टोन्सिल की परेशानी दूर करने के उपाय – Tonsillitis Cure

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टोन्सिल Tonsil की परेशानी एक आम समस्या हैं और ये कभी न कभी सबको होता है। वैसे तो टोन्सिल की परेशानी  किसी भी उम्र में हो सकती है परन्तु बचपन में कुछ ज्यादा होती है। आइये जानें इसका उपाय।

टोन्सिल गले में मौजूद ग्रंथिया होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक कार्य प्रणाली का हिस्सा है। टोन्सिल हमारे शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।

जब मुंह से किसी प्रकार के बेक्टिरिया या वायरस प्रवेश करने  करते हैं तो टोन्सिल उन्हें रोक देते है। यह काम टोन्सिल श्वेत रक्त कणों की मदद से करते है। इससे हम बीमार होने से बच जाते हैं। इस प्रकार टोन्सिल हमें बीमारी से बचाते हैं।टोन्सिल

जब टोन्सिल में संक्रमण हो जाता है तो इसे चिकित्सा की भाषा में टॉन्सिलाइटिस कहते है। आम भाषा में इसे टोन्सिल होना या घाटी बढ़ना Ghati badhna कहते है। इसके कारण गले में दर्द , जलन , सूजन या बुखार हो सकता है।

यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को लगने वाला रोग है। यानि यह रोग कॉन्टेजियस होता है। टॉन्सिल के कारण गले में दर्द या निगलने में परेशानी होने लगती है।

गले में ललास या सूजन सी दिखाई देती है या टोन्सिल पर सफ़ेद रंग के धब्बे भी दिखाई दे सकते है। ये धब्बे कभी कभी कड़क होकर पथरी जैसे बन जाते है। इन्हें टॉन्सिल की पथरी  Tonsil stone कहते है।

टोन्सिल होने का कारण

Tonsil Ke Reason hindi me

टोन्सिल में संक्रमण होने का कारण बेक्टिरिया और वायरस होते है। यदि प्रतिरोधक क्षमता अच्छी ना हो टोन्सिल कमजोर पड़ जाते है और वायरस आदि का मुकाबला नहीं कर पाते। इससे ये संक्रमित हो जाते है और इनमे दर्द होने लगता है।

( इसे भी पढ़ें : वायरस क्या होते हैं और बीमारी कैसे फैलाते हैं )

मौसम बदलने के कारण मार्च और सितंबर में यह अधिक होता है। इस समय रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में  प्रदुषण या धूल मिट्टी के कारण तकलीफ बढ़ जाती है। टॉन्सिलाइटिस होने का कारण सर्दी जुकाम के वायरस भी हो सकते है।

बच्चे स्कूल में या गार्डन में खेलते समय कई प्रकार के बैक्टिरिया या वायरस के संपर्क में आते हैं जिसके कारण उन्हें टॉन्सिलाइटिस होने की संभावना अधिक होती है।

टॉन्सिल तुरंत एक से दूसरे को फैलते है। अतः जिन्हें ये समस्या हो उनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए । अपने हाथ बार बार साबुन से धोने चाहिए। विशेषकर तब जब किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आयें जिसे यह इन्फेक्शन लगा हो या जिसे सर्दी या जुकाम हो रहा हो।

टोन्सिल की परेशानी के लक्षण

Tonsillitis Symptom in hindi

टोन्सिल होने पर कई प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते है। कुछ सामान्य लक्षण में इनमे से कुछ परेशानी महसूस हो सकती है।

—  गले में दर्द , सूजन या चुभन आदि।

—  निगलने में परेशानी या दर्द।

—  बोलने में परेशानी।

—  मुंह से बदबू।

—  बुखार

—  कंपकंपी

—  कान में दर्द

—  सिरदर्द

—  जबड़े के पास या गर्दन पर सूजन और दर्द।

—  गले में टोन्सिल पर सफ़ेद या पीले धब्बे दिखना।

यदि बुखार 103 डिग्री से ज्यादा हो , कमजोरी लगने लगे , गर्दन अकड़ जाये , गले में चुभन और दर्द ज्यादा बढ़ जाये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बार बार टॉन्सिल की परेशानी होने पर गले की जाँच के लिए डॉक्टर द्वारा गले से सैंपल लेकर उसे लेबोरेटरी में चेक किया जाता है और गले में संक्रमण का कारण पता किया जाता है।

