तीज का त्यौहार Teej ka tyohar मनाने का अवसर सावन और भाद्रपद के महीनो में तीन बार मिलता है। ये है – हरियाली Hariyali , कजली या सातुड़ी badi teej तथा हरतालिका तीज Hartalika Teej । यहाँ जानिए इनके बारे में विस्तार से ।
इस वर्ष ये तीनों तीज इन तारीखों ( Teej Dates 2022 ) को आएँगी।
हरियाली तीज , छोटी तीज 2022 date
31 जुलाई रविवार
सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
सातुड़ी तीज , कजली तीज , बड़ी तीज date 2022
14 अगस्त रविवार
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि
हरतालिका तीज date 2022
30 अगस्त मंगलवार
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
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तीज के त्योहारों का इंतजार महिलाओं को हमेशा रहता है। बारिश का मौसम होने से वातावरण सुहाना हो जाता है। चारों तरफ हरियाली फैल जाती है। मन में उल्लास और उमंग जग जाते है। ऐसे में Teej के त्यौहार को मनाने का आनंद बहुत बढ़ जाता है।
उत्तर भारत और पश्चिमी भारत के राज्य राजस्थान , पंजाब , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और बिहार में Teej बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। नेपाल में भी Teej का त्यौहार मनाया जाता है।
हरियाली , श्रावणी या सिंजारा तीज
Hariyali Teej / Shravani Teej / Sinjara Teej
हरियाली तीज को श्रावणी या सावन की तीज ( sawan ki teej ) भी कहते है। सावन का महीने में शिवजी की पूजा का बहुत महत्त्व होता है। हरियाली Teej भी शिवजी और माता पार्वती को समर्पित होती है।
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महादेव शिवजी और देवी पार्वती का पुनर्मिलन Hariyali Teej मनाने का विशेष कारण है। देवी पार्वती ने महादेव को पाने के लिए बहुत जन्मों तक कठोर तप किया था। इस Teej के दिन महादेव ने देवी पार्वती को अपनाकर पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
महिलाएं इस दिन व्रत या उपवास ( Fast ) रखती है। देवी पार्वती की पूजा करके आशीर्वाद लेती है और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मंगल कामना करती है। देवी पार्वती को teej mata के नाम से पुकारा जाता है।
कुआंरी लड़कियां शिवजी जैसे वर की कामना में ये व्रत Fast और पूजा करती हैं।
इस दिन महिलाएं लहरिया के डिज़ाइन वाले रंग बिरंगे वस्त्र पहनती है जिसमे पीले , हरे , लाल ,नीले , गुलाबी आदि चटक रंगों का समावेश होता है। जिसे देखकर आसानी से महिलाओं के उत्साह का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नवविवाहित कन्या को इस Teej पर माता पिता और सास ससुर की और से कई प्रकार के तोहफे ( Gifts ) दिए जाते है। नए कपड़े , जेवर , चूड़ियां , पायल , बिंदी , मेहंदी , फल , मिठाई आदि दिए जाते है।
राजस्थान में Teej का त्यौहार बड़े उमंग के साथ मनाया जाता है। राजस्थान में Teej पर सबसे खास स्वादिष्ट मिठाई घेवर का आनंद उठाया जाता है। सास इस दिन नई बहु को कई प्रकार के तोहफे देती हैं जिसमे घेवर और जेवर अवश्य शामिल होते है।
इस गिफ्ट को सिंजारा कहते है। इसलिए इस Teej को सिंजारा तीज Sinjara teej के नाम से भी जानते है। महिलाएं मेहंदी के विभिन्न डिज़ाइन से हाथों और पैरों को सजाती है। खूब मौज मस्ती करती है। बगीचों में पेड़ों पर बड़े बड़े झूलों पर झूला झूलती है।
राजस्थान में जयपुर में इस दिन Teej Mata की पारंपरिक और शाही सवारी गाजे बाजे के साथ निकाली जाती है। ये सवारी जनानी ड्योडी से रवाना होकर छोटी चौपड़ , गणगौरी बाजार , चौगान स्टेडियम होती हुई तालकटोरा पहुंचती है। दूसरे दिन भी इसी तरह से शाही सवारी निकाली जाती है।
जयपुर के आराध्य देव गोविन्ददेव जी को Teej पर विशेष लहरिया वस्त्र से सजाया जाता है। जयपुर का Teej त्यौहार पूरे विश्व में मशहूर है। हजारों की संख्या में लोग इस उत्सव को देखने के लिए इकट्ठे होते है।
सातुड़ी तीज , कजरी तीज , बड़ी तीज
Satudi Teej / Kajri Teej / Badi Teej
रक्षा बंधन के तीन दिन बाद सातुड़ी तीज आती है। इसे बड़ी या कजली तीज भी कहते है। यह कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आती है।
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इस दिन नीम की पूजा की जाती है। राजस्थान के बूंदी शहर में Kajli Teej का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।पालकी को सजाकर उसमे Teej Mata की सवारी नवल सागर से शुरू होती है। इसमें हाथी , घोड़े , ऊंट , तथा कई लोक नर्तक और कलाकार हिस्सा लेते है।
विदेशी लोग बड़ी संख्या में बूंदी के Teej Festival का आनंद उठाने यहाँ पहुंचते है।
महिलाएं और लड़कियां इस दिन परिवार के सुख शांति की मंगल कामना में व्रत ( फास्ट ) रखती है। इस दिन सुबह जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर धम्मोड़ी यानि हल्का नाश्ता करने का रिवाज है। जिस प्रकार पंजाब में करवा चौथ के दिन सुबह सरगी की जाती है। इसके बाद कुछ नहीं खाया जाता और दिन भर व्रत ( Fast ) चलता है।
शाम को Teej की पूजा करके कजरी तीज की कथा कहानी कहानी सुनी जाती है।
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इसमें नीमड़ी माता की पूजा करके नीमड़ी माता की कहानी भी सुनी जाती है।
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चाँद निकलने पर उसकी पूजा की जाती है। चाँद को अर्क दिया जाता है। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है।इसके बाद सत्तू के पकवान खाकर व्रत , फास्ट तोड़ा जाता है।
इस Teej पर विभिन्न प्रकार के सत्तू के लडडू व पकवान आदि बनाए जाते जिन्हे खाकर व्रत तोड़ा जाता है । इसलिए यह सातुड़ी तीज भी कहलाती है। सत्तू बनाने के लिए जौ , चना , गेहूं , चावल आदि का उपयोग होता है । इसे बनाना बहुत आसान होता है और ये आसानी से पचने वाला पोष्टिक नाश्ता या आहार होता है।
सत्तू बनाने के लिए जिसका भी सत्तू बनाना हो उसे भूनकर पीस लेते है। ये पाउडर सत्तू कहलाता है। अब इसमें स्वाद के अनुसार घी और बुरा मिलाकर लडडू बना लेते है। कुछ लोग सत्तू के लडडू अच्छा वार या तिथि देखकर बनाते है।आजकल तैयार सत्तू के लडडू भी बाजार में मिल जाते है।
बड़ी तीज के व्रत का उद्यापन भी बड़ी श्रध्दा और उत्साह के साथ किया जाता है।
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हरतालिका तीज – Hartalika Teej
हरतालिका Teej शिव और पार्वती के रोचक घटनाक्रम के दिन को समर्पित पूजा है। इस दिन भी महिलाएं और लड़कियां व्रत करके शिवजी और माता पार्वती का आशीर्वाद लेती है और परिवार की सुख शांति की कामना करती है।
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