सूरज की कहानी सूरज रोट के व्रत वाली – Suraj rot vrat story

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सूरज की कहानी Sooraj ki kahani सूरज रोट के व्रत के समय कही और सुनी जाती है। इससे व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है। रविवार के व्रत में भी सूर्य भगवान की कहानी सुनते हैं।

सूरज रोट का व्रत कैसे करते हैं और इसके उद्यापन की विधि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

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सूरज रोट के व्रत वाली सूर्य भगवान की कथा Surya bhagvan ki katha कहानी इस प्रकार है –

सूरज रोट व्रत की कहानी – Suraj rot vrat ki kahani

सूरज रोट व्रत की कहानी

किसी गाँव में एक माँ और उसकी बेटी दोनों सूरज जी का व्रत किया करती थी।

एक बार सूरज जी के व्रत वाले दिन माँ ने बेटी से कहा – मैं पानी लेने जा रही हूँ तू दो रोट बना कर रख लेना। एक छोटा और एक बड़ा रोट बनाना जो हम पूरा खा सकें , क्योंकि रोट को झूठा नहीं छोड़ते। रोट के आटे में नमक मत डालना , यह अलूना होता है ।

माँ पानी भरने चली गयी और बेटी रोट बनाने लगी। तभी सूरज भगवान एक साधु बाबा का वेष बनाकर वहाँ आये और भिक्षा मांगने लगे। लड़की ने कहा – मेरी माँ का रोट तो बन गया है पर मेरा रोट बनेगा उसमे से आपको दूंगी।

बाबा ने कहा – जो रोट बन चुका है उसी में से दे दो , नहीं तो मैं जा रहा हूँ।

लड़की ने माँ के रोट में से टुकड़ा तोड़कर दे दिया। जब माँ वापस आई तो बहुत नाराज हुई और बोली –

“धीय बाई धीय दे , रोटा मायली कोर दे , म्हारो दे पण सारो दे “

( हे लड़की , मेरी रोटी का टुकड़ा दे दिया , मेरी रोटी मुझे साबुत दे )

वह लड़की को मारने लगी। लड़की डर कर जंगल में भाग गयी और एक पेड़ पर चढ़ कर बैठ गई।

सूरज भगवान ने सोचा , बेचारी लड़की को मेरे कारण घर से निकलना पड़ा , इसीलिए इसकी रक्षा मुझे ही करनी पड़ेगी।सूरज भगवान रोज उसके लिये चूरमे का एक लडडू और एक लोटा पानी भेज देते थे। लड़की मजे से खा पी लेती और बैठी रहती। ( suraj ki kahani …. )

एक दिन एक राजा शिकार करते हुए उधर से निकला , थकान मिटाने के लिए उसी पेड़ के नीचे आराम करने रुका। राजा ने अपने सेवक से कहा -प्यास से जान निकली जा रही है , चुल्लू भर पानी मिल जाता तो प्राण बच जाते । पेड़ पर बैठी लड़की ने यह सुना तो उसने चुल्लू भर पानी डाल दिया। राजा ने पानी पी लिया।

राजा ने कहा – अरे सेवक , आधी जान तो बच गयी। एक चुल्लू पानी और मिल जाये तो आधी जान और बच जाएगी।

लड़की ने फिर एक चुल्लू पानी डाल दिया। राजा ने पी लिया। राजा को आश्चर्य हुआ।

उसने सेवक से कहा – ऊपर अवश्य कोई है। तू ऊपर चढ़ और देख कौन है।

सेवक ऊपर चढ़ा तो उसे लड़की मिली।

लड़की ने सेवक से कहा – भैया तुम ये स्वादिष्ट लडडू खा लो और पानी पी लो पर राजा को मेरे बारे में मत बताना।  कह देना कि ऊपर कोई नहीं है।  पता नहीं राजा मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा ?

सेवक भूख प्यास से परेशान था।  उसने लडडू खाया पानी पीया और नीचे जाकर राजा से कह दिया कि ऊपर कोई नहीं है। राजा ने सेवक से कहा – तू ऊपर गया तब तो थका हुआ था और आया तो तरोताजा दिख रहा है। नहाया और खाया हुआ मनुष्य छिपता नहीं है। मुझे संशय हो रहा है , मैं खुद ऊपर जा कर देखता हूँ।

राजा पेड़ पर चढ़ा वहाँ सुन्दर सी ब्राह्मण कन्या को पाया।  राजा ने कहा – डरो नहीं , तुम बहुत सुन्दर हो।  मेरे साथ चलो मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूँ। ( Surya bhagvan ki kahani …. )

लड़की राजा के साथ चली गयी। राजा ने उसके साथ विवाह कर लिया।

साल भर में ही उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया।

उसकी अन्य रानियाँ , उसकी देवरानी , जेठानी आदि उसकी और उसके पुत्र की सुंदरता से जलने लगी थी।

