गणेश वंदना Ganesh Vandana शुभ कार्य से पहले की जाती है। गणेश वंदना के माध्यम से गणेश जी का ध्यान , स्मरण , जप और आराधना की जाती है। इससे विघ्नों का नाश होता है तथा कामनाओं की पूर्ती होती है।
गणेश जी को विघ्नहर्ता , और रिद्धि सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले तथा बुद्धि के देवता हैं। यहाँ गणेश वंदना दी गई हैं। इन्हे पढ़ें और लाभ उठायें।
गणेश वंदना
( 1 )
हम प्रथम मनावें आपको …..
विघ्न को हरने वाले , पूरण सब करने वाले
हम प्रथम मनावें आपको , हे मूषक वाहन वाले
विघ्न को हरने वाले , पूरण सब करने वाले
हे रिद्धि सिद्धि के दाता , हे सबके भाग्य विधाता
जो दर पे तेरे आता मनचाहा फल वो पाता
हे सब सुख देने वाले दुःखों को हरने वाले
हम प्रथम मनावें आपको , हे मूषक वाहन वाले
हे गौरी सुता के गणेश लाडले ,शंकर गोदी बिठाए
माता – पिता की करके प्रदक्षिणा ,प्रथम पूज्य कहलाएं
हे लम्बोदर ,गणनायक ,गणेशा हे एक दंत वाले
हम प्रथम मनावें आपको ,हे मूषक वाहन वाले
हो गयी सब कीर्तन की तैयारी अब बस तुमको आना है
आस पूरी अब कर आओ ,हे भक्तों के रखवाले
हम प्रथम मनावें आपको , हे मूषक वाहन वाले
————–
गणेश वंदना
( 2 )
हो देवा थाने मन से से ध्यावा जी….
( तर्ज : ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे…. )
हो देवा थाने मन से से ध्यावा जी ,
पूरन करियो काम चरन में , शीश नवाया जी
थारो लेकर आसरो जी , थासु अरज लगाई ,
टाबर थारा थारी शरण में , बेगा करो सुनाई
म्हे तो थारो ही ध्यान लगावा जी
पूरन करियो काम चरन में , शीश नवाया जी
हो देवा थाने मन से……
म्हे म्हारा मनड़ा री बाता , थाने ही सुनावा ,
छोड़ थारे चरना को आसरो , और कठे म्हे जावा
म्हे तो थासु ही आस लगावा जी
पूरन करियो काम चरन में , शीश नवाया जी
हो देवा थाने मन से……
थे हो म्हारे मन की ज्योति , थे घर का रखवाला ,
पित्तर जी थारी शक्ति , खोलो करम का ताला
थाने दिल का हाल सुनावा जी
पूरन करियो काम चरन में , शीश नवाया जी
हो देवा थाने मन से……
हो देवा थाने मन से से ध्यावा जी ,
पूरन करियो काम चरन में , शीश नवाया जी
—————
गणेश वंदना
( 3 )
गणपति को प्रथम मनाना है ….
गणपति को प्रथम मनाना है , उत्सव को सफल बनाना है ,
शिव पार्वती के प्यारे को , भगतों के बीच बुलाना है।
गणपति को प्रथम मनाने की , देवो ने रीत चलाई है ,
तीनो लोकों में छोटे बड़े , सब करते इनकी बढ़ाई है ,
जो काम सभी करते आये , हमको भी वही दोहराना है।
गणपति को प्रथम मनाना है……
कोई धृत सिन्दूर चढ़ाता है , कोई लडुवन का भोग लगाता है,
कोई मेवा थाल सजाता है ,कोई छप्पन भोग लगाता है ,
जिस भोग से खुश होते गणपति , हमको भी वही लगाना है।
गणपति को प्रथम मनाना है……
उत्सव में सभी पधारे हैं , बस इनका आना बाकी है ,
भक्त सभी मंगलाचार करे , इन्होने आने की हाँ की है ,
गणपति का नाच बड़ा प्यारा , उत्सव में आज नचाना है।
गणपति को प्रथम मनाना है……
गणपति को प्रथम मनाना है , उत्सव को सफल बनाना है ,
शिव पार्वती के प्यारे को , भगतों के बीच बुलाना है।
————-
गणेश वंदना
( 4 )
म्हारा गजानंद महाराज पधारो कीर्तन में
( तर्ज : मेरी लगी श्याम संग प्रीत…..)
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में…
थारो पहले ध्यान लगावा , पाछे दूजा देव मनावा ,
थे देवां में सरताज , पधारो कीर्तन में ,
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में।
विघ्न हर्ता नाम है थारो , म्हारा सगला कारज सारो ,
रिद्धि सिद्धि ने लेकर साथ , पधारो कीर्तन में ,
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में।
चाव चढ़्यो है भारी मन में , देर करो ना अब आवन में ,
थारी कद सू देखां बाट , पधारो कीर्तन में ,
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में।
कीर्तन को उत्सव है भारी , जीमे आयी दुनिया सारी ,
रख लो हमारी लाज , पधारो कीर्तन में ,
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में।
म्हारा गजानंद महाराज , पधारो कीर्तन में
माँ पार्वती के लाल , पधारो कीर्तन में।
———
इन्हे भी जानें और लाभ उठायें :
लक्ष्मी माता की आरती / शीतला माता की आरती / जय अम्बे गौरी…./ गणेश आरती / हनुमान आरती / हनुमान चालीसा / संतोषी माता की आरती / जय शिव ओमकारा…./ शिव चालीसा / श्रीरामजी की आरती / दुर्गा चालीसा /शनिवार की आरती / गुरु जी की आरती / अहोई माता की आरती / गणगौर के गीत