मोच से बचाव के तरीके और घरेलू उपचार – Sprain Gharelu upay

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एड़ी में मोच Moch या मरोड़ Marod आ जाना एक आम समस्या है। यह तब होता है जब पैर गलत तरीके से मुड़ जाता है। पैर मुड़ने से एड़ी के लिगामेंट्स में खिंचाव आ जाता है या लिगामेंट्स फट जाते हैं।

लिगामेंट्स रेशेदार ऊतकों की पट्टी होती है जो जॉइंट्स पर हड्डियों को आपस में जोड़े रखती है। ये लिगामेंट्स शरीर में लगभग उन सभी जगह होते हैं जहाँ दो हड्डियाँ का जोड़ होता है। अतः मोच सिर्फ एड़ी में ही नहीं बल्कि कंधे , घुटने या गर्दन में भी आ सकती है।

मोच के घरेलु उपाय

सामान्य तौर पर लिगामेंट्स इलास्टिक की तरह होते हैं जो खिंच सकते हैं और फिर वापस सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। कभी कभी जब लिगामेंट्स आवश्यकता से अधिक खिंच जाते हैं या फट जाते हैं तो तेज दर्द होता है और सूजन आ जाती है। इसे ही मोच आना कहते हैं।

किसी भी जॉइंट के पास मोच आ सकती है यदि अचानक से इनमे खिंचाव आ जाये , मुड़ जाये या चोट लग जाये। एड़ी में मोच आने की घटना सबसे ज्यादा होती है।

जो लोग खेलकूद में सक्रीय रहते हैं उन्हें मोच आने की संभावना अधिक होती है। ठोकर लगने से, गिरने लगे और अपने बचाव में शरीर का वजन हाथों पर ले तो कलाई में मोच आ सकती है। इसी तरह डांस करते समय या सीढ़ी तेजी से चढ़ने या उतरते समय घुटने में मोच आ सकती है। अंगूठे या अंगुली में भी मोच आ सकती है।

मोच आने पर कड़कने जैसी आवाज आ सकती है , तेज दर्द हो सकता है और सूजन आ सकती है। मोच वाले अंग को हिलाने से तेज दर्द होता है जिसके कारण काम करने में तकलीफ होती है।

मोच आने पर क्या करें – First aid for sprain

moch aane par prathmik upchar hindi me

मोच आने पर प्राथमिक उपचार First aid  के तौर पर RICE नामक उपचार करना चाहिए। इसका अर्थ है –

Rest , Ice , Compresssion , Elevation

इन्हे इस प्रकार समझा जा सकता है –

Rest – आराम

मोच आये हुए अंग पर ज्यादा भार नहीं आना चाहिए यानि पैर में मोच जाये फिर भी खेलना या चलना जारी रखें तो यह गलत होगा। जहाँ तक संभव हो उस अंग को आराम मिलना चाहिये। उस अंग को थोड़ा बहुत हिला सकते हैं। बिलकुल भी नहीं हिलाने से परेशानी बढ़ सकती है। थोड़ा बहुत काम किया जा सकता है।

Ice – बर्फ

चोट लगने पर तुरंत उस स्थान पर बर्फ की सिकाई करनी चाहिए। यह सिकाई 15 मिनट तक हर तीन चार घंटे अंतराल में की जा सकती है। इसे दो दिन तक करें। इससे दर्द और सूजन में आराम आता है।

बर्फ को किसी मोटे कपड़े में लपेटकर सिकाई करें। बर्फ सीधे त्वचा पर न लगाएं। किसी किसी को बर्फ से परेशानी हो सकती है , ऐसे में बर्फ ना लगायें। दो दिन के बाद बर्फ की बजाय गर्म सिकाई करना ठीक रहता है।

compression – दबाव का सहारा

इसका अर्थ है की क्रेप बैंडेज जैसी व्यवस्था करके हल्के दबाव के साथ मोच के स्थान को बांध देना ठीक रहता है। इससे चोट लगे स्थान को सहारा मिलता है मोच अधिक बढ़ती नहीं है। लेकिन यह इतना ज्यादा टाइट नहीं होना चाहिए कि खून का दौरा ही रुक जाये।

