कन्या पूजन Kanya Poojan का नवरात्रि में बहुत महत्त्व है। दुर्गा अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं – छोटी लड़कियाँ का माँ दुर्गा के रूप में आदर सत्कार व पूजन आदि करके उन्हें प्रेम पूर्वक भोजन करवाया जाता है।
पुराणों के अनुसार स्वयं ब्रह्मा जी ने कन्या पूजन Kanya pujan माँ भगवती को प्रसन्न करने का अच्छा और सरल तरीका बताया है। कन्या पूजन करने से माँ भगवती का आशीर्वाद मिलता है।
कन्या पूजन करने के लाभ
Kanya poojan ke fayde
नवरात्री के नौ दिन माँ दुर्गा के आशीष प्राप्ति के लिए जप , ध्यान , भक्ति आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माने जाते हैं। यदि नवरात्री में माँ दुर्गा का पूजन , हवन , ध्यान , जप आदि ना कर पायें तो कन्या पूजन करके माँ का आशीष प्राप्त किया जा सकता है। इसकी विधि सरल है और इसमें किसी विशेष मन्त्र या अनुष्ठान की जरुरत नहीं होती।
छोटी लड़कियों को आदर पूर्वक बुलवाकर पूजन , भोजन आदि की व्यवस्था करके आशीर्वाद लेने से परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है , दुःख दरिद्रता दूर होते हैं , रोगों से मुक्ति मिलती है , शत्रु कमजोर होता है , अटका हुआ काम हो जाता है तथा मनोकामना पूर्ण होती है।
लड़कियों और महिलाओं के प्रति आदर सम्मान बढ़ाने का यह हमारा पुराना सांस्कृतिक तरीका भी माना जा सकता है।
अतः कन्या पूजन से धार्मिक लाभ के अलावा सामाजिक लाभ भी प्राप्त होता है।
किस उम्र की कन्याओं को बुलाएँ
kanya bhoj ke liye ladkiya kitne sal ki honi chahiye
कन्या पूजन के लिए दो वर्ष से दस वर्ष तक की आयु वाली कन्याओं को निमंत्रित करना अच्छा होता है। बहुत कम आयु वाली कन्या का पूजन नहीं किया जाता है।
उम्र के हिसाब से कन्या पूजन के लाभ इस प्रकार बताये गए हैं –
दो साल की आयु का कन्या पूजन – दुःख दरिद्रता दूर
तीन साल – धन धान्य में वृद्धि , परिवार में सुख समृद्धि
चार साल – परिवार का कल्याण
पाँच साल – रोगों से मुक्ति
छह साल – विद्या , विजय , राजयोग
सात वर्ष – ऐश्वर्य प्राप्ति
आठ साल – वाद विवाद में विजय प्राप्ति
नौ साल – शत्रुओं का नाश ,असाध्य कार्य पूर्ण
दस साल – मनोरथ की पूर्ती
बटुक या लांगुर क्या हैं , कितने बुलाएँ
Batuk languriya kya he kitne bulane chahiye
कन्या पूजन में कन्याओं के साथ के साथ बटुक पूजन भी करना चाहिए। बिना बटुक पूजन Batuk Poojan के कन्या पूजन सम्पूर्ण नहीं माना जाता है। बटुक को लांगूर langur या लौकड़ा Laukda भी कहते हैं।
बटुक पूजन में दो छोटे बालकों का पूजन करना चाहिए। उनका तिलक , अक्षत , माला आदि से स्वागत करके भोजन करवाना चाहिए। आशीर्वाद लेकर दक्षिणा उपहार आदि देकर विदा करना चाहिए।
इनमे एक बटुक को गणेश जी के निमित्त माना जाता है तथा दूसरा बटुक भैरव बाबा Batuk Bhairav Baba के निमित्त माना जाता है। कुछ लोग एक तीसरा बटुक भी पूजते हैं जिसे हनुमान जी के निमित्त समझा जाता है।
कन्या पूजन के लिए क्या खाना बनायें
Kanya bhojan me kya banana chahiye
नवरात्री में अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करने के लिए सामान्य तौर पर पुड़ी , सूजी का हलवा या खीर , काले चने की सब्जी आदि बनाये जाते हैं। ये भोजन शुद्ध और पौष्टिक होता है ,आसानी से बन सकता है तथा सभी कन्याओं को यह पसंद आता है। यह भोजन खाने और पचाने में भी आसान होता है।
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इसके अलावा आप अपनी श्रद्धा के अनुसार या अपनी कॉलोनी की कन्याओं की पसंद के अनुसार खाना बना सकते है। भोजन इस प्रकार का होना चाहिए की उसे खाने के बाद कन्याओं को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो तथा खाना पौष्टिक हो।
आजकल के फ़ास्ट फ़ूड जैसे पिजा , बर्गर , ब्रेड , चिप्स तथा नुकसानदायक कोल्ड ड्रिंक आदि को भोजन में शामिल करने से बचना चाहिए।
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कन्या पूजन की विधि
Kanya pujan kaise kare
— कन्या भोज और कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को तथा उनके परिवार को निमंत्रण दें ।
— कन्याओं के आने पर पुष्प वर्षा करके उनका स्वागत करें।
— कन्याओं को माता स्वरुप मानकर भक्तिभाव से उनके हाथ पैर धुलवाकर उन्हें साफ जगह बिठायें।
— कन्याओं के मस्तक पर कुमकुम से तिलक करें , अक्षत ( चावल ) लगायें ।
— लाल फूलों की माला पहनाएं।
— चुनरी या वस्त्र अर्पित करें।
— इसके बाद माँ भगवती का ध्यान करके उन्हें उनकी पसंद का भोजन करायें। जितना वे अपनी इच्छा से खायें उतना ही खिलायें । खिलाने के लिए जोर जबरदस्ती ना करें।
— भोजन के बाद कन्या को फल , मिठाई , दक्षिणा , वस्त्र या उपहार आदि प्रदान करें।
— पैर छूकर आशीर्वाद लें।
— कन्याओं को हाथ में थोड़े थोड़े अक्षत दें। जब आप उनके पैर छुएँ तब वे अक्षत आपके सिर पर गिरायें। ये आशीर्वाद स्वरुप होता है।
— इसके पश्चात उन्हें विदा करें।
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