दीपावली लक्ष्मी पूजन आसान सही तरीका – Deepawali Lakshmi Poojan

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दिवाली लक्ष्मी पूजन  Diwali Lakshami Pooja हर घर में भक्तिभाव से किया जाता है। साथ गणेश जी का तथा माँ सरस्वती का पूजन भी करते है।

गणेश जी विद्या और बुद्धि के देवता है। बिना विद्या – बुद्धि के संपत्ति का अर्जन और संग्रह नहीं किया जा सकता। बुद्धि के बिना लक्ष्मी नहीं टिकती। इसीलिए लक्ष्मी पूजन Laxmi Pujan के साथ गणेश जी का पूजन भी जरुर करना चाहिए।

कहते है दीपावली वाली रात माँ लक्ष्मी विचरण करती है। माँ लक्ष्मी के स्वागत में और उनके वहाँ बने रहने की कामना में घर को सुन्दर तरीके से सजाया जाता है। घर में रंगोली बनाई जाती है।

दीपक आदि जला कर घर के हर कोने को रोशन करके अँधेरे को दूर किया जाता है। विधि विधान और भक्ति भाव से पूजा की जाती है । इसे स्वास्थ्य , धन धान्य तथा  सुख और समृद्धि देने वाला माना जाता है। आइये जाने दीवाली लक्ष्मी पूजन कैसे करें।

दिवाली लक्ष्मी पूजन

दिवाली लक्ष्मी पूजन की सामग्री : Laxmi Poojan Samagri

लक्ष्मी जी, गणेश जी व देवी सरस्वती वाली तस्वीर या इनकी मूर्ति ।

रोली ,

मौली ,

अक्षत ( साबुत चावल )

फूल माला ,

इत्र ,

चन्दन ,

सुपारी ,

लौंग ,

इलायची ,

पान ,

कपूर ,

अगरबत्ती

मिट्टी के दीपक  ( एक बड़ा अखंड ज्योत के लिए , 12  छोटे )

दीपक के लिए घी और तेल

नारियल ,

गंगा जल ,

दूर्वा ,

पंचामृत ,

जनेऊ ,

खील बताशे ,

लाल कपड़ा ,

चौकी ,

कलश ,

चांदी के सिक्के ,

पांच प्रकार के मेवे ( काजू , बादाम , पिस्ता , खारक , किशमिश आदि )

पांच प्रकार के फल ( अनार , सीताफल , केले , सिंघाड़ा , बेर आदि ) ,

पांच प्रकार की मिठाई ( हलवा , खीर तथा अन्य )

कमल गट्टा ,

हल्दी की गांठ ,

साबुत धनिया ,

कपास के बीज ,

कमल का फूल या गुलाब ,

गन्ना

यदि इनमे से कुछ सामग्री ना जुटा सकें तो कोई बात नहीं , जितनी सामग्री सहर्ष जुटा सकें उसी से भक्ती भावना से  पूजा करें। क्योंकि कहा जाता है भगवान भावना के भूखे होते है , सामग्री के नहीं।

दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि – Lakshmi Poojan Vidhi

दिवाली पूजन

— पूजन करते समय आपका मुँह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।

— पूजा स्थल को साफ करके पाटा या चौकी लगाकर इस पर लाल कपड़ा बिछाएँ।

— लक्ष्मी जी की मूर्ती स्थापित करें।

— दायीं तरफ ( लक्ष्मी जी के बाएँ हाथ की तरफ ) गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।

—  किसी भी पूजन में पहले वरुण Varun  देवता , फिर गणेश जी , फिर नवग्रह Navgrah और फिर शोडष मातृका Shodash matraka का पूजन किया जाता है उसके बाद मुख्य देवी देवता का पूजन होता है।

—  कलश को तीन चौथाई तक शुद्ध जल से भर दें।  इसमें थोड़ा गंगाजल , सुपारी , फूल , अक्षत और एक सिक्का डालें। नारियल को लाल कपडे में लपेटकर लच्छा बांध कर कलश पर रखें यह वरुण देवता ( Varun Devta ) का प्रतीक होता है । इसे लक्ष्मी जी के दाएं हाथ की तरफ स्थापित करें। ( Diwali Laxmi Puja…)

—  कलश की तरफ लाल कपड़े पर चावल से नौ छोटी ढेरी बनायें। ये नवग्रह ( Navgrah ) का प्रतीक हैं।

—  गणेश जी के सामने गेहूं के दानो से सोलह ढेरी बनायें। ये शोडष मातृका ( Sodas Matraka ) का प्रतीक है ।

—  इन चावल व गेहूं की दोनों ढेरियों के बीच स्वस्तिक बनाएं। स्वास्तिक के बीच में सुपारी रखें।

—  दीपक पूजन के लिए  11 छोटे मिट्टी के दीपक में बाती लगाकर तेल भरकर एक थाली में रखें।

—  घी का छोटा दीपक जल कर गणेश जी के सामने रखें। ( Lakshmi Poojan Vidhi …)

— अब बारी बारी से वरुण देवता , गणेश जी , शोडष मातृका तथा नवग्रह का आवाहन ( Avahan ) करके पूजन करें। आवाहन का मतलब है आप जिनका पूजन करना चाहते है उन देवता का ध्यान करें और उनसे निवेदन करें की वो यहाँ पधारकर विराजमान हों। मन में यह विश्वास रखकर कि वे पधार चुके हैं इस प्रकार पूजन प्रारम्भ करें  —

