घर खर्च कम करने की कोशिश सभी की रहती है लेकिन यह बढ़ता ही चला जाता है। महंगाई जिस गति से बढ़ रही है उस गति से आय में बढ़ोतरी मुश्किल से हो रही है। इसलिए खर्चे कम करना जरुरी हो जाता है। कुछ खर्चे ऐसे होते है जिनमे कटौती नहीं की जा सकती लेकिन कुछ जगह सावधानी के साथ खर्चा करने से राहत मिल सकती है।
आइये जानें बिना परेशानी के , जरुरत वाले खर्चे करते हुए भी खर्चा कम करके पैसे कैसे बचाये जा सकते हैं।
घर खर्च बढ़ने के कारण
Reason of increased household expenses
रोजाना घर पर दो टाइम खाना बनने का खर्च अन्य खर्च की अपेक्षा लगभग नगण्य होता है। लेकिन अन्य खर्चे जिन्हे मीठे खर्चे भी कहा जाता है वे बहुत बढ़ गए है और उनमें बहुत सा पैसा खर्च हो जाता है। खर्चे बढ़ाने में जिन चीजों का योगदान है वो इस प्रकार हैं
— बच्चों की शिक्षा का खर्च बढ़ना
— स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चे बढ़ना
— पेट्रोल , डीज़ल महंगे होना
— महंगे मोबाईल का उपयोग
— ब्रांडेड कपड़े , जूते आदि का उपयोग
— बाहर होटल में खाने पीने के अधिक चलन
— बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में खरीददारी से अनावश्यक सामान खरीद लेना
— प्लास्टिक मनी यानि डेबिट और क्रेडिट कार्ड की सुविधा
— लक्ज़री लाइफ स्टाइल की आदत
— टीवी , इंटरनेट का सब्सक्रिप्शन
खर्चा कम कैसे करें – How to reduce expences
बच्चों के स्कूल का खर्चा – Children Education
बच्चों के स्कूल की फीस बहुत ज्यादा बढ़ गई है। विशेष कर प्राइवेट स्कूलों की फीस हर साल बढ़ जाती है। हर माता पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। साथ ही स्कूल ऐसा हो की जहाँ पढाई के अलावा दूसरी गतिविधि जैसे गेम्स , स्विमिंग आदि सुविधा भी हो।
ऐसे स्कूल की फीस अधिक होती है। अन्य गतिविधि का लाभ आप उठा पाते हैं या नहीं यह भी निश्चित नहीं होता। कभी घर से स्कूल की दूरी या कभी बच्चे की पसंद नापसंद के कारण उस सुविधा का लाभ नहीं ले पाते। घर से दूरी होने से आने जाने में बहुत सारा समय व्यर्थ चला जाता है।
स्कूल में टीचर्स बच्चे को अच्छे से पढ़ाते है लेकिन यदि आप खुद बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते तो बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं , चाहे कितना भी बड़ा स्कूल क्यों ना हो। फिर ट्यूशन लगानी पड़ती है जिसका खर्च अलग से होता है।
बड़े स्कूलों में अन्य कई प्रकार के खर्चे भी होते है। इसलिए दूसरे लोगों को देखकर बहुत बड़े स्कूल के बजाय अच्छी पढाई वाले स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराना चाहिए ताकि अनावश्यक खर्चा ना हो।
स्कूल घर से नजदीक हो तो बहुत सा समय बचता है जिसे अन्य गतिविधि के लिए या अतिरिक्त पढ़ाई के लिए काम लिया जा सकता है तथा आने जाने का खर्च भी बचता है। अतः बच्चे का स्कूल सोच समझ कर चुने।
मेडिकल खर्चे – Medical Expenses
स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चे बहुत ज्यादा होने लगे हैं। ये खर्चे आकस्मिक होते हैं। अतः इनके लिए अलग से बचत करके रखनी चाहिए। खान पान शुद्ध रखते हुए शारीरिक गतिविधि , एक्सरसाइज , योगासन , प्राणायाम आदि को दैनिक गतिविधि का हिस्सा बनाना चाहिए।
