प्रेग्नेंट होने , गर्भधारण करने के लिए क्या करना चाहिए – How to get pregnant

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प्रेग्नेंट Pregnant होने या गर्भधारण के लिए जरुरी है कि पुरुष के शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करे। सहवास करने से वीर्य के साथ करोड़ों की संख्या में शुक्राणु योनि में चले जाते हैं।

कई प्रकार की विपरीत अवस्थाओं और बाधाओं का सामना करते हुए शुक्राणु को गर्भाशय से होते हुए डिम्ब नली यानि फेलोपियन ट्यूब तक पहुंचना होता है। इस नलिका में यदि महिला की ओवरी से निकला अंडा मौजूद होता है तो शुक्राणु उसे निषेचित Fertilise कर सकता है।

अंडे के वहाँ उपलब्ध नहीं होने पर कुछ शुक्राणु वहाँ चार पांच दिन तक अंडे का इंतजार कर सकते हैं। इस दौरान यदि ओवरी से अंडा निकलता है तो शुक्राणु उसे निषेचित कर सकता है। अंडे को सिर्फ एक शुक्राणु निषेचित करता है।

प्रेग्नेंट होने के लिए एक शुक्राणु ही काफी है। महिला का यह अंडा शुक्राणु द्वारा निषेचित होने के बाद खिसकता हुआ गर्भाशय तक पहुंच जाता है। गर्भाशय की दीवार से खुद को जोड़ता है और पोषक तत्व प्राप्त करता हुआ भ्रूण के रूप में विकसित होने लगता हैं। इसे ही गर्भधारण करना Prgnancy , कन्सीव करना Conception, बच्चा ठहरना या दिन चढ़ना आदि नामों से जाना जाता है।

प्रेग्नेंट Pregnant होने की इस प्रक्रिया में समय का बहुत महत्त्व है। महिला की ओवरी Ovary से एक महीने में एक बार एक अंडा निकलता है। यदि यह अंडा डिम्ब नली से गुजरता हुआ शुक्राणु द्वारा निषेचित नहीं हो पाता तो यह डिंब नलिका में ही नष्ट हो जाता है।

यह अंडा सिर्फ एक दिन ही जीवित रह पाता है। अतः गर्भधारण के लिए इस एक दिन का बहुत महत्त्व है। इस दिन शुक्राणु द्वारा इस अंडे का निषेचन ना हो तो गर्भधारण नहीं होगा।

गर्भाशय की दीवार पर हर महीने रक्त और टिशू से मिलकर एक परत तैयार हो जाती है ताकि निषेचित अंडा वहां आकर भ्रूण के रूप में विकसित हो सके। यदि निषेचित अंडा गर्भाशय में नहीं पहुंचता तो गर्भाशय की परत नष्ट होकर योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है। इसे मासिक या माहवारी कहते हैं। यह हर महीने की प्राकृतिक व्यवस्था है।

प्रेग्नेंट होने के बाद या कन्सीव करने के बाद पीरियड Period या माहवारी MC  नहीं होती है। क्योकि भ्रूण को इस परत की जरुरत होती है। माहवारी नहीं आना गर्भधारण या प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है। माहवारी के बारे में विस्तार से समझने के लिए यहाँ क्लीक करें

कुछ शुक्राणु महिला के शरीर में लगभग तीन से छह दिन तक जीवित रह सकते हैं।

यदि महिला की ओवरी से जिस दिन अंडा निकलता है उसके तीन से छह दिन पहले भी समागम के द्वारा शुक्राणु ने योनि में प्रवेश किया हो तो गर्भधारण हो सकता है।

प्रेग्नेंट होने के लिए क्या जरुरी होता है

Necessities For Pregnancy

—  सबसे पहली जरुरत होती है कि ओवरी से एक स्वस्थ अंडा बाहर निकले। यदि ओवरी में कुछ खराबी है तो और उसमे अंडा नहीं बन पा रहा है तो प्रेगनेंसी नहीं होगी।