जिन लोगों को टॉन्सिलाइटिस लंबे समय तक बना रहता है उनकी नींद नहीं आने की  परेशानी होने लगती है। क्योकि टॉन्सिल के कारण साँस लेने में परेशानी होने लगती है जिससे नींद बार बार टूटती है। कभी कभी टोन्सिल के पीछे पस बन जाता है ऐसी स्थिति में आपरेशन करके पस निकालने की जरुरत पड़ सकती है।

टोन्सिल का उपचार

Tonsillitis Treatment hindi me

यदि इन्फेक्शन और परेशानी कम हो तो विशेष उपचार की जरुरत नहीं होती। घरेलु नुस्खे अपनाने से इसमें आराम मिल जाता है। लेकिन यदि लंबे समय तक तकलीफ रहे तो योग्य चिकित्सक से दवा लेनी चाहिए। दवा डॉक्टर के बताये अनुसार पूरी लेनी चाहिए।

कभी कभी टोन्सिल का आपरेशन करके टोन्सिल निकालने पड़ते है। यह आपरेशन तब किया जाता है जब दवा असर नहीं कर रही हो या लंबे समय से टोन्सिल ठीक नहीं हो रहे हों अथवा बार बार टॉसिल की परेशानी होती है। इस आपरेशन को टॉन्सिलैक्टोमी कहते हैं।

टोन्सिल होने पर घरेलु  उपाय

Ghrelu Nuskhe For Tonsil in hindi

—  एक गिलास गुनगुने पानी में चौथाई चम्मच नमक मिलाकर गरारे करें। यह गरारे दिन में तीन चार बार करने चाहिए।

—  एक चम्मच शहद में एक चुटकी दालचीनी का पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार चाटें। आराम मिलेगा।

—   एक गिलास गुनगुने पानी में चौथाई चम्मच सेंधा नमक और चौथाई चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर कर गरारे करने इस टॉन्सिल ठीक होते है।

—  पानी में अजवाइन उबाल कर छान लें। इस पानी से गरारे करने से टॉन्सिल में आराम मिलता है।

—  चिकनाई युक्त और तीखा खाना ना खाएँ। तली हुई चीजें ना खायें विशेषकर बाजार के तो बिल्कुल नहीं।

—  गर्म पेय लेने चाहिए जैसे चाय , कॉफी , सूप , आदि ।

—  दिन में तीन बार 5 पत्ते तुलसी , 5 काली मिर्च और थोड़ी अदरक पानी में उबाल कर गुनगुना पियें।

—  तुलसी , पुदिना , अदरक उबाल लें। छान कर गुनगुना रहने पर थोड़ा शहद मिलकर पियें। दिन में तीन बार लें।

—  एक गिलास पानी में चौथाई- चौथाई चम्मच हल्दी , सेंधा नमक और  बायबिडंग ( पंसारी के यहाँ मिलती है ) डालकर उबाल लें। इसे छान लें। सहन होने लायक गर्म रहे तब इस पानी से गरारे करें। इस प्रकार रात को सोते समय और दिन में दो बार गरारे करें। इससे टॉन्सिल ठीक होते है।

—  खूब पानी पीना चाहिए और रेस्ट करना चाहिए। इससे टॉन्सिल जल्दी ठीक होते है।

—  सूखी और ठंडी हवा से बचें।

—  धूम्रपान न करें।

इन्हें भी जानें और लाभ उठायें : 

पसीना ज्यादा आना / कब , किसके साथ , क्या नहीं खाना चाहिए / पेट में कीड़े / गन्ने का रस / सफ़ेद मूसली / गर्भ निरोधक साधन के फायदे नुकसान / मानसिक तनाव / परीक्षा के समय बच्चे की मदद / विटामिन डी  / डायबिटीज