जिंक की कमी से प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है असर – Zinc Deficiency

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जिंक की कमी Zinc ki kami को सामान्य तौर पर अनदेखा कर दिया जाता है। जिंक Zinc अर्थात जस्ता उन सूक्ष्म मात्रिक खनिज Trace minerals में से एक जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं।

जिंक के अलावा ट्रेस मिनरल में कॉपर , आयोडीन , मैगनीज , फ्लोराइड तथा सेलेनियम आदि शामिल हैं। इनकी शरीर में कम मात्रा की ही जरुरत होती है लेकिन इनकी कमी कई प्रकार की परेशानी का कारण बन सकती है।

जिंक की कमी से शरीर में मेटाबोलिज्म तथा कोशिकाओं के विकास जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो सकते हैं । हमारा शरीर कोशिकाओं से ही निर्मित होता है तथा खाने खाने के बाद मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया से ही हमें ताकत और स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इससे जिंक का महत्त्व समझा जा सकता है।

जिन बच्चों को जिंक की कमी होती है उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता। अतः जिंक की कमी नहीं हो इसका ध्यान रखना चाहिए। जिंक की कमी का पता करने के लिए कोई टेस्ट नहीं होता लेकिन कुछ शारीरिक लक्षण के आधार पर इसकी  कमी का  पता चल सकता है।

जिंक की कितनी मात्रा की जरुरत होती है

Zinc kitna lena chahiye

शरीर में जिंक का निर्माण नहीं होता अतः खाने पीने की चीजों से ही जिंक प्राप्त करना पड़ता है। एक पुरुष को रोजाना लगभग 11 mg और महिला को लगभग 9 mg जिंक की जरूरत होती है।

गर्भावस्था में महिलाओं को अधिक मात्रा में जिंक की जरुरत होती हैं। स्तनपान करने वाले शिशु को पर्याप्त मात्रा में जिंक लगभग 2 mg/day माँ के दूध से मिल जाता है। इसके बाद सिर्फ माँ का दूध पर्याप्त नहीं होता। विकास के लिए अन्य आहार से जिंक मिलना जरुरी होता है। 6 महीने से 3 साल तक के बच्चे को लगभग 5 mg और उसके बाद इससे कुछ अधिक मात्रा में जिंक मिलना जरुरी होता है।

जिंक की कमी किसको होती है

Zinc ki kami kisko

जिंक की कमी से दुनिया भर में लाखों लोग ग्रस्त हैं। शुद्ध शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों में इसकी कमी होने की सम्भावना अधिक होती है। 60-65  वर्ष से अधिक आयु के लोगों को भी जिंक की कमी होने का खतरा होता है।

इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला तथा स्तनपान कराने वाली महिला को जिंक की कमी हो सकती है इसलिए अक्सर गर्भावस्था में आयरन के अलावा जिंक के कैप्सूल भी दिए जाते हैं।

6 महीने से अधिक उम्र में भी सिर्फ माँ के दूध पर निर्भर रहने वाले बच्चे में जिंक की कमी हो सकती है। यौवन अवस्था में प्रवेश करने वाले किशोर आयु के लड़के लड़कियों को अधिक मात्रा में जिंक की जरूरत होती है। ध्यान नहीं रखने पर इन्हे जिंक की कमी हो सकती है।

जिंक की कमी के लक्षण – Zinc Defeciny Symptoms

जिंक की कमी से इस प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

—   शारीरिक या मानसिक विकास का अभाव

—   बार बार सर्दी जुकाम या बीमार होना

—   खाने पीने की चीजों में स्वाद नहीं आना

—   सुगंध या बदबू का पता नहीं चलना

—   डिप्रेशन महसूस होना

—   बाल ज्यादा गिरना

—   नाखूनों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बनना

—   भूख नहीं लगना

—   हार्मोन का असंतुलन

—   स्ट्रेच के निशान अधिक पड़ना विशेषकर गर्भावस्था में

—   मुँहासे

—   दिमाग सम्बन्धी परेशानी

—   मानसिक थकान जल्दी होना

—   त्वचा का रूखापन

जिंक की कमी से क्या नुकसान होते हैं

Zinc Deficiency ke nuksan

जिंक की कमी से बच्चो का विकास रुकना , हड्डियों का विकास कम होना , इम्यून सिस्टम कमजोर होकर बार बार सर्दी जुकाम होना , बाल ज्यादा गिरना ,  पुरुष और महिला में प्रजनन सम्बन्धी दिक्कत आदि समस्याएँ हो सकती है।