—  अंडा फेलोपियन ट्यूब में चलता हुआ गर्भाशय तक पहुंचना चाहिए । यदि फेलोपियन ट्यूब यानि डिम्ब नली बंद हो तो न तो शुक्राणु अंडे तक पहुँच पाते हैं और ना ही अंडा गर्भाशय तक। इसलिए प्रेग्नेंट होना संभव नहीं हो पाता।

—  अंडे के फेलोपियन ट्यूब से गुजरते समय शुक्राणु वहाँ उपस्थित होने चाहिये । डिम्ब नली में अंडे को शुक्राणु नहीं मिलेगा तो 24 घण्टे के अंदर वह नष्ट हो जाता है।

—  गर्भाशय इस लायक होना चाहिए की निषेचित अंडा वहाँ ठहर पाए और वहां खुद को भ्रूण के रूप में विकसित कर सके।

—  शुक्राणु में इतनी ताकत होनी चाहिए कि योनि में आने के बाद वह चलता हुआ डिम्ब नली तक पहुँच पाए तथा अंडे में प्रवेश करके उसे निषेचित कर पाए। करोड़ों शुक्राणु में से कोई एक शुक्राणु ही अंडे को निषेचित कर पाता है।

—  यदि यह सारी प्रक्रिया सफलता पूर्वक हो जाती है तब भ्रूण गर्भाशय में नौ महीने में पूर्ण रूप से विकसित होकर एक बच्चे के रूप में योनि द्वार से बाहर निकलता है।

शादी के बाद एक स्वस्थ और सुन्दर संतान की कामना सभी करते है। बहु के आने के बाद सास ससुर भी चाहते हैं जल्दी ही एक नन्हे मुन्ने की किलकारी घर में गूंजे। क्योंकि एक छोटा बच्चा बहुत सी खुशियां बिखेरने में सक्षम होता है।

बच्चे की भोली और मासूम हरकतें सभी का मन मोह लेती हैं। परंतु कभी कभी संतान उत्पन्न होने में कुछ समस्या सामने आ जाती है। कुछ जोड़े चाहते हुए भी इस ख़ुशी से वंचित रहते हैं। इसके लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाये तो सफलता मिलने की  संभावना बढ़ सकती है।

प्रेग्नेंट होने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

Pregnant hone ke liye tips

ओव्यूलेशन  – Ovulation

किसी भी महिला को गर्भधारण करना हो तो उसे अंदाजा होना चाहिए की उसकी ओवरी से अंडा कब निकलता है। यानि ओव्यूलेशन कब होता है।  ओवरी से अंडा निलकने को ओव्यूलेशन Ovulation कहते हैं।

मासिक चक्र Menstrual Cycle में सिर्फ एक बार एक अंडा निकलता है। यदि ओव्यूलेशन का सही से पता चल जाये तो उसके अनुसार सहवास करने पर प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ सकती है। ओव्यूलेशन के दो तीन दिन पहले से ओवुलेशन तक सहवास करने से गर्भ धारण करने की अधिकतम संभावना होती है।

जिन महिलाओं को माहवारी नियमित होती है उन्हें ओव्यूलेशन मासिक शुरू होने से दिन से लगभग दो सप्ताह पहले होता है। जिन महिलाओ को अनियमित मासिक धर्म Irregular Period होता है उनका ओव्यूलेशन का पता चलना मुश्किल होता है।

बाजार में  मिलने वाले ओव्यूलेशन र्प्रेडिक्शन टेस्ट किट Ovulation Prediction Test Kit की मदद से ओव्यूलेशन का पता लगाया जा सकता है। इसमें पेशाब की जाँच से हार्मोन में बदलाव का पता चलता है जो ओव्यूलेशन से कुछ समय पहले होता है।

ओवुलेशन से 15 से 40 घंटे पहले हार्मोन में बदलाव होता है जिसका इस किट से पता चल जाता है। इसके लिए यूरिन की जाँच सुबह करनी ठीक रहती है। किट पर उसे यूज़ करने के तरीके जानकर काम में लेना चाहिए।

