दूध कैसे कब कितना पिएँ – Milk How and When

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दूध milk का उपयोग हम लोग बचपन से करते आये है। ये भी सुनते आये है कि दूध सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। doodh से बने दही, छाछ, घी , मक्खन, पनीर और मिठाइयाँ आदि का भी हम बहुत उपयोग करते हैं।

ये दुविधा हमेशा रहती है की इनका उपयोग कब , कितना , और किस अवस्था में करे और कब न करे। कुछ लोगों को doodh बिलकुल पसंद नहीं होता। अगर पी भी लें तो पेट दर्द या जी घबराने जैसी स्थिति हो जाती है। इस लेख को पढने के बाद आप निश्चिन्त होकर दूध का सेवन कर सकते है।

गाय का दूध – Cow Milk

gay ka doodhmilk of cow

जैसा की सुनते आये है milk सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। शिशुओं के लिए माँ का दूध प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। माँ के बाद गाय का दूध सबसे अच्छा होता है।

गाय की रीढ़ की हड्डी में सुर्यकेतु नाड़ी होती है। सूर्य की किरणे गाय के शरीर पर पड़ती है तब सुर्यकेतु नाड़ी सोना बनाती है। इसीलिए गाय के Doodh  में पीलापन होता है जो विषनाशक है।

गाय का दूध कैंसर जैसे रोग तक से बचाने की क्षमता रखता है। विदेशी होलिस्टिन गाय की अपेक्षा देसी भारतीय गाय का doodh अधिक फायदेमंद होता है। विस्तार से जानें – इसे पढ़ें : गाय का दूध आश्चर्यजनक क्यों है

बकरी का दूध – Goat Milk

Bakri ka doodh

बकरी का दूध बहुत फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि बकरी जंगल में घूमते हुए कई प्रकार की घास और पत्ते के खाती है अतः बकरी के Doodh में औषधीय गुण पाए जाते है।

एक समय था जब घर में ही बकरी पाली जाती थी। जो आय का साधन होती थी और doodh  भी आसानी से उपलब्ध हो जाता था।

बकरी का मिल्क गाय या भैंस के मिल्क की अपेक्षा आसानी से हजम हो जाता है। बकरी के मिल्क का स्वाद अच्छा नहीं होने के कारण और डेरी व्यवसाय की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होने कारण चलन में नहीं रहा।

भैंस का दूध – Buffalo Milk

Bhains ka doodh

भैंस के दूध में गाय की अपेक्षा दुगनी मात्रा में फैट होता है। इसलिए भैंस का  Doodh अधिक गाढ़ा और क्रीम युक्त होता है। भैंस का मिल्क अधिक समय तक रखा जा सकता है।

भैंस का Doodh  दही , खोया , पनीर , घी  आदि बनाने के लिए बहुत उपयोग में लिया जाता है। व्यवसायिक दृष्टि से भैंस का Doodh ही अधिक उपयुक्त होता है। भैंस के दूध में गाय की अपेक्षा कोलेस्ट्रॉल कम होता है

कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उस शब्द से सम्बंधित बातें विस्तार से जान सकते है 

दूध के पौष्टिक तत्व – Milk Nutrients

Doodh ke poshtik tatv

दूध  milk  अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है। Doodh में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , विटामिन और खनिज तत्व आदि आहार में आवश्यक सभी तत्व मौजूद होते है। Doodh  में प्रोटीन , पोटेशियम ,  कैल्शियम , फास्फोरस तथा  विटामिन Aविटामिन D , और विटामिन B 12 प्रचुर मात्रा में होते है ।

शाकाहारी लोगों में विटामिन बी 12 की अक्सर कमी पाई जाती है। क्योकि अनाज , फल , सब्जी आदि में विटामिन बी 12 नहीं होता। सिर्फ Doodh , दही , घी , पनीर आदि ही इसके स्रोत होते है।

ये विटामिन अति आवश्यक होता है। इसके अलावा doodh में  मैग्नेशियम , सोडियम , ओमेगा -3 व  ओमेगा -6 फैटी एसिड भी होते है। दूध का सफ़ेद रंग केसीन नामक प्रोटीन के कारण होता है।

दूध कितना और कब पिएँ – Milk when and how

Doodh kab kitna kese peena chahiye

रोजाना दो गिलास यानि आधा लीटर doodh पीने से दूध के सभी फायदे मिल जाते है। इसे सुबह पीना चाहिए। दिन में Doodh अच्छी तरह पच जाता है। सोने से तीन घंटे पहले तक मिल्क पिया जा सकता है।

doodh पीने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। इसे अधिक देर तक उबालना नहीं चाहिए अन्यथा उसके पौषक तत्व नष्ट हो जाते है।  बहुत ज्यादा गर्म doodh नहीं पीना चाहिए।

