हकलाना दूर करके आत्मविश्वास बढ़ाएं – Stammering Reasons And Cure

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हकलाना Stammering / Stuttering एक आम समस्या है। यह समस्या दुनिया भर में मौजूद है। दुनिया में लगभग 1 .5 % लोग इस समस्या से ग्रस्त है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह समस्या अधिक होती है।

हकलाना बचपन में शुरू होता है। ज्यादातर दो साल से सात साल की उम्र में। तब इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता। बचपन में दो से पांच साल की उम्र में बच्चे में बोलने की क्षमता विकसित होती है। इस समय का हकलाना या तुतलाना आदि सामान्य होता है जो अधिकतर अपने आप ठीक हो जाता है।

लेकिन 10 वर्ष की उम्र के बाद भी यह हकलाहट बनी रहती है तब चिंता का विषय बन जाता है। अधिक उम्र तक हकलाहट बने रहने पर सामाजिक , भावनात्मक , तथा मनोवैज्ञानिक परेशानियां  पैदा हो सकती है।

जब बोलते समय अटकते है , किसी विशेष शब्द के उच्चारण में दिक्कत आती है , किसी शब्द को बोलने की कोशिश में बार बार वह शब्द दोहराया जाता है तो या बोला ही नहीं जाता तो इसे हकलाना Stammering , stuttering  कहते है।

अधिकतर किसी दबाव, तनाव या अधिक उत्साहित होने की अवस्था में किसी विशेष शब्द का उच्चारण नहीं हो पाता।  फ़ोन पर बात करते समय , किसी बड़े व्यक्ति से बात करते समय , किसी ग्रुप में बोलते समय या इंटरव्यू आदि के समय यह परेशानी अधिक होती है।

हकलाने वाला व्यक्ति को गाना गाते समय कोई विशेष परेशानी नहीं होती। क्योंकि गाना गाते समय शब्दों के इस्तेमाल और उसे काम में लेने के समय को लेकर दिमाग में कोई अनिश्चितता या किसी तरह का दबाव या तनाव नहीं होता है।

जबकि बातचीत के समय शब्दो का चयन गड़बड़ा जाने से हकलाहट होने लगती है। घबराहट या दबाव के समय यह गड़बड़ी ज्यादा होती है।

हकलाने वाले व्यक्ति को यह पता होता है कि उसे क्या बोलना है परंतु कुछ क्षणों तक बोल नहीं पाता और इस कोशिश में बार बार शब्द को दोहराना , शब्द को लंबाना या आवाज बंद हो जाना हो जाता है।

हकलाहट के कारण ऐसे व्यक्ति सिर्फ बोलने में पीछे हो सकते है। लेकिन इससे उनकी अन्य विशेषताएं प्रभावित नहीं होती। बोलने के अलावा दूसरे सभी क्षेत्रों में वे एक बिल्कुल सामान्य होते है। बल्कि हकलाने वाला व्यक्ति अधिकतर ज्यादा बुद्धिमान और भावुक होता है।

हकलाने के कारण – Stammering Reasons

बोलने की प्रक्रिया में सिर्फ जीभ काम नहीं आती बल्कि इसमे मानसिक और शारीरिक दोनों प्रक्रियाओं का सामंजस्य और मेल होता है। किसी भी मांसपेशी को हिलाने या चलाने में दिमाग द्वारा नियंत्रित कुछ इलेक्ट्रो – केमिकल प्रक्रिया का समावेश होता है।

इसी प्रकार बोलने की प्रक्रिया में भी यह प्रक्रिया शामिल होती है। भावनात्मक आवेश के समय यह प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है। डर , गुस्सा , उत्साह , आश्चर्य जैसी परिस्थिति में बातचीत करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह सभी के साथ होता है। परंतु हकलाने की समस्या से ग्रस्त लोगों को यह  परेशानी ज्यादा होती है।

अनुवांशिकता हकलाने का कारण हो सकता है। यानि यदि परिवार में कोई हकलाता है तो अन्य भी इससे ग्रस्त हो सकते है। ज्यादातर पिता के हकलाने का असर पुत्र पर पड़ सकता है। यह बच्चे को 5 साल की उम्र में शुरू होने की संभावना होती है। अगर इलाज नहीं किया जाये तो यह बढ़ती चली जाती है और उम्र भर की परेशानी बन सकती है।