ओवुलेशन पता करने का एक और तरीका टेम्परेचर मेथड होता है। इसमें रोजाना टेम्परेचर लेना होता है। जब टेम्परेचर थोड़ा सा बढ़ा हुआ आता है तब ओवुलेशन की संभावना और गर्भधारण की संभावना अधिक होती है।

तापमान में मामूली परिवर्तन के कारण यह तरीका थोड़ा मुश्किल होता है। इसके लिए सामान्य से अलग थर्मामीटर की जरुरत होती है।

योनि के स्राव Vaginal Discharge की जांच करके ओवुलेशन का पता किया जा सकता है। ओवुलेशन के समय योनि का स्राव पतला , साफ और अधिक फिसलन वाला हो जाता है। इस परिवर्तन को महसूस करके गर्भधारण की कोशिश करने से सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

ओवुलेशन के छह दिन पहले से ओवुलेशन के दिन तक रोजाना समागम करने से गर्भधारण की संभावना अत्यधिक होती है। एक दिन छोड़कर भी कर सकते है। यह गलतफहमी है कि किसी विशेष आसन में सहवास करने से या सहवास के बाद महिला के इतनी देर तक पीठ के बल लेटने से प्रेग्नेंट जल्दी होते हैं या संभावना बढ़ जाती है।

प्रेग्नेंट होने के लिए सहवास कब कैसे करना चाहिए

शुक्राणु फेलोपियन ट्यूब में तीन से छह दिन तक जीवित रह सकते है। यानि यदि सोमवार को सहवास किया हो तो शुक्राणु गुरुवार तक या अधिकतम रविवार तक जीवित हो सकते हैं। इन तीन से छह दिनों के समय में यदि अंडा  ओवरी से निकले तो गर्भ धारण हो सकता है।

यदि ओव्यूलेशन का अंदाजा नहीं भी हो तो एक दिन छोड़कर संभोग करने से स्वस्थ शुक्राणु डिम्ब नली में हमेशा मौजूद होंगे। ऐसे में जब भी अंडा ओवरी से बाहर निकलेगा शुक्राणु उसे निषेचित कर सकता है और इस तरह प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि रोजाना सम्भोग करना चाहें तो यह आपकी इच्छा है परंतु इससे भी संभावना लगभग उतनी ही रहेंगी।

यदि ओव्यूलेशन का अंदाजा करके प्रेगनेंसी के लिए सम्भोग करना हो इस सम्भोग से पहले बहुत दिनों तक दूरी बना कर नहीं रखनी चाहिए अन्यथा वीर्य में जीवित और स्वस्थ शुक्राणु की संख्या कम हो सकती है। अतः प्रेगनेंसी के लिए सहवास कर रहे हों तो उससे दो तीन दिन पहले एक बार वीर्यपात हो जाना ठीक रहता है।

यदि प्रेगनेंसी चाहते है और सहवास के समय किसी प्रकार का लुब्रीकेंट , तेल या कुछ और काम में ले रहें है तो ध्यान रखना चाहिए की कुछ लुब्रीकेंट , तेल या क्रीम आदि शुक्राणु की गति में अवरोध पैदा करके उन्हें कमजोर बना सकते है। ऐसा हुआ तो प्रेग्नेंट होने की संभावना कम हो सकती है। इस बारे में चिकित्सक से सलाह कर लेनी चाहिए।

सहवास करके योनि में वीर्य डालने के बाद वीर्य बाहर निकल जाने की चिंता नहीं करनी चाहिए। गर्भाधान के लिए सिर्फ एक मजबूत और स्वस्थ शुक्राणु चाहिये जो अपने गंतव्य की और आगे जरूर बढ़ चुका होगा।

स्वस्थ और ताकतवर शुक्राणु

गर्भधारण के लिए जरुरी है कि शुक्राणु  मजबूत हों , स्वस्थ हों और संख्या में कम ना हो। कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है :

—  रोजाना शराब पीने से शुक्राणु की संख्या कम हो जाती है तथा शुक्राणु कमजोर हो जाते है। इसलिए बच्चा चाहते है तो शराब पीना बंद कर देना चाहिए। बीड़ी , सिगरेट या किसी भी प्रकार का नशा शुक्राणु को कमजोर बना सकता है अतः इन्हें बंद कर दें।