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इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमार होने से बचा जा सकता है। इसके अलावा मौसम सम्बन्धी सावधानी रखना , साफ सफाई का ध्यान रखना और मच्छर से बचाव करना अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकते है। इस तरह स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चों से बचाव हो सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस करवाना एक समझदारी भरा काम होता है क्योंकि इससे अधिक उम्र में स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चे का ज्यादा भार पड़ने से बचाव होता है। कम उम्र में पॉलिसी शुरू करवाने से सम अश्योर्ड की राशि बढ़ जाती है जो आगे चलकर फायदेमंद साबित होती है। हेल्थ इंश्योरेंस से सम्बंधित अन्य लाभदायक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
आजकल जेनेरिक दवाएँ बहुत कम कीमत पर उपलब्ध है। डॉक्टर से जेनेरिक दवा लिखने का अनुरोध किया जा सकता है।
अंग्रेजी दवा के अलावा होम्योपैथी से भी अच्छा इलाज संभव है जिसमे अधिक खर्चा नहीं होता है। कुछ बीमारियों में यह इलाज अंग्रेजी दवा से भी ज्यादा असरदार साबित होता है जैसे सर्दी जुकाम , वाइरल बुखार आदि में।
ट्रांसपोर्ट का खर्चा – Transportation
रोजाना ऑफिस या दुकान आने जाने के लिए खुद का वाहन काम लेने की अपेक्षा पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे बस , ट्रेन या मेट्रो आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। कार पूल की जा सकती है यानि आस पास के तीन चार व्यक्ति एक ही रास्ते की तरफ जाते हों तो कार शेयर की जा सकती है।
आजकल उबर जैसी टैक्सी सर्विस वाले भी पूल वाली टैक्सी उपलब्ध कराते हैं। इसका उपयोग करके आने जाने का खर्चा कम कर सकते हैं। इससे प्रदुषण कम करने में भी मदद होती है। आसपास एक या दो सदस्य के आने जाने के लिए स्कूटर या मोटर साइकल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत की जा सकती है। साईकल का उपयोग बढ़ाने का प्रयास पूरे विश्व में चल रहा है। इसे आप भी अपना सकते हैं।
टीवी , मोबाइल , इंटरनेट – TV , Mobile and internet
टीवी , मोबाइल और इंटरनेट आदि आज के वक्त की आवश्यकता है। इनका उपयोग जरूर करना चाहिए लेकिन समझदारी के साथ। इनके उपयोग से इनमे होने वाले खर्चे में कमी की जा सकती है। इंटरनेट का इस्तेमाल आप कितना करते हैं यानि आपके द्वारा कितने GB डाटा उपयोग किया जाता है उसी के अनुसार प्लान लेना चाहिए।
इसी तरह DTH में जितने चैनल आप देखते है उसके अनुसार की चैनल के पैक लेने चाहिए। अधिकतर स्पोर्ट्स वाले चैनल या रीजनल चैनल कुछ इंग्लिश चैनल कम ही देखने में आते है। संभव हो तो इन्हे हटवा देना चाहिए। हर चैनल का आपको पैसा देना पड़ता है चाहे आप देखते हैं या नहीं। इस तरह खर्चा कम कर सकते हैं।
मोबाइल का डाटा कब ख़त्म हो जाता है आपको पता भी नहीं चलता क्योंकि एप्स के अपडेशन चलते रहते हैं। अतः सेटिंग करके जरुरत वाले एप्स ही अपडेट करने चाहिए। मोबाइल पर वीडिओ देखने में अत्यधिक डाटा खर्च होता है , अतः इसका ध्यान रखना चाहिए।
किराने का सामान – Grocery
आजकल हर छोटे बड़े शहर में बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर होते हैं जहाँ सभी तरह का सामान हर वेरायटी में सजा हुआ दिखाई देता है। ऐसे में बिना जरुरत के भी सामान खरीदने में आ जाता है। इन स्टोर में जाने से पहले एक लिस्ट बना लें और जरुरत वाले लिस्ट के सामान ही खरीदें।
अधिकतर तेल , दाल या शक्कर लेने जाने पर बहुत से बिस्किट , चॉकलेट , कोल्ड ड्रिंक्स , चिप्स या नमकीन के पैकेट बिना जरुरत साथ आ ही जाते हैं। अतः सावधान रहें और इनसे बचें।
कपड़े व जूते चप्पल – Cloths and Footware
