दुर्गा माँ भगवती को दुनिया की पराशक्ति माना जाता है जो माँ पार्वती का ही स्वरुप है। कई तरह से पूजा भक्ति करके लोग माँ का आशीष प्राप्त करते है। माँ दुर्गा के भजन , दुर्गा चालीसा , आरती आदि भक्ति व साधना के सर्व सुलभ साधन हैं। यहाँ दुर्गा माँ का भजन पढ़कर भक्तिभाव से गाकर भक्ति का आनंद प्राप्त करें।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे भजन
Kabhi fursat ho to Jagdambe bhajan
कभी फुरसत हो तो जगदम्बे ,
निर्धन के घर भी आ जाना।
जो रुखा – सूखा दिया हमें ,
कभी उसका भोग लगा जाना।
कभी फुरसत हो तो जगदम्बे ,
निर्धन के घर भी आ जाना।
ना छत्र बना सका सोने का ,
ना चुनरी घर मेरे तारों जड़ी।
ना पेड़े बर्फी मेवा है माँ ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाये खड़ी।
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ ,
इस अर्जी को ना ठुकरा जाना।
जो रुखा – सूखा दिया हमें ,
कभी उसका भोग लगा जाना।
कभी फुरसत हो तो जगदम्बे ,
निर्धन के घर भी आ जाना।
जिस घर के दीये में तेल नहीं ,
वहाँ ज्योत जलाऊं मैं कैसे।
मेरा खुद ही बिछौना धरती पर ,
तेरी चौकी सजाऊँ मैं कैसे।
जहाँ मैं बैठा वहीं बैठ के माँ ,
बच्चों का दिल बहला जाना।
जो रुखा – सूखा दिया हमें ,
कभी उसका भोग लगा जाना।
कभी फुरसत हो तो जगदम्बे ,
निर्धन के घर भी आ जाना।
तू भाग्य बनाने वाली है ,
माँ मैं तकदीर का मारा हूँ।
दे दाती सम्भालो भिखारी को ,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ।
मैं दोषी तू निर्दोष है माँ ,
मेरे दोषों को तू भुला जाना।
जो रुखा – सूखा दिया हमें ,
कभी उसका भोग लगा जाना।
कभी फुरसत हो तो जगदम्बे ,
निर्धन के घर भी आ जाना।
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