जामुन कब हरगिज ना खाएँ – jamun should not be taken when …

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जामुन Jamun खाने का आनंद शायद सभी ने लिया है। यह लीवर के रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। अपने स्वाद और औषधीय गुणों के कारण जामून का एक अलग ही महत्त्व है। इसका अनोखा स्वाद सबको पसंद आता है।

काले स्वादिष्ट और मीठे जामुन को देखते ही खाने को मन करता है। इसको खाने के बाद जीभ के रंग बैंगनी हो जाता है। जून के महीने में और बारिश का मौसम शुरू होने पर बाजार में इनकी बहार सी आ जाती है।

जामून पूरे भारत में बड़े चाव से खाया जाता है और अब तो विदेशी भी इसके कायल हो गए है। जामून के जूस का चलन विश्व भर में बढ़ता जा रहा है।

 जामुन

इसे कई नामों से जाना जाता है। जाम्बुल , काला जाम , जाम्बोलन , जम्बुस , नेरेडु आदि इसी के नाम है। अंग्रेजी में इसे जावा प्लम Java plum या ब्लैक प्लम Black plum कहते है। कुछ लोग इसे ब्लैक बेरी समझ लेते है जो गलत है। ब्लैक बेरी अलग प्रजाति होती है।

कृपया ध्यान दे : किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं। 

जामुन के फल , गुठली , पत्ते , और इसके पेड़ की छाल सभी दवा के रूप में काम आ सकते है। इसके अलावा जामुन का सिरका jamun ka sirka भी औषधि की तरह काम आता है।

जामुन के पोषक तत्व – Java plum nutrients

जामुन में  विटामिन ” A “ , विटामिन ” C ” व विटामिन “B ” समूह भरपूर मात्रा में होते है।

जामुन में कैल्शियम , मैग्नेशियम , फॉस्फोरस , आयरन और सोडियम पर्याप्त मात्रा में होते है। इसकी अम्लीयता और क्षारीयता रक्त के दोषों को दूर करती है।

मधुमेह ( Diabetes  ) रोग में विशेषकर Jamun का उपयोग बहुत लाभकारी होता है । जामून लीवर , आमाशय , पेन्क्रियास और तिल्ली को सशक्त बनाता है। इसके  पॉलीफेनोलिक कम्पाउंड और एंटीऑक्सीडेंट , कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सक्षम होते है।

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Jamun स्मरण शक्ति बढ़ाता है। शरीर में रक्त स्राव को रोक सकता है। वीर्यदोष ठीक करता है।ओर भी कई प्रकार के उपचार में काम आता है।

जामुन कब नहीं खाना चाहिए

—  जामुन में वातज गुण होते है अतः इसे खाली पेट नहीं खाना चाहिए।

—  गर्भावस्था के दौरान Jamun ना खाये।

—  व्रत के समय और उपवास के समय Jamun का उपयोग नहीं करना चाहिए।

—  उल्टी या जी घबराने जैसे स्थिति हो तो जामुन नहीं खाने चाहिए।

—  शरीर में कहीं सूजन आई हुई है तो Jamun ना खाएँ।

—  ऑपरेशन से पहले और बाद में कुछ समय जामुन नहीं खाने चाहिए।

—  जामुन अधिक मात्रा में नहीं खाने चाहिए।

—  पूरे पके हुए जामुन ही खाएँ। कच्चे या अधपके Jamun नुकसान देह हो सकते है।

—  जामुन खाने से दो घंटे पहले और दो घंटे बाद तक दूध नहीं पीना चाहिए।

जामून के उपयोग व घरेलु उपचार

पाचन तंत्र – Digestion

लीवर के लिए जामून बहुत अच्छा होता है। पीलिया में जामून रोज खाने चाहिए। एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच जामून का सिरका मिलाकर कुछ दिन एक समय पीने से बढ़ा हुआ लीवर ( Liver ) ठीक हो जाता है।

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जामून से प्लीहा Spleen , आमाशय Stomach और पेन्क्रियास  Pancreas  को भी ताकत मिलती है।

यह पाचन क्रिया सुधारता है और भूख बढ़ाता है। जामून में सेंधा नमक लगाकर खाने से दस्त ठीक होते है। भूख खुलती है। पेटदर्द ठीक होता है। 

दस्त में जामुन की पत्ती विशेष लाभदायक है। जामुन की 3 -4 पत्ती ( बहुत मोटी न हो ) सेंधा नमक के साथ पीसकर गोली बनाकर सुबह शाम लेने से हर प्रकार के दस्त ठीक होते है। दो चम्मच जामून के कोमल पत्तों का रस और आधा चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम लेने से दस्त बंद हो जाते है।