बच्चों में शारीरिक कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते है। जैसे :-

—  बोलने में काम आने वाली मांसपेशियों पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं  होना।

—  बोलने के अंग में कुछ खराबी।

—  न्यूरो सम्बंधित परेशानी।

—  जीभ या होठों को चलाने में परेशानी।

कभी कभी हकलाने की समस्या जीभ की बनावट में कुछ खराबी के कारण भी हो सकती है । ऐसे में एक छोटी प्लास्टिक सर्जरी से जीभ की बनावट में सुधार करके इसे ठीक किया जा सकता है।

हकलाने का उपचार – Treatment of  Stammering

हकलाना कोई बीमारी नहीं है। हकलाना दूर करने के लिए समस्या के प्रति नजरिया बदलने  तथा वैज्ञानिक तरीके से स्पीच थेरेपिस्ट से ट्रेनिंग लेकर लगातार अभ्यास करने से बहुत लाभ होता है। आत्म विश्वास और धैर्य के साथ प्रयास करने से यह समस्या दूर हो सकती है। इसमें समय अवश्य लगता है लेकिन यह ठीक होने का सही रास्ता है।

हकलाने की आदत की वजह से आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। खुद पर विश्वास पैदा करना बहुत जरुरी होता है। अतः हिम्मत जुटा कर किसी भी तरह इस पर काबू पाने के प्रयास करने चाहिए ।

गहरी साँस लेने से तनाव कम हो जाता है। अतः जब भी घबराहट जैसा महसूस हो तो गहरी  साँस लेकर खुद को शांत बनाये रखना चाहिए। हकलाहट पर काबू पाने में मदद मिलती है।

यदि बड़ी उम्र में बोलने से सम्बंधित समस्या पैदा हुई हो तो ENT डॉक्टर से , न्यूरोलॉजिस्ट , या मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह करनी चाहिए इसके बाद स्पीच थेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए। कुछ थेरेपिस्ट एक्युपंचर , योगासन , प्रणायाम आदि से हकलाने का उपचार करते है।

स्पीच थेरेपिस्ट से जरूर मिलना चाहिए। जो हकलाने की सही वजह को पहचान कर उसे ठीक करने सम्बंधी सही तरीके की दवा , या एक्सरसाइज़ बता सकता है या किसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता हो तो बता सकता है। शारीरिक रूप से कोई विकार हो तो सर्जरी के लिए डॉक्टर की मदद जरुरी हो जाती है।

परिवार का सहयोग हकलाहट के उपचार में बहुत सहायक हो सकता है। परिवार के सदस्यों को तनाव दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए :-

1 . हकलाने वाले व्यक्ति के साथ कठोरता से पेश नहीं आना चाहिए।

2 . हकलाने वाले व्यक्ति की बात धैर्य पूर्वक सुननी चाहिए।

3 . किसी और को शब्द या वाक्य पूरा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

बच्चे यदि हकलाते है तो माता पिता को चाहिए की इस अवस्था को शांतिपूर्ण तरीके से संभाले। बच्चे को डाँटना , गुस्सा करना या पिटाई करके दबाव बनाना इस समस्या का हल बिल्कुल नहीं है।

बच्चों को इस आदत से दूर करने के लिए घर में हंसी ख़ुशी का वातावरण होना चाहिए ना कि तनावपूर्ण। और बच्चे को अपनी बात निसंकोच कहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

हकलाते हुए व्यक्ति पर हँसना नहीं चाहिए ना ही उसका मजाक बनाना चाहिए। इससे उसके आत्मविश्वास को बहुत चोट पहुंचती है और वह व्यक्ति उस समस्या में अधिक डूब जाता है। बल्कि धैर्य पूर्वक उसे सुनकर उसका हौसला बढ़ाना चाहिए।

हकलाना सुधारने के लिए एक्सरसाइज

Exercise For Stammering

एक्सरसाइज़ के द्वारा हकलाहट में सुधार किया जा सकता है। इसके द्वारा बोलने में काम आने वाले अंगों को जैसे जीभ,  होंठ , जबड़े , फेफड़े और गले को ताकत मिले यह प्रयास रहता है। कुछ विशेष योगासन इस समस्या को दूर करने में बहुत सहायक होते है। इन्हें सीख कर रोज अभ्यास करना बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