पहले जल छिड़कें और बोलें – स्नानं समर्पयामि

मौली चढ़ायें और बोलें – वस्त्रम समर्पयामि ( गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें )

रौली के छींटे दें बोलें – गन्धकं समर्पयामि

अक्षत चढ़ायें बोलें – अक्षतान समर्पयामि

धूप दिखाएँ बोलें – धूपमाघ्रापयामी

दीपक दिखाएँ बोलें – दीपम दर्शयामि

गुड़ या मिठाई चढ़ाएं बोलें –  नैवेद्यम समर्पयामि ( गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें )

जल के छींटे देकर आचमन कराएँ बोलें – आचमनियां समर्पयामि

पान चढ़ाएं कहें –  ताम्बूलं समर्पयामि

सुपारी या पैसे चढ़ाएं कहें – दक्षिणा समर्पयामि

—  इसी प्रकार 11 दीपक जो थाली में रखें है उन्हें जलाकर उनका भी पूजन करें।

इसके बाद महालक्ष्मी माँ का पूजन आरम्भ करें। ( Deepawali laxmi ji ka pujan … )

—  बड़ा दीपक जला लें। यह रात भर जलना चाहिए अतः इसके लिए बत्ती और घी का उचित प्रबंध कर लें ।

—  माँ लक्ष्मी का ध्यान करें। आवाहन करें। लक्ष्मी जी के चित्र की तरफ अक्षत चढ़ाते हुए इस मन्त्र को बोलें  –

जय जग जननी , जय रमा , विष्णु प्रिया जगदम्ब ।
बेग   पधारो   गेह  मम  ,  करो  न  मातु  विलम्ब ।
पैट  बिराजो  मुदितमन ,  भरो  अखण्ड  भण्डार ।
भक्ती  सहित  पूजन  करुं , करो  मातु  स्वीकार ।

—  एक हाथ में पुष्प , अक्षत और जल व सिक्का लेकर संकल्प करें कि ” मैं पूजा करने जा रहा हूँ और मेरा पूजन सफल हो “। ( Diwali ke din laxmi poojan ki vidhi … )

स्नानं समर्पयामि  कहते हुए जल से स्नान कराएं।

दुग्ध स्नानं समर्पयामि  कहते हुए दूध से स्नान कराएं।

शर्करा स्नानं समर्पयामि  कहते हुए शर्करा से स्नान कराएं।

पंचामृत स्नानं समर्पयामि  कहते हुए पंचामृत के छींटे दें।

जल स्नानं समर्पयामि  कहते हुए एक बार फिर जल से व गंगाजल से स्नान कराएं।

वस्त्रं समर्पयामि  कहते हुए मौली चढ़ाएं। फूल माला पहनाएं। कमल या गुलाब के फूल अर्पित करें।

गन्धकं समर्पयामि  कहते हुए टीका करें। इत्र ,चन्दन आदि चढ़ायें।

अक्षतं समर्पयामि  कहते हुए अक्षत चढ़ाएं।

धूपमाघ्रापयामी समर्पयामि  कहते हुए धूप ,अगरबत्ती खेवें।

दीपम समर्पयामि  कहते हुए दीपक दिखाएँ। ( Deepawali ki Puja .. )

हल्दी , कपास के बीज , कमल गट्टा ,धनिया , गन्ना अर्पित करें।

नैवेद्यम समर्पयामि  कहकर मिठाई , फल , मेवे अर्पित करें।

आचमनियां समर्पयामि  कहते हुए जल से आचमन कराएं।

ताम्बूलं समर्पयामि  कहते हुए पान चढ़ाएं। लौंग , इलायची अर्पित करें।

दक्षिणाम समर्पयामि  कहते हुए सिक्का चढ़ाएं।

हाथ जोड़कर बोलें —

विष्णु  प्रिया सागर , सुता जन जीवन आधार ।
गेह  वास  मेरे  करो  ,  नमस्कार  शत  बार  । ।

 —  सिक्कों का भी इसी प्रकार पूजन करें। अकाउंट रजिस्टर , पेन , या कम्प्यूटर आदि की पूजा करें।

—  अब पूजन में शामिल सभी लोगों को तिलक लगाकर अक्षत लगाएं और दाएं हाथ में मौली बांधें। महिलाऐं खुद के हाथ से चूड़ी पर या माथे पर रोली से बिंदी लगाएं। महिलाओं के बाएं हाथ में मौली बांधें। ( Deepavli ki pooja .. )

—  यथाशक्ति श्री सूक्त , लक्ष्मी सूक्त या कनक धारा स्रोत जो आप करना चाहें पाठ करें।

क्षमा प्रार्थना – Kshama Prarthana

इसके बाद क्षमा प्रार्थना करें।  कहें –

हे माँ , मैं आवाहन , विसर्जन , पूजा कर्म नहीं जानता , मुझे क्षमा करना।  यथा संभव सामग्री के साथ , यथा संभव मन्त्र और विधि से जो पूजन किया है कृपया स्वीकार करना। हे माँ प्रसन्न होकर आशीर्वाद बनाये रखना।

—  अब एक प्लेट या थाली में पान के पत्ते पर कपूर रखकर जलायें।

—  माँ लक्ष्मी जी की भक्ति भाव से गाते हुए आरती गाएँ। आरती जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

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