Elevation – ऊँचा रखना

इसका मतलब है की चोट लगे हुए स्थान को कुछ ऊपर उठा देना चाहिए अर्थात हृदय के स्तर से कुछ ऊपर। ऐसा  करने से चोट लगे स्थान के आसपास इकठ्ठा हुआ द्रव कम हो जाता है और सूजन कम हो जाती है। इससे दर्द में भी आराम मिलता है।

यदि दर्द या सूजन कम ना हो और तकलीफ बढ़ जाये तो अतिरिक्त इलाज की जरुरत हो सकती है। ऐसे में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करके  इलाज करवाना चाहिए। MRI के माध्यम से पता लगाया जा सकता है की लिगामेंट्स पर कितना अधिक असर हुआ है। कभी कभी सर्जरी की भी आवश्यकता भी पड़ जाती है।

मोच आने से कैसे बचा जाये

Prevantions in hindi

कृपया ध्यान दें : लाल रंग से लिखे शब्दों पर क्लिक करने से उनके बारे में पूरी जानकारी मिल जायेगी।

पौष्टिक आहार लेने से तथा एक्सरसाइज करने से मांसपेशियाँ , लिगामेंट्स आदि मजबूत और लचीले बने रहते हैं तथा मोच आने की संभावना कम हो जाती है। इससे चोट या मोच लगने पर ठीक भी जल्दी हो जाते हैं यानि रिकवरी फ़ास्ट होती है।अपने खाने पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है –

—  पानी पर्याप्त मात्रा में पियें। पानी की कमी होने पर पर मोच आने की संभावना बढ़ जाती है।

—  मांसपेशियों को तथा लिगामेंट्स आदि को प्रोटीन की जरुरत होती है , पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन ले रहे हैं या नहीं देख लें।

—  कोलेजन युक्त आहार लेने चाहिए। विटामिन C युक्त सिट्रस फ्रूट्स , गाजर  पत्तेदार सब्जी जैसे पालक आदि लेने से लिगामेंट्स को ताकत मिलती है और मोच लगने की संभावना कम हो जाती है। नींबू पानी भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

—  ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त चीजों को अपने आहार में स्थान अवश्य दें ये जॉइंट टिशू के लिए भी बहुत लाभदायक है। अलसी के बीजअखरोट आदि इसके उत्तम स्रोत हैं।

—  अपने शरीर में जिंक की कमी ना होने दें , चोट लगने या मोच आने पर यह खनिज तीव्रता से ठीक होने में मदद करता है।

मोच या मरोड़ के घरेलु उपचार

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पहले दो दिन किसी गर्म चीज को न लगाएं। ऊपर बताये अनुसार RICE उपचार करें। इसके बाद ये उपाय किये जा सकते हैं –

—  पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर उसे हल्का गुनगुना गर्म करके मोच वाले स्थान पर बांधने से लाभ होता है।

—  एक चम्मच सरसों के गर्म तेल में आधा चम्मच हल्दी मिला कर मोच वाले स्थान पर लगाएं। बहुत ज्यादा गर्म ना हो , त्वचा जल सकती है। इसके बाद उस स्थान पर अरंडी के पत्ते रखकर पट्टी बांध दें। ऐसा रोजाना ठीक होने तक करें।

—  फिटकरी का चूर्ण गर्म दूध के साथ लेने से मोच जल्दी ठीक होती है।

—  शहद और चूना मिलाकर मोच वाले स्थान पर लगाने से मोच में आराम मिलता है।

— आधा कप सरसों के तेल में आधा चम्मच अजवाइन और चार पाँच पिसी हुई लहसुन की कली डालकर गर्म करें। लहसुन काली पड़ जाये तो गैस से उतार लें। गुनगुना रहने पर इस तेल को हलके हाथ से लगाएं।  इससे हर प्रकार के दर्द में आराम आता है।

—  इमली की पत्तियों को पीस कर हल्का गुनगुना करके इसका लेप लगाने से आराम मिलता है।

—  सरसों के तेल में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

—  बरगद के कोमल पत्ते पर शहद लगाकर बांधने से लाभ होता है। खून जम गया हो या गांठ से हो गई हो तो ठीक होती है।

—  दूध में हल्दी मिलाकर पीने से अंदरूनी चोट जल्दी ठीक होती है।

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