कपड़े और जूते जरुरत के हिसाब से ही खरीदें। बड़े स्टोर्स में कई प्रकार के महंगे ब्रांड के कपड़े और जूते सजे होते हैं। इन्हे देखकर ललचाने की बजाय आवश्यकता के अनुसार ही खरीदें।
छोटे बच्चों के जूते चप्पल और कपड़े आदि बहुत जल्दी छोटे हो जाते हैं फिर वे काम नहीं आते अतः इसका ध्यान रखकर ही बच्चों के लिए सामान खरीदना चाहिए।
लोग सिर्फ दिखावे के लिए ब्रांडेड सामान महंगा होने के बावजूद खरीद लेते हैं। इससे बचा जा सकता है। आजकल लगभग हमेशा सेल के बोर्ड लगे दिखाई दे जाते हैं। इनका फायदा उठाया जा सकता है।
डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड – Debit Card and Credit Card
प्लास्टिक मनि यानि डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते समय पता नहीं चलता और अधिक खर्चा करने में आ जाता है। अतः इनका इस्तेमाल बहुत ध्यान पूर्वक करना चाहिए। क्रेडिट कार्ड से लिमिट से ज्यादा खरीदारी करने पर आपको ब्याज भी देना पड़ता है।
बैंक के निर्देशों का ध्यान पूर्वक पालन करना चाहिए ताकि व्यर्थ के ब्याज पेनल्टी आदि से बचाव हो सके।
बिजली का बिल – Electricity Bill
बिजली का बिल आने पर पता चलता है कि कितनी फालतू बिजली जला रहे हैं। बिजली के बिल का खर्चा आसानी से कम किया जा सकता है, यदि आदत में थोड़ा सा सुधार कर लिया जाये।
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मनोरंजन – Entertainment
मनोरंजन के कई साधन हो सकते हैं। थियेटर में जाकर फिल्म देखना अब एक बहुत ज्यादा खर्चीला मनोरंजन बन चुका है। अतः बहुत ज्यादा अच्छी फिल्म हो तो ही उसे देखने थियेटर जाएँ अन्यथा नहीं। आजकल अच्छी फिल्मे भी जल्दी ही टीवी पर दिखाई दे जाती हैं।
थियेटर में फिल्म देखने से ज्यादा अच्छा मनोरंजन पार्क में परिवार के साथ घूमना , खेलना आदि हो सकते हैं। इससे आपसी सम्बन्ध भी मजबूत रहते हैं, और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
बाहर का खाना पीना – Outside Food and drink
होटल में खाना खाने के लिए एक समय मजबूरी में ही जाया जाता था लेकिन अब इसे मनोरंजन का और बाहर घूमने फिरने का साधन बना लिया गया है। लेकिन यह भी एक खर्चीला साधन है।
बाहर का खाना ज्यादा खाने से पाचन तंत्र ख़राब हो सकता है। अतः महीने में एक बार से ज्यादा बाहर के खाने से बचें। इसके अलावा चिप्स , बर्गर , कोल्ड ड्रिंक आदि के उपयोग की आदत होने पर इनमे फालतू खर्चा बहुत हो जाता है। इनसे भूख या प्यास में भी संतुष्टि नहीं मिलती। इनके स्थान पर फल या मेवे आदि खाये जा सकते हैं जो इनसे सस्ते ही पड़ते हैं।
नशा – Addiction
नशा करने की आदत से स्वास्थ्य और पैसे के नुकसान से अलावा कुछ हासिल नहीं होता है। सरकार हर साल इन पर टेक्स बढ़ा देती है। जिसका भार आपकी जेब पर आता है।
शराब , सिगरेट या अन्य नशे अंत में शारीरिक व्याधि के रूप में अपना असर दिखाते ही हैं , जिनके इलाज में बहुत बड़ी राशि खर्च होती है। अतः जल्द से जल्द नशे की आदत से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए।
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इन उपायों में से जो भी आपको उचित लगे उन्हें अपनाकर घर खर्च कम करने में मदद ली जा सकती है। अंग्रेजी में कहावत है – ” अ सिंगल पाई सेव्ड इज अ सिंगल पाई अर्न ” यानि एक पैसा बचाने का मतलब है एक पैसा कमाना। यानि पैसे बचाना भी पैसे कमाने के बराबर ही होता है।
और यह बचाया हुआ पैसा जरुरत के समय बहुत काम आता है।
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Bilkul sahi hai.