मधुमेह – Diabetes

जामून की गुठली डायबिटीज के लिए बहुत प्रभावकारी होती है। इस गुठली में जंबोलीन नामक ग्लूकोसाइड होता है जो स्टार्च को शक्कर में बदलने से रोकता है।

जामुन की गुठली का पाउडर एक एक चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लें। साथ ही आम की गुठली का चूर्ण भी आधा आधा चम्मच तीन बार लें। इनको लेने से ब्लड में शर्करा की मात्रा कम होती है।

इससे पेशाब में भी शर्करा आना कम होता है। बार बार पेशाब जाना ठीक होता है। डायबिटीज कंट्रोल में आ जाती है। इसके साथ परहेज और श्रम भी जरुरी है।

बिस्तर में पेशाब – Bedwetting

बच्चे कई बार बिस्तर में ही पेशाब कर देते है। उनको डांटने से या उनका मजाक बनाने से कुछ नहीं होगा। बच्चों को जामून की गुठली का पाउडर आधा चम्मच सुबह शाम पानी के साथ देने से उनका  बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है।

बड़े लोग जिनको बहुमूत्र की समस्या हो उनको जामून की गुठली का पाउडर एक चम्मच और काले तिल का पाउडर एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम  पानी के साथ लेना चाहिए। इससे बहुमूत्र ठीक होता है।

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दांतों के लिये जामुन – Strong Teeth and Gum

दांतों के लिए जामुन हर प्रकार की दवा है। दांतों का हिलना , दांत मे दर्द होना , मसूड़े फूलना , दांतों से खून आना आदि सभी परेशानियां जामुन से दूर हो सकती है ।

एक गिलास पानी में जामुन के 10 -12 कोमल पत्तों के टुकड़े और चौथाई चम्मच पिसी हुई काली मिर्च डालकर उबाल लें। ठंडा होने पर छान लें। इस पानी से दिन में दो तीन बार कुल्ला करें।

इसके अलावा जामुन की छाल को बारीक पीस कर इससे सुबह शाम मंजन करें। ये प्रयोग नित्य करने से दांतों के सभी प्रकार के रोग ठीक हो सकते है।

जामुन के पत्ते सुखाकर जलाकर बारीक पीसकर मंजन करने से दाँत और मसूड़े स्वस्थ व निरोगी रहते है। दाँत में कीड़े नहीं लगते। नियमित जामुन खाने से दाँत और मसूड़े मजबूत बनते है।

दमा – Asthma

जामून की गुठली की गिरी को पीस लें। ये पिसी हुई गिरी दो कप पानी में डालकर उबालें। एक कप रह जाये तब छान कर स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पी लें। कुछ दिन सुबह शाम इसको पीने से दमा में बहुत लाभ  होता है।

मुँहासे व फोड़े फुंसी – Pimples

जामुन नित्य खाने से मुँहासे ( pimples ) और फोड़े फुंसी होने ठीक होते है। जामून की गुठली बारीक पीसकर इसका दूध के साथ लेप बनाकर चेहरे पर लगा लें। 15 मिनट बाद धो लें। इससे मुँहासे और फोड़े फुंसी ठीक होते है।

जामून के पत्तों को बारीक पीस कर पानी के साथ लेप बनाकर लगाने से बगल , कांख ( Armpit ) की बदबू और फुंसी ठीक होती है।

गले में दर्द और आवाज बैठना – Hoarseness

गले मे दर्द और जलन हो तो जामून का रस पीने से आराम मिलता है। जामून की गुठली के बारीक पाउडर में शहद मिलाकर चने के आकार की गोलियाँ बना लें। दो दो गोली दिन में चार बार चूसें। गले की आवाज के लिए अति उत्तम प्रयोग है। इससे बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।

गाना गाने वाले या ज्यादा बोलने वालों को इसे अवश्य उपयोग में लेना चाहिए। शहद के साथ जामून का पाउडर भी ले सकते है। काला नमक डालकर पकी हुई मीठी जामून खाने से भी गला ठीक होता है।

बवासीर में खून गिरना – Piles blood

जामुन के कोमल पत्ते पीस कर दूध में मिलाकर छान कर पीने से बवासीर  ( piles ) ठीक होते है खून गिरना रूक जाता है। चार चम्मच जामुन की कोमल पत्ती का रस और चार चम्मच पानी मिला लें। इसमें स्वाद के हिसाब से चीनी मिलाकर पिएँ। रोजाना तीन बार इसे पीने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है।

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