एंटीऑक्सीडेंट Antioxident और फ्री रेडिकल Free Redicals के बारे में कई बार पढ़ने और सुनने को मिलता है एंटीऑक्सीडेंट्स अनाज , फल व सब्जी में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं इसलिए ये बहुत लाभदायक होते हैं।
शरीर में कई कारणों से फ्री रेडिकल बनते हैं जो नुकसान देह होते हैं। फ्री रेडिकल को एंटीऑक्सीडेंट नष्ट करते रहते हैं। फ्री रेडिकल के बनने और नष्ट होने की प्रक्रिया समान रूप से चलती रहती है।
यदि फ्री रेडिकल अधिक बनते है या एंटीऑक्सीडेंट की संख्या कम पड़ जाती है तो शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। आइए देखें और समझें की ये क्या होते है , क्यों बनते है और इनका शरीर पर क्या पड़ता है।
फ्री रेडिकल कैसे बनते है – How Free Redical Formed
Free Redical kaise bante he
हमारा शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से बना है। कोशिका कई प्रकार के अणुओं से मिलकर बनती है। और अणुओं में परमाणु होते है। अणु और परमाणु वही है जिनसे हमारा परिचय स्कूल में हो चुका है। परमाणु में इलेक्ट्रान , प्रोटोन, न्यूट्रॉन व न्यूक्लियस होते है।
परमाणु के केंद्र यानि न्यूक्लियस में मौजूद प्रोटोन की संख्या के बराबर मात्रा में इलेक्ट्रान होने चाहिए । इलेक्ट्रान केंद्र के चारों और अलग कक्षा में रहते है। यदि किसी कारण से परमाणु में इलेक्ट्रान कम हो जाते है तो किसी दूसरे परमाणु के इलेक्ट्रान को छीन कर या उसके इलेक्ट्रान को शेयर करके इलेक्ट्रान की कमी की पूर्ती की जाती है।
यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रान कम हो जाता है यह बेचेनी के साथ तुरंत जहाँ से भी जिस प्रकार का भी इलेक्ट्रान मिले उसे हासिल करने की कोशिश करता है। ऐसा परमाणु फ्री रेडिकल कहलाता है। अधिकतर यह ऑक्सीजन का परमाणु होता है।
जब यह दूसरे परमाणु का इलेक्ट्रान छीनने में कामयाब हो जाता है तो दूसरे परमाणु के पास इलेक्ट्रान कम हो जाते है तो वह फ्री रेडिकल बन जाता है और यह बैचेनी से इलेक्ट्रान की तलाश में इधर उधर से इलेक्ट्रान पाने के लिए किसी और परमाणु पर हमला बोल देता है।
यह छिना झपटी की क्रिया एक चेन बद्ध प्रक्रिया बन जाती है। इससे कोशिकाओं , डी एन ए तथा प्रोटीन आदि को बहुत हानि पहुंचती है।
फ्री रेडिकल से क्या नुकसान होता है – Damage By Free Redical
Free Redical se nuksan
शरीर में फ्री रेडिकल थोड़ी मात्रा में तो कई प्रकियाओं के कारण बनते रहते है जिनमे से कुछ तो शरीर में बेक्टिरिया और वायरस आदि को मिटाने के लिए भी बनते है। इनका निस्तारण भी आसानी से होता रहता है।
लेकिन कुछ कारणों से जब अत्यधिक मात्रा में फ्री रेडिकल्स बनने लगते है तो शरीर उन्हें संभाल नहीं पाता ना ही इनका निस्तारण कर पाता है। ऐसे में कोशिकाएं तेजी से ख़त्म होने लगती है। जो कई प्रकार के हानिकारक बदलाव तथा बीमारियों के रूप में सामने आता है।
उम्र का प्रभाव भी फ्री रेडिकल्स के कारण होता है। इनके अलावा थकान , सिरदर्द , याददाश्त कम होना , जोड़ों का दर्द , मांसपेशियों का दर्द , त्वचा पर झुर्रियां , सफ़ेद बाल , आखों से कम दिखाई देना , प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाना ये सभी फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले नुकसान हो सकते है।
फ्री रेडिकल बनने का कारण – Reason Of Free Redical
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— प्रदुषण , विकिरण , सिगरेट की धुआं , आदि के कारण फ्री रेडिकल अधिक मात्रा में बन सकते है।
— गलत प्रकार के खान पान विशेष कर तला हुआ भोजन , प्रदूषित हवा , गन्दा पानी , शराब और कीटनाशक आदि भी अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट बनने का कारण हो सकते है।
— पोष्टिक भोजन की कमी विशेषकर जिसमे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है।
— प्रतिरक्षा प्रणाली के काम करने पर फ्री रेडिकल बनते है।
