बढ़ जाती है।
बर्तन या फॉइल में खाना कितनी देर तक रखा गया है – अधिक देर तक खाना इसमें रखने से मात्रा बढ़ती है। विशेषकर रस वाली सामग्री है तो ज्यादा Aluminium खाने में घुल सकता है।
खाने में खटाई यानि एसिड कितना है – धातुओं पर एसिड का असर ज्यादा होता है खट्टी चीजें जैसे टमाटर ,नींबू , अमचूर , सिरका , सॉस आदि भोजन में मिलाकर पकाये जा रहे है तो ऐसे भोजन में अधिक मात्रा में Aluminium घुल जाता है।
नमक और मसाले कौनसे और कितनी मात्रा में डाले गए हैं – नमक और कुछ मसाले भोजन में एल्युमिनियम मिल जाने की गति को बढ़ा सकते हैं। ऐसा भोजन करने से शरीर में अधिक मात्रा में Aluminium पहुंचता है।
एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पकाने के नुकसान
Aluminium ke bartan me khana banane ke nuksan hindi me
एक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार एल्युमीनियम के बर्तन में खाना बनाने से दिमाग की कार्यविधि पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
अधिकतर एल्युमिनियम के बर्तन बनाने के लिए कई प्रकार की फैक्टरी से निकले कबाड़ का उपयोग किया जाता है। इस कबाड़ में कैडमियम और लेड जैसी नुकसानदायक धातु भी हो सकती हैं। इन धातु का नियमित रूप से शरीर में जाने से दिमाग पर गहरा असर होता है।
एन आई की एक रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में अधिकतर एल्युमिनियम के बर्तनों में लेड कैडमियम और आर्सेनिक जैसे नुकसानदायक तत्व पाए गए हैं।
कैडमियम और लेड जैसी धातु गुर्दे और दिमाग को नुकसान पहुँचा सकती है। साथ ही दिल और दिमाग पर गहरा असर डाल सकती हैं। Aluminium की न्यून मात्रा को शरीर मल मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देता है। लेकिन अधिक मात्रा नुकसानदेह हो सकती है।
एल्युमिनियम की अधिकता से एल्जाइमर नामक बीमारी होने की संभावना बताई जाती है। इस बीमारी में मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान होता है जिसके कारण स्मरण शक्ति कम होना और दिमागी कार्यविधि में कमी आना हो सकता है। एल्जाइमर से ग्रस्त लोगों में अक्सर एल्युमिनियम की अधिकता पाई जाती है। इस पर अभी रिसर्च जारी है।
गुर्दे या किडनी की समस्या से ग्रस्त लोगों को सावधान रहना चाहिए। क्योंकि ऐसे में किडनी पर्याप्त मात्रा में Aluminium शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती और यह शरीर में इकठ्ठा होने लगता है। इससे हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं और दिमागी समस्या पैदा हो सकती है। खासकर बच्चों को इस तरह का असर अधिक होता है।
एल्युमिनियम अधिक मात्रा में शरीर में जाने से एसिडिटी , पेट में अल्सर , पाचन सम्बन्धी समस्या , पेट फूलना , त्वचा की परेशानी जैसे एक्जिमा , रुसी , आतों में सूजन आदि परेशानी हो सकती है।
अधिकतर किडनी के विशेषज्ञ ( नेफ्रोलॉजिस्ट ) एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पकाने या रखने से मना करते हैं।
एल्युमिनियम से बचने के लिए क्या करें
Aluminium ka nuksan kaise roke
— जहाँ तक संभव हो एल्युमिनियम के बर्तन में खाना ना पकायें।
— यदि Aluminium के बर्तन में खाना बना रहे हों तो धीमी आँच पर ही पकायें।
— एल्युमिनियम के बर्तनों में खटाई युक्त भोजन बिलकुल न पकायें।
— एल्युमिनियम के बर्तन में अधिक देर तक दाल , सब्जी आदि ना रखे। कुकर में दाल या सब्जी पकाई हो तो इसे दूसरे बर्तन में जल्द खाली कर लें।
— एल्युमिनियम फॉइल में पैक करके खाना ना पकायें।
— डब्बा बंद भोजन में Aluminium तत्व मिले हो सकते हैं अतः नियमित इनका उपयोग ना करें।
— बाजार में मिलने वाली चीजें जो Aluminium के कंटेनर में पैक होती हैं उनमें इसकी मात्रा घुली हो सकती है। ऐसी चीजों का उपयोग कम करें।
— कुछ कम्पनियाँ कोल्ड ड्रिंक आदि एल्युमीनियम के केन में बेचती हैं। ऐसे पेय में एल्युमीनियम घुला हो सकता है। इनका उपयोग टालें।
— चाय , कॉफी आदि Aluminium के बर्तन में नहीं बनायें।
— ताजा निकला हुआ संतरे का जूस , पाइनेपल का जूस , अंगूर का जूस , मौसमी का जूस आदि लें। इससे शरीर से एल्युमिनियम बाहर निकलने में मदद मिलती है।
— एनोडाइज़ किये हुए एल्युमिनियम के बर्तन से नुकसान होने की संभावना कम होती है क्योंकि यह अधिक सख्त होता है और सफाई में भी आसान होता है। ऐसे बर्तन में पकाया भोजन में अपेक्षाकृत Aluminium कम घुलता है। इन्हे काम में लिया जा सकता है।
— एल्युमिनियम पर टेफ़लोन या नॉन स्टिक कोटिंग करके भोजन में घुलने से बचाया जाता है। हालाँकि इन पर खाना तेज आँच पर नहीं पकाना चाहिए अन्यथा ये भी नुकसान देह हो सकते हैं।
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