—  वजन नियंत्रण में होना चाहिए। मोटापे के कारण शुक्राणु की संख्या कम हो सकती है या उनकी गतिशीलता में कमी आ सकती है।

—  कुछ विशेष पोषक तत्वों से युक्त आहार लेना चाहिए जैसे जिंक , फोलिक एसिड , कैल्शियम , विटामिन C , विटामिन  D आदि। इससे शुक्राणु बढ़ते है और मजबूत होते है।

—   गर्मी से शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं। इसलिए गर्म पानी के टब में नहीं नहाना चाहिए। ज्यादा टाइट अंडरवियर या जीन्स नहीं पहनने चाहिए। इन सभी का कम से कम तीन महीने तक ध्यान रखें ताकि सही परिणाम हासिल हो सके।

वजन

महिला का वजन बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन होने पर प्रेग्नेंट होने की संभावना कम हो सकती है। अतः सामान्य वजन रखने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा पाया गया है कि बॉडी मास इंडेक्स  BMI  35  से अधिक होने पर गर्भधारण की संभावना सामान्य की अपेक्षा आधी रह जाती है और बॉडी मास इंडेक्स 19 से  कम होने पर गर्भधारण की संभावना सामान्य से चौथाई रह जाती है।

ज्यादा वजन के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव अधिक होता है जिसके कारण ओवुलेशन बाधित हो सकता है। बहुत कम वजन होने पर समय से मासिक धर्म और ओव्यूलेशन में रूकावट आ सकती है।

उम्र

जैसे – जैसे महिला की उम्र  बढ़ती जाती है वैसे वैसे उस महिला के गर्भधारण करने की संभावना कम होती जाती है। 30 वर्ष की उम्र के बाद संभावना कम होने लगती है , 37 वर्ष की उम्र के बाद संभावना तेजी से कम होती है और 40 वर्ष के बाद ख़त्म सी होने लगती है। हालाँकि अपवाद भी हो सकते हैं।

धूम्रपान

सिगरेट बीड़ी आदि पीने से महिला व पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। तम्बाकू में पाया जाने निकोटिन और कार्बन मोनो ऑक्साइड महिला के अंडे को या पुरुष के शुक्राणु को नुकसान पहुंचा सकते है। यहाँ तक की किसी और के सिगरेट के धुएँ का असर भी हो सकता है अतः सिगरेट के धुंए से भी दूर रहना चाहिए।

तनाव

शारीरिक और मानसिक तनाव नही होने और खुश रहने से गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। इसके लिए घूमना फिरना , हल्के व्यायाम योगासन कर सकते हैं , संगीत सुन सकते हैं या अपनी पसंद या हॉबी के अनुसार कुछ काम कर सकते हैं।

यदि लगातार एक वर्ष तक बिना गर्भ निरोधक के सप्ताह में दो तीन बार सहवास करने के बाद भी गर्भधारण ना हो तो विशेषज्ञ से सलाह करनी चाहिए। हो सकता है प्रजनन अंग की किसी समस्या के कारण गर्भधारण नहीं हो पा रहा हो।

अस्वीकरण : इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जानकारी उपलब्ध कराना है , किसी भी प्रकार के उपचार के लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

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2 COMMENTS

    • यह सवाल बहुत लोगों के मन में होता है कि सम्भोग के बाद वीर्य बाहर निकल जाता है क्या करें। पर इसकी चिंता बिलकुल नहीं करनी चाहिए , यह सामान्य है और सबके साथ होता है। वीर्य योनि से बाहर निकल भी जाये तो भी स्वस्थ शुक्राणु अपने गंतव्य की दिशा में गतिशील हो चुके होंगे और दूसरी परिस्थितियां सही हैं तो गर्भ धारण हो सकता है। जो वीर्य बाहर निकला है उसमे काम के शुक्राणु कम ही होते हैं।