अशोक वृक्ष Ashok Vriksh या अशोक का पेड़ Ashok tree एक पवित्र , पूजनीय और औषधीय पेड़ है। वास्तु के अनुसार यह सुख समृद्धि और धन धान्य को प्रभावित करने वाला पेड़ है और सही स्थान पर अशोक का पेड़ लगाने से बहुत से लाभ मिल सकते हैं।
आइये जानते है अशोक का पेड़ औषधियों में किस प्रकार उपयोग किया जाता है तथा कैसे वास्तु के अनुसार अशोक का पेड़ धनवान बनाये रख सकता है।
अशोक के पेड़ सभी जगह पाये जाते हैं। इसका बोटनिकल नाम साराका असोका saraca asoca है। इसे संस्कृत में हेमपुष्प या ताम्रपल्ल्व , मराठी में अशोपक , गुजराती में आसोपालव और बंगाली में अस्पाल कहते हैं।
अशोक वृक्ष – Ashok Vriksh
यह आम के पेड़ जैसा उससे कुछ छोटा पेड़ होता है। अशोक के पत्ते शुरू में ताम्बे के रंग जैसे होते हैं जो बाद में गहरे हरे रंग के हो जाते हैं।
वसंत ऋतु में यानी मार्च-अप्रैल के महीने में अशोक के पेड़ में सुनहरी लाल रंग के खुशबूदार फूल आते हैं जो बाद में सुर्ख लाल रंग के हो जाते है। ये फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं।
इस रंग के फूल की वजह से इसे हेमपुष्पा Hempushpa के नाम से भी जाना जाता है। ताम्बे जैसे पत्ते के कारण इसे ताम्रपल्ल्व Tamrpallv भी कहा गया। इसमें आठ से दस इंच की फलियां लगती हैं जिनमे बीज होते हैं।
असली अशोक का पेड़ और नकली अशोक का पेड़
Real and duplicate Ashok vriksh
कुछ अन्य पेड़ अशोक जैसे दिखाई देते हैं लेकिन उनमें औषधीय गुण नहीं होते। असली अशोक और नकली अशोक में फर्क पहचानने के लिए लाल रंग के खुशबूदार फूल महत्वपूर्ण संकेत होता है। दूसरे अशोक जैसे पेड़ों में पीलापन लिए सफ़ेद रंग के फूल लगते हैं।
अशोक के वृक्ष की छाल का मुख्य रूप से आयुर्वेदिक दवा में उपयोग होता है। इसके फूल , बीज और जड़ भी दवा बनाने में काम आते हैं।
अशोक के पेड़ की छाल में पाए जाने वाले तत्व
Chemicals in Ashok vriksh bark
आयुर्वेदिक दवा में अशोक के पेड़ की छाल सबसे अधिक काम आती है। यह छाल कसैली और रूखी होती है और इसकी तासीर ठंडी होती है। अशोक की छाल में बहुत से महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जिनका औषधीय प्रभाव पड़ता है। इसमें टैनिन , कीटोस्टेरोल , ग्लाइकोसाइड , सैपोनिन तथा मैग्नीशियम , आयरन और कैल्शियम के कंपाउंड आदि पाए जाते हैं।
अशोक वृक्ष के औषधीय उपयोग
Medicinal uses of Ashok vriksh
अशोक की छाल से आयुर्वेद की उत्कृष्ट दवा ‘ अशोकारिष्ट ‘ बनाई जाती है। यह स्त्री रोगों , श्वेत प्रदर , रक्त प्रदर , गर्भाशय की कमजोरी, हार्मोन के असंतुलन , गर्भाशय में गांठ , माहवारी के समय दर्द और अधिक रक्तस्राव आदि में काम आती है। गर्भाशय को मजबूत करने के लिए टॉनिक बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
अशोक की छाल रक्तपित्त , खुनी बवासीर तथा मूत्र रोगों की दवा बनाने में काम आती है।
अशोक की छाल डिसेंट्री , वात के कारण शरीर में दर्द , स्किन की एलर्जी आदि के उपचार में काम आती है।
यह त्वचा का रंग उजला बनाती है , सूजन दूर करती है तथा रक्त विकार दूर करती है।
बिच्छू के डंक मारने पर अशोक की छाल लगाई जाती है , जो दर्द कम करती है।
इसके उपयोग से अशोक धृत भी बनाया जाता है। जो टॉनिक के रूप में दिया जाता है।
योनि की शिथिलता दूर करके योनि को टाइट करने के लिए अशोक की छाल का उपयोग किया जाता है।
अशोक के सूखे फूल का पाउडर डायबिटीज में लाभदायक होता है।
अशोक के बीज गुर्दे की पथरी और पेशाब सम्बन्धी बीमारी में काम आते हैं।
अशोक वृक्ष का धन पर प्रभाव वास्तु के अनुसार
Ashok vriksh and Vastu effects
मांगलिक और धार्मिक कार्य में अशोक के पत्तों का उपयोग पुराने समय से किया जाता रहा है। आज भी शुभ कार्य के समय अशोक के पत्तों से बनी हुई बांधनवार दरवाजे पर बाँधी जाती है।
पूजा में काम आने वाले कलश पर अशोक के पत्ते रखे जाते हैं। वास्तुशास्त्र के जानकारों ( Astrologer ) के अनुसार अशोक वृक्ष का मानव की सुख समृद्धि पर गहरा प्रभाव होता है जो इस प्रकार है –
— अशोक का पेड़ घर पर लगाने से तथा अशोक का पेड़ पानी से रोजाना सींचने से घर में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता। धन में वृद्धि होती रहती है।
— रविवार के दिन अशोक की जड़ को गंगाजल से अभिषेक करके तिजोरी में रखने से सफलता के द्वार खुल जाते हैं।
— मुश्किल कार्य पूरा होने की कामना में अशोक के पेड़ की जड़ को तांबे के ताबीज में भरकर विधिपूर्वक धारण करने से लाभ होता है।
— अशोक का पेड़ उत्तर दिशा में लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है तथा सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है।
— अशोक वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके मंत्रोच्चार करने से अभीष्ट फल प्राप्त होता है।
— अशोक वृक्ष में प्रतिदिन पानी डालने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं तथा सभी शोक दूर होते हैं।
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