— शरीर के ऊर्जा पैदा करने से फ्री रेडिकल बनते है। ऑक्सीजन की मदद से ग्लूकोज़ को ऊर्जा में बदला जाता है। इस प्रक्रिया में फ्री रेडिकल भी बनते है।
— धूप के कारण फ्री रेडिकल बनते है। धूप से त्वचा सूखी और झुर्रियों वाली हो जाती है जो फ्री रेडिकल के कारण होती है। बहुत अधिक धूप में रहने से त्वचा का कैंसर भी हो सकता है।
— तनाव से अत्यधिक मात्रा में फ्री रेडिकल पैदा होते है। तनाव से बनने वाले हार्मोन भी फ्री रेडिकल बनने का कारण बनते है।
— किसी दवा के प्रभाव से फ्री रेडिकल बन सकते है।
कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जानें।
एंटीऑक्सीडेंट्स क्या होते है – What Are Antioxidents
Antioxident Kya Hote He
एंटी ऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स को अपना इलेक्ट्रान देकर छीना छपटी की प्रक्रिया को बंद कर देते है। एंटीऑक्सीडेंट की खास बात यह होती है की यह इलेक्ट्रान देने के बाद भी शांत रहते है और ये फ्री रेडिकल में नहीं बदलते है। इस प्रकार ये कोशिका और टिशू आदि को होने वाले नुकसान और बीमारियों से शरीर को बचा लेते है।
एंटी ऑक्सीडेंट एक प्रकार से फ्री रेडिकल्स की सफाई का काम करते है। जिस प्रकार फायबर आँतों की सफाई का काम करते है उसी तरह ये काम करते है। विटामिन E , विटामिन C , बीटा केरोटीन , लायकोपीन , फीटो न्यूट्रिएंट्स आदि कुछ जाने माने एंटीऑक्सीडेंट्स है। कुछ मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर में भी बनते है।
एंटीऑक्सीडेंट – विटामिन E
विटामिन E फैट सॉल्युबल एंटीऑक्सीडेंट्स होता है। यह फ्री रेडिकल्स की चेन प्रक्रिया तोड़ने में सर्वाधिक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स है। ह्रदय की रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमने की एक वजह फ्री रेडिकल भी होते है। विटामिन E इस क्रिया को रोकता है। कोलस्ट्रोल को धमनियों में जमने से बचाता है।
बादाम , मूंगफली , सूरजमुखी के बीज , जैतून , करोंदे , हरी शिमला मिर्च , पालक , ब्रोकली , पपीता , चुकंदर के पत्ते , शलजम , कीवी फल आदि से विटामिन E पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट – विटामिन C
विटामिन C पानी में घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह विशेष कर प्रदूषण और सिगरेट की धुआं से पैदा होने वाले फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करता है। यह विटामिन E को पुनः शक्ति देने का काम भी करता है। इससे कैंसर होने की सम्भावना कम हो जाती है।
अमरुद , पपीता , संतरा , अनानास तथा आँवला , लाल व हरी मिर्च , टमाटर , चुकंदर , लहसुन , खीरा , बेर , नीम्बू , हरा प्याज आदि विटामिन C के अच्छे स्रोत होते है।
एंटीऑक्सीडेंट किसमें होते है – Source Of Antioxidents
Antioxident kisme hote he
दवा के रूप में एंटीऑक्सीडेंट लेने की अपेक्षा भोजन में एंटीऑक्सीडेंट शामिल करना अधिक लाभदायक पाया गया है। इन्हें दवा के रुप में लेने से साइड इफ़ेक्ट हो सकते है। जबकि प्राकृतिक भोजन में एंटीऑक्सीडेण्ट्स के अलावा भी कई प्रकार के पोषक तत्व होते है।
जहाँ तक संभव हो इनकी पूर्ति भोजन द्वारा ही करनी चाहिए। भोजन के द्वारा सभी प्रकार एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त किये जा सकते है। इनके स्रोत इस प्रकार के हो सकते है :–
रंग बिरंगे फल तथा सब्जियां — सेब , अंगूर , केला , स्ट्राबेरी , आलू बुखारा , चेरी , चुकंदर , बैगन , गोभी , शकरकंद , पालक , अदरक आदि
सूखे मेवे — अखरोट , पिस्ता , काजू , बादाम , किशमिश आदि में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते है।
इसके अलावा राजमा , सोयाबीन , गेहूं के जर्म तथा मसाले जैसे काली मिर्च , दालचीनी , राई , हल्दी आदि में भी एंटीऑक्सीडेंट्स होते है।
अतः फल , सब्जी , मेवे , मसाले आदि भोजन में जरूर शामिल करने चाहिए।