व्रत उपवास करने के फायदे और तरीके – Vrat Upvas Benefits

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व्रत उपवास Vrat Upvas हमारी संस्कृति के एक अभिन्न अंग है। इनका सिर्फ धार्मिक महत्त्व ही नहीं है बल्कि शारीरिक रूप से भी बहुत अधिक महत्त्व है। व्रत उपवास करने से शरीर को कई प्रकार के लाभ होते है।

सामान्य तौर पर व्रत का मतलब एक समय का भोजन करना तथा उपवास का मतलब दोनों समय का भोजन नहीं करना होता है । व्रत और उपवास का शारीरिक रूप से लाभ तभी मिलता है जब सही तरीके से इन्हें किया जाये।

कुछ लोग सिर्फ अनाज का त्याग करते है लेकिन उसकी जगह मावा , मिठाई , आलू की चिप्स , साबूदाना के बड़े और न जाने क्या क्या रोजाना के भोजन से भी अधिक खा लेते है। इससे लाभ की बजाय नुकसान ही होता है।

व्रत उपवास करने से शरीर के अंदर होने वाली ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया तथा शरीर से विषैले तत्व निकलने की प्रक्रिया तेज होती है। जिससे शरीर को एक नई ताकत और उमंग का अहसास होता है।

इनसे शरीर में कई प्रकार के ऐसे परिवर्तन होते है जो बहुत लाभदायक सिद्ध होते है। इनसे मानसिक रूप से भी  शांति और शक्ति मिलती है। धार्मिक रूप से भी इन्हें किया जाना लाभदायक ही होता है।

व्रत उपवास शरीर और आत्मा की शुद्धि करने के लिए होते है। उपवास का आध्यात्मिक अर्थ बहुत सुन्दर और स्पष्ट है। शरीर जिन पाँच तत्वों से बना है उनमें से आकाश यानी खाली स्थान का बहुत महत्व है। व्रत या उपवास से इसी आकाश तत्व की आपूर्ति शरीर को होती है।

उपवास शब्द दो शब्दों से बना है -” उप ” यानि नजदीक और ” वास ” यानि निवास करना अर्थात अपनी आत्मा के करीब स्थित होना उपवास है। स्व में स्थित होने से स्वास्थ्य प्राप्त होता है ।

स्वस्थ रहना आपका कर्तव्य भी है और धर्म भी । व्रत उपवास ( Vrat Upvaas ) करने से तन और मन के विकार दूर होकर तन स्वस्थ और मन पवित्र हो जाता है। यह वैज्ञानिक प्रयोगों से भी साबित हो चुका है। 

व्रत उपवास के फायदे – Vrat Upvaas Ke Fayde

व्रत उपवास करने से शरीर में जैव रासायनिक क्रियाएँ शुरू हो जाती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति मजबूत बनती है। विषैले पदार्थ शरीर से तेजी से बाहर निकलने लगते है। हानिकारक फ्री रेडिकल्स का निर्माण रुक जाता है। शरीर की हीलिंग क्रिया सुधर जाती है।

आयरन ( Iron ) , कैल्शियम ( Calcium ) , जिंक ( zinc ) आदि तत्वों का अवशोषण ( absorption ) तेज हो जाता है। उपवास ( upvas ) करने से हीमोग्लोबिन ( Hemoglobin ) सही रहता है और कैल्शियम की कमी नहीं होती। कैल्शियम सही रहने से जोड़ों का दर्द, हड्डियों की समस्या आदि से बचाव होता है। 

व्रत उपवास में जब 12 घंटे या उससे अधिक कुछ नहीं खाते है तो किटोसिस ( Ketosis ) नामक प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसमे हमारे शरीर की कोशिकाएं ( Cells ) शरीर में मौजूद फैट यानि चर्बी को गलाकर इसके माध्यम से ऊर्जा लेना शुरू कर देती है । यह ऊर्जा भोजन से मिलने वाली ऊर्जा की अपेक्षा दिमाग और शरीर दोनों के लिए अधिक फायदेमंद होती है।

इससे शरीर से चर्बी कम होकर मोटापा कम होता है। शरीर अधिक स्वस्थ बनता है। दिमाग की कार्यविधि पर भी इसका अच्छा असर पड़ता है। यह असर शरीर पर लंबे समय तक बना रहता है। इसीलिए ज्यादातर व्रत उपवास करने वाले लोग अधिक स्वस्थ और अधिक दिमागी शक्ति वाले होते है।