सूरज जी का व्रत आया। लड़की रानी ने व्रत के लिए रोट बनाया।

दूसरी रानियों ने राजा से कहा तुम्हारी नई रानी को रोट बनाना नहीं आता। उसका बनाया हुआ रोट खाओगे तो आपका पेट दुखेगा। रानी खायेगी तो कुंवर का पेट दुखेगा।

नई रानी ने यह बात सुन ली और उसने रोट को थाली के नीचे छुपा दिया और सूर्य भगवान से सहायता के लिए प्रार्थना करने लगी। राजा ने जब पूछा कि थाली के नीचे क्या है तो उसने कहा कि  , मेरे गरीब पीहर से आया हुआ उपहार है।

राजा ने थाली उठाई तो देखा की उसके नीचे सोने का चक्र था। राजा ने कहा – वाह , गरीब पीहर वालों का ऐसा उपहार ? नई रानी चुप रही। ( suraj bhagvan ki kahani …. )

एक दिन रानी खिड़की में खड़ी थी तभी उसे उसकी माँ दिखाई दी , जो दरिद्र अवस्था में छाजले बेच रही थी। उसने सोचा माँ को यहाँ बुला ले तो यहाँ आराम से रह लेगी।  इतने नौकर चाकरों में वह भी कुछ काम कर लेगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा। उसने माँ को बुलवाया।

रानी की माँ आते ही वही बात दुहराने लगी ,

” धीय माई धीय दे , रोटा मायली कोर दे , म्हारो दे पण सारो दे “

( हे लड़की , मेरी रोटी का टुकड़ा दे दिया , मेरी रोटी मुझे साबुत दे )

रानी ने सोचा कहीं सब को पता ना चल जाये की मैंने अपनी माँ को इस तरह महल में बुलाया है। मुसीबत हो सकती है।

उसने माँ को चुपचाप एक कमरे में रहने को कहा। बाहर से ताला लगा दिया।

रानी की देवरानी जेठानी व अन्य रानियाँ राजा से कहने लगी कि नई रानी का व्यवहार संदेह पैदा करता है।  एक औरत महल में घुसी थी पर वह वापस नहीं निकली ।

छोटी रानी यह सुन लिया। वह सूर्य भगवान से इस विपत्ति से बचाने की प्रार्थना करने लगी। राजा ने वहाँ आकर उस कमरे की चाबी मांगी। राजा ने कमरा खोला तो वहाँ सोने की एक मूर्ति थी ।

राजा ने पूछा यह मूर्ति कहाँ से आई है ?

रानी ने कहा –  मेरे गरीब से पीहर का उपहार है। ( suraj bhagvan ki katha …. )

राजा ने कहा तुम्हारे गरीब पीहर से इतने कीमती उपहार आते हैं। मुझे तुम्हारा पीहर देखना है। हम वहाँ चलेंगे।

रानी ने फिर सूरज भगवान मदद मांगी। सूरज भगवान ने कहा कि मैं सवा पहर की व्यवस्था तो कर दूँगा लेकिन फिर मुझे नगरी में उजाला करने जाना होगा।

सूर्य भगवान ने जंगल में माया नगरी बसा दी। महल , झरोखे , बाग बगीचे , रिश्तेदार आदि सब माया से बना दिए। महल की रसोई में कई प्रकार के व्यंजन बन रहे थे।

सबसे मिलकर और खा पीकर रानी ने राजा से वापस चलने को कहा। राजा ने कहा – जल्दी क्या है , थोड़ा आराम कर लें। रानी ने बड़ी मुश्किल से राजा को वापस चलने के लिए मना लिया और वे रवाना हो गए।

थोड़ी दूर जाने के बाद राजा को ध्यान आया कि उनकी कटार वहीं रह गई है। राजा ने सेवक को कटार लाने भेज दिया। सेवक वहाँ गया तो देखा कि वहाँ जंगल के सिवा कुछ भी नहीं था। कटार झाड़ी में पड़ी मिली। कटार लेकर सेवक आया और उसने यह सब राजा को बताया।

राजा को पहले ही शक था। उसने तलवार निकाल ली और गुस्से में आकर रानी से सच बताने को कहा।

रानी ने सब कुछ सच सच कह डाला और सूरज भगवान की कृपा और मदद के बारे में भी बताया। यह सब सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और रानी को सूरज रोट का व्रत अच्छे से करने को कहा। रानी का मान और बढ़ गया।

हे सूरज भगवान , जैसा सुख उस लड़की को मिला वैसा ही सुख यह कहानी कहने और सुनने वाले को भी प्राप्त हो।

बोलो सूरज भगवान की जय ….. !!!

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