दूध का मीठापन – Sweetness of Milk

Doodh me meetha kitna

दूध में प्राकृतिक मिठास होती है। जहा तक संभव हो Doodh में चीनी मिलाकर नहीं पीना चाहिए। चीनी मिलाने से Doodh का कैल्शियम नष्ट हो जाता है।

बिना चीनी वाला Doodh कुछ दिन पीने से दूध की प्राकृतिक मिठास का स्वाद आने लगता है।  यदि बहुत जरुरी हो तो मिठास के लिए  Doodh  में शहद , गन्ने का रस , मीठे फल का रस , किशमिश या मुनक्का भिगोकर पीसकर मिलाए जा सकते है। अन्यथा बुरा या मिश्री मिलाएं।

दूध कैसे पिएँ – Milk how

Doodh kaise piye

यदि milk पीने से गैस बनती हो तो एक पीपल डालकर उबालकर दूध पीयें। शहद डालकर पीने से भी Doodh गैस नहीं करता। सौंठ का चूर्ण या किशमिश मिलाकर भी सेवन कर सकते है।

खांसी हो या अस्थमा  हो तो doodh नहीं लेना चाहिए। पेट दर्द ,अपच , पेचिश या दस्त आदि से ग्रस्त हो तो ऐसी स्थिति में Doodh व घी नहीं लेना चाहिए।

दूध से घरेलु उपचार – Home remedies by milk

Doodh ke fayde gharelu nuskhe

—  कृशकाय शरीर को healthy यानि तंदुरुस्त बनाने के लिए या वजन बढाने के लिए – एक गिलास doodh में 8 -10 मुनक्का डालकर उबाल लें।  ठंडा होने पर इसमें एक चम्मच देसी घी और तीन चम्मच शहद डालकर पीयें। रोजाना रात को सोने से पहले एक महीने ये प्रयोग नियमित करने से बहुत लाभ होगा।

—  जोड़ों में दर्द , अर्थराइटिस , झुर्रियां , दांतों का गिरना , बाल सफ़ेद होना , कानो से कम सुनना , आदि बुढ़ापे के असर नियमित Doodh पीने से असमय नहीं होते।

—  स्त्रियों में मासिक धर्म से पहले होने वाले चिडचिड़ापन , टेंशनगुस्सा , डिप्रेशन आदि रोजाना चार गिलास Doodh पीने से ठीक हो जाता है।

—  गर्म  Doodh  पीने से हिचकी आ रही हो तो बंद हो जाती है।

—  शाकाहारी लोगों के लिए विटामिन B 12 का एक मात्र स्रोत दूध होता है। अतः Doodh या इससे बने आहार भोजन में अवश्य शामिल करने चाहिए।

—  गर्म मिल्क में इसबगोल की भूसी मिलाकर पीने से कब्ज ठीक होती है और बवासीर में आराम मिलता है।

—  बच्चों को दस्त के समय गर्म doodh में चुटकी भर दालचीनी का पाउडर मिलाकर पिलाने से दस्त ठीक होते है।

—  गर्मी के कारण या गर्म तासीर की चीजें खाने से पेशाब में जलन हो तो कच्चे doodh में पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीने से जलन मिट जाती है।

—  दो छुहारे दूध में डालकर उबाल लें। ये छुहारे खाकर इस दूध को पी लें। इस प्रयोग को कुछ दिन लगातार करने से यौन शक्ति बढ़ती है। शुक्राणु की संख्या बढ़ जाती है। अर्थात शुक्रवर्धक होता है। ये शीघ्रपतन में भी लाभ दायक होता है।

—  स्वप्नदोष होता हो तो रात को गर्म दूध नहीं पीना चाहिए।

—  एक गिलास दूध और एक गिलास पानी में 2-3 पीपल डालकर आधा रह जाये तब तक उबालें। थोडा ठंडा होने पर पियें। सुबह शाम रोजाना कुछ दिनों तक ये दूध पीने से जुकाम , खांसी, दमा-अस्थमा  , फेफड़े की कमजोरी , शुक्राणु व वीर्य की कमी , शारीरिक कमजोरी आदि परेशानियाँ दूर होती है।

—  गर्म doodh में गुड़ मिलाकर पीने से मूत्राशय संबंधी समस्या में आराम मिलता है। पेशाब में परेशानी दूर होती है।

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