ॐ उच्चारण : प्रतिदिन 12 -15 बार ॐ का उच्चारण सुबह शाम करना चाहिए। इसके लिए शांत मन से पालथी लगा कर बैठ जाएँ। दोनों हाथ सीधे करके घुटने पर टिका लें। आँख बंद करके नाक से गहरी साँस लें।

जितना लंबा हो सके ॐ का उच्चारण करें। कोशिश करें कि ॐ के स्पंदन नाभि तक महसूस हो। ये स्पंदन नाभि से शुरू करके गले तक लाने का प्रयास करना चाहिए। म अक्षर का उच्चारण भी थोड़ा लंबा रखने की कोशिश करनी चाहिए। संभव हो तो यह किसी योग विशेषज्ञ से सीख लें। यह बहुत लाभदायक है।

एक्सरसाइज 1: जबड़ा जितना हो सके पूरा खोलें। जीभ का सिरा ऊपर के तालु से लगाएं। अब इसे सरकाते हुए जहाँ तक संभव हो गले तक ले जाएँ। वहां कुछ सेकण्ड रोक कर रखें।

इसके बाद जीभ को बाहर निकलते हुए ठोड़ी की तरफ जितना सम्भव होले जायें । कुछ सेकण्ड रुकें फिर वापस जीभ को पहले की तरह अंदर ले जाकर कुछ सेकण्ड रोकें। इस प्रकार 4 -5 बार यह एक्सरसाइज़ दोहराएं।

एक्सरसाइज 2 : तेज आवाज में बोल बोल कर कुछ लिखा हुआ पढ़ें। जल्दी जल्दी पढ़ने की कोशिश करें। भले ही कुछ गलत बोलने में आ जाये। सिर्फ गति पर ध्यान दें। 2 -3 महीने इस प्रकार अभ्यास करने से किसी भी शब्द पर अटकना कम हो जाता है।

एक्सरसाइज 3 : कांच में देखकर सामने किसी दूसरे व्यक्ति की कल्पना करके कुछ भी बोलें। या परिवार के किसी सदस्य के सामने बोलें। यह अभ्यास रोजाना 15 -20 मिनट करें। लगातार कुछ समय ऐसा करने से झिझक खत्म होकर हकलाना कम हो सकता है।

एक्सरसाइज 4 : रोजाना गाना गाने का अभ्यास करें। इससे भी हकलाना कम हो जाता है। इससे साँस पर तथा मांसपेशियों पर नियंत्रण बढ़ता है।

हकलाना मिटाने के घरेलु नुस्खे

Gharelu Nuskhe For Stammering

—  वच मीठी , कूठ मीठी , असगंध , छोटी पीपल ( ये सभी पंसारी के यहाँ मिल जायेंगे ) समान मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से एक ग्राम चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटें। दिन में एक बार कुछ समय इसके उपयोग से हकलाना मिटता है और आवाज अच्छी होती है।

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—  एक  चम्मच सौंफ को कूटकर एक गिलास पानी में उबाल लें। एक कप रह जाये तब छानकर इसने मिश्री और एक कप गाय का दूध मिलाकर पिए। यह रोजाना रात को सोते समय कुछ दिन लगातार पीने से हकलाना ठीक होता है।

—  सात गिरी बादाम और सात काली मिर्च को पीस कर चटनी बना लें। इसमें थोड़ी मिश्री मिलकर चाट लें। खाली पेट कुछ समय इसे लेने से हकलाने की समस्या दूर होती है।

—   दिन में दो बार दो काली मिर्च मुंह में रखकर चूसें। लंबे समय तक रोजाना काली मिर्च चूसकर खाने से हकलाना और तुतलाना ठीक हो जाता है।

—  एक हरा आंवला रोजाना चबाकर खाने से हकलाना और तुतलाना मिटता है।

यह समस्या दूर करना शायद आसान नहीं है लेकिन असंभव भी नहीं है। धैर्य के साथ कोशिश करते रहने से अच्छे परिणाम अवश्य मिल सकते है।

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