व्रत उपवास करने से आयु भी बढ़ सकती है। इनसे शरीर में होने वाली ऑटोफैजी ( Autophagy ) नामक प्रक्रिया में मदद मिलती है। ऑटोफैजी कोशिकाओं में साफ सफाई के लिए होने वाली प्रक्रिया होती है।

इस प्रकिया के द्वारा शरीर की कोशिकाओं में पैदा होने वाले अपशिष्ट पदार्थ , नुकसान करने वाले तत्व तथा  विषैले तत्व शरीर द्वारा नष्ट किये जाते है। यह साफ सफाई नहीं होने से शरीर की कार्यक्षमता कम हो जाती है।

व्रत उपवास करने से शरीर को साफ सफाई का पर्याप्त समय मिलता है। ऑटोफैजी की प्रक्रिया तेज होती है जिसके फलस्वरूप शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है।

व्रत उपवास करने से शरीर में कुछ अच्छे बेक्टिरिया की वृद्धि होती है जो सिर्फ व्रत उपवास करने से ही उत्पन्न होते  है। इसी तरह कुछ विशेष प्रकार के हानिकारक बेक्टिरिया के नष्ट होने की प्रक्रिया भी सिर्फ व्रत उपवास के समय ही होती है।उपवास

व्रत उपवास करने से शरीर प्रकृति के अनुसार ढलने लगता है। स्वाभाविक रूप से भूख प्यास आदि लगने लगते है। इसके बाद किये गए सात्विक आहार या भोजन से पूर्ण तृप्ति का अहसास होने लगता  है। भोजन से असीम आनंद की प्राप्ति होने लगती है।

अन्यथा न भूख होने पर भी जबरदस्ती खाना खाने पर ना तो तृप्ति मिलती है ना ही आनंद आता है। चाहे कितना भी स्वादिष्ट या चटखारेदार खाना खा लें। पाचन क्रिया भी खराब हो जाती है। जिसका परिणाम कब्ज व एसीडिटी आदि होते है। अतः व्रत उपवास अवश्य करने चाहिए।

व्रत उपवास में क्या खाना चाहिए – Vrat Upvas me kya khaye

व्रत उपवास ( upvaas ) कई तरह से किये जा सकते है।  जैसे फल उपवास , रस उपवास और आंशिक उपवास , पूर्ण उपवास ।

—  फल उपवास में हर तीन घंटे से कोई भी एक फल ( Fruit ) खा सकते है। जैसे  अनार , चीकू , सेब ,  अमरूदकेला , अंगूर  आदि जो भी  पसंद हो ले सकते है।

सेब

—  रस उपवास में तीन घंटे के अंतर से किसी फल या किसी सब्जी का रस ले सकते है । बील का जूस , लोकी का जूस , शिकंजी , गाजर का जूस , पालक का जूस आदि ले सकते है।

—  आंशिक उपवास में ढाई घंटे के अंतर से एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद व एक नींबू का रस लेना चाहिए।

नींबू

—  पूर्ण उपवास में हर डेढ़ घंटे से सिर्फ एक गिलास पानी लें । उपवास में पानी खूब पीना चाहिए। क्योंकि शरीर पानी की मदद से ही हर प्रकार के विकारों को दूर करता है।

व्रत उपवास ( upvaas ) में शरीर शुद्ध होने की प्रक्रिया में कुछ अस्वाभाविक अनुभव हो सकते है जैसे सिर दर्द , पेट दर्द , उल्टी , मितली , चक्कर आना आदि लेकिन इनसे घबराना नही चाहिए।

व्रत उपवास खोलने का तरीका – Vrat Upvas kaise khole

व्रत उपवास ( upvaas ) तोड़ने का भी एक तरीका होता है। उपवास ठोस आहार से समाप्त नहीं करना चाहिए। पहले फ्रूट जूस लें। फिर उबली सब्जी और अंत में रोटी या दलिया लेना चाहिये। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सप्ताह में एक बार व्रत या उपवास  जरुर करना चाहिए।

व्रत उपवास किसे नहीं करना चाहिए – Vrat Upvas kab na kare

कमजोर और अशक्त लोगों को उपवास नहीं करना चाहिए। इसके अलावा बच्चों , बुजुर्गों और गर्भवती स्त्री को उपवास नहीं करना चाहिए।

सही तरीके से उपवास करने से कई गंभीर रोग जैसे सोरायसिस , पेट की सूजन , एक्जिमा , गठिया आदि भी ठीक हो सकते है ।

उपवास से तन , मन और चेतन के सभी दोष व विकार दूर होकर सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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