तुलसी tulsi से हम सभी परिचित है। तुलसी पवित्र एवं पूज्य होती है और हर घर में इसका पौधा लगाया जाता है । एक ऊँचे स्थान पर चबूतरा बना कर Tulsi लगाते है जिसे तुलसी वृन्दावन कहते है ।
मंदिर , बाग बगीचे , लॉन में भी तुलसी लगाई जाती है। कार्तिक के महीने में तुलसी विवाह किया जाता है , तुलसी माता की कहानी सुनी जाती है , तुलसी माता के भजन गीत आरती गाये जाते है। यह पर्यावरण को शुद्ध करती है।
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यह एक ऐसा पौधा है जो दिन के अलावा रात को भी ऑक्सीजन देता है। tulsi में बहुत से रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। इसलिए त्तुलसी की घरेलु नुस्खे और घरेलु उपचार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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tulsi में एक उड़नशील तेल पाया जाता है जो हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता है । इस तेल में यूजीनौल ,ईथर और कर्बरोल होते है। इसके अलावा तुलसि में कई जैव सक्रीय Active Organism रसायन जैसे टेनिन ,सैवोनिन , ग्लाईकोसाइड और एल्केलाइड्स पाए जाते है । तुलसी के बीजों में भी कई तरह के फायदेमंद तत्व पाए जाते है।
घर के सदस्यों को सुबह नहा धोकर पवित्र भाव से तुलसी के पौधे tulsi plant में जल डालकर उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। इस प्रक्रिया से tulsi का उड़नशील तेल फेफड़ो में पहुंच कर फेफड़ो व रक्त को शुद्ध करता है।
इसके बाद एक दो पत्ते tulsi leaf प्रसाद के रूप में खाने चाहिए। पत्ते पेट में पहुँच कर आमाशय को ताकत देते है। रोजाना इस प्रक्रिया से बहुत से रोगों से बचा सकता है।
तुलसी कब नहीं तोडनी चाहिए – Do not pluck Tulsi
— पूर्णिमा , अमावस्या , बारस ( विष्णु पूजा में ) रविवार और संक्रांति के दिन Tulsi नही तोडनी चाहिए।
— त्रिकाल संध्या यानि सुबह , दोपहर और शाम की संधिवेलाओं के समय Tulsi नहीं तोडनी चाहिए ।
— मासिक धर्म के समय स्त्रियों को Tulsi नहीं तोडनी चाहिए।
— घर में मृत्यु हुई हो तब Tulsi नहीं तोडनी चाहिए।
— बिना नहाये और आवश्यकता के बिना Tulsi नहीं तोड़े ।
— तुलसी को रात को नहीं तोडनी चाहिए।
तुलसी लेने की मात्रा व तरीका – How to take Tulsi
— रोजाना के लिए एक दो पत्ते मुँह में रखकर पानी से निगल लेने चाहिए। सामने के दांतों से Tulsi के पत्ते नहीं चबाने चाहिए वर्ना दांत ख़राब हो सकते है।
— किसी रोग के इलाज के समय Tulsi के पते 5 से 10 ग्राम , बीजों का चूर्ण 2 ग्राम और रस एक चम्मच तक लिया जा सकता है।
— ताजे पत्ते उपलब्ध न होने की स्थिति में पत्तों को छाया में सुखाकर भी लिया जा सकता है।
— खाली पेट लिए जाने पर Tulsi अधिक फायदेमंद साबित होती है।
— दूध के साथ Tulsi कभी नहीं लेनी चाहिए । इससे चरम रोग हो सकते है ताजा छाछ व दही के साथ तुलसी ली जा सकती है।
— तुलसी के सेवन से आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद कुछ खाना पीना नहीं चाहिए।
— फल , खट्टी चीजें , लहसुन , प्याज , मूली , नमक , मांसाहार के साथ Tulsi नहीं खानी चाहिए।
— तुलसी की तासीर गर्म होती है अतः गर्मी में कम मात्रा में लेनी चाहिए।
तुलसी के फायदे – Tulsi Benefits
— Tulsi एक ऐसा पौधा है जो दिन के अलावा रात को भी ऑक्सीजन देता है।
— तुलसी के नियमित उपयोग से कभी भी खून की कमी नहीं होती है । हिमोग्लोबिन का स्तर अच्छा बना रहता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। स्फूर्ति बनी रहती है।
— इसके नियमित सेवन से टूटी हड्डियाँ तेजी से जुडती है।
— यह भोजन को पचाने में सहायक होती है।
— Tulsi को वृन्दा भी कहते है क्योकि इसमें विद्युत शक्ति होती है। तुलसि की माला ( लकड़ी की ) गले में पहनने से शरीर में विद्युत्शक्ति का प्रवाह बढ़ता है और रक्त संचार सुधरता है। गले के रोग नहीं होते व चेहरे में निखार आता है। ह्रदय रोग व फेफड़ो के रोगों से भी बचाव होता है।
कमर में Tulsi की माला पहनने से लीवर , आमाशय , तिल्ली और यौन विकार से बचे रहते है।
— सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण के समय खाने में डालने से खाना दूषित नहीं होता। ग्रहण के समय की हानिकारक किरणों से Tulsi बचाव करती है।
— Tulsi के पौधे के पास पढ़ाई करने , विचार करने या परिक्रमा करने से मानसिक चेतना व दिमागी शक्ति का विकास होता है तथा बुरे विचार मन में नहीं आते।
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