सेल्स की ग्रोथ में जिंक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः बच्चों के विकास के लिए यह अतिआवश्यक तत्व होता है। बचपन में छः महीने की अधिक उम्र के बाद भी सिर्फ माँ के दूध पर निर्भर रहने वाले बच्चों में जिंक की कमी होने की संभावना होती है।

इससे उनका शारीरिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। अतः दूध के साथ उन्हें दूसरे आहार भी जरूर दिए जाने चाहिये।

जवान हो रहे बच्चों को स्वस्थ प्रजनन अंगों के विकास के लिए जिंक की अधिक मात्रा में जरुरत होती है। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरुरी होता है।

शुक्राणु के स्वास्थ्य और उसकी कार्यविधि सही प्रकार से होने के लिए जिंक की जरुरत होती है। शरीर में प्रोस्टेट ग्रंथि में जिंक सबसे अधिक पाया जाता है।

वृद्ध पुरुषों में जिंक की कमी प्रोस्टेट में सूजन का कारण बन सकती है। जिंक की कमी से लड़कियों में ओव्यूलेशन की कमी , माहवारी देर से शुरू होना या बहुत कम होना आदि हो सकते हैं।

रक्त में शक्कर की मात्रा पर कंट्रोल करने के लिए भी जिंक जरुरी होता है। जिंक की कमी हाथ पैर ठन्डे होने या ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण बन सकती है। जिंक की कमी से कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है।

कूल्हों या घुटने के जोड़ में दर्द का कारण जिंक की कमी हो सकती है। क्योकि हड्डियों में काफी मात्रा में जिंक होता है विटामिन D के उपयोग में भी जिंक आवश्यक होता है। जिंक की कमी का त्वचा , नाख़ून तथा आंखों पर भी विपरीत  प्रभाव होता है।

क्या खाने से जिंक की कमी दूर होती है

Zinc kam ho to kya khaye

साबुत गेहूं पीस कर उसके आटे से बनी चपाती से जिंक मिल सकता है। गेहूं के अंकुर Wheat Germ में जिंक होता है। गेहूं जर्म में जिंक के अलावा भी कई लाभदायक पोषक तत्व होते हैं। अतः साबुत गेहूं का आटा फायदेमंद होता है। इसके अलावा मूंग , मोठ , चना , उड़द , मटर , लोबिआ आदि जिंक के अच्छे स्रोत होते है।

शाकाहारी भोजन से जिंक मिलने में थोड़ी कठिनाई होती है क्योंकि इनमे मौजूद फाइटेट नामक तत्व जिंक जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करता है। इन्हे यदि कुछ घंटे पानी में भिगोकर पकाया जाये तो फाइटेट का असर कम हो जाता है और इनमें मौजूद पोषक तत्वों का पूरा फायदा शरीर को मिल पाता है।

कददू के बीज तथा तिल से भरपूर मात्रा में जिंक मिल सकता है। इसी प्रकार बादाम , अखरोट , काजू आदि में जिंक तथा अन्य पोषक तत्व होते है। इन्हे भिगोकर खाने से पोषक तत्व अधिक मात्रा में शरीर अवशोषित कर पाता है।

इसके अलावा जिंक के अन्य स्रोत में सूरजमुखी के बीज , राजमा , मूंगफली सोयाबीन , टोफू , दही , पालक आदि भी शामिल हैं। इन्हे अपने आहार में रोजाना शामिल करके जिंक की कमी से बचा जा सकता है। इनसे जिंक के अलावा मैग्नीशियम , B विटामिन्स तथा आयरन आदि भी मिलते हैं।

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