मलेरिया के लक्षण कारण और बचाव – Malaria cause symptom and prevention

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मलेरिया Malaria पुराने घातक रोगों में से एक है जो एनॉफिलीज नामक मच्छर के कारण फैलता है। संक्रमित मच्छर किसी इंसान को काटता है तो मलेरिया के जीवाणु उस इंसान के शरीर में प्रवेश करके उसे बीमार कर देते हैं।

मच्छर में मलेरिया के जीवाणु प्लाज्मोडियम Plasmodium कहलाते हैं । इंसान भी इस जीवाणु का वाहक हो सकता है। अर्थात मलेरिया का जीवाणु इंसान से मच्छर में और मच्छर से इंसान में प्रवेश कर सकता है। इसी प्रकार स्वस्थ मच्छर मलेरिया ग्रस्त इंसान को काटता है तो मच्छर में जीवाणु प्रवेश कर जाते है। यह मच्छर कई स्वस्थ इंसान को काटकर ‘ उन्हें बीमार बना सकता है।

मलेरिया

वैसे तो एनॉफिलीज मच्छर की कई प्रजातियां भारत में मौजूद है लेकिन इनमे से 6 प्रकार की प्रजाति मलेरीया फ़ैलाने के लिए विशेष जिम्मेदार मानी जाती हैं।

एनॉफिलीज क्युलिसिफेसीज नामक मच्छर अधिकतर ग्रामीण इलाकों में मलेरीया का कारण होते हैं। वहीं शहरों में मलेरीया का कारण एनॉफिलीज स्टीफेन्साई नामक प्रजाति होती है। अन्य प्रजाति पहाड़ी इलाकों में मलेरीया का कारण बनती हैं।

दुनिया भर में मलेरीया के कारण बहुत से व्यक्ति अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। जागरूकता से इसमें कमी लाई जा सकती है। मलेरीया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उदेश्य से 25 अप्रैल को विश्व मलेरीया दिवस घोषित किया गया है।

भारत में लगभग 85% लोग मलेरीया होने की संभावना वाले क्षेत्र में रहते हैं। उड़ीसा , झारखण्ड , मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ तथा पश्चिम बंगाल में ज्यादा मलेरिया होना पाया जाता है।

सरकार मलेरिया के उन्मूलन के लिए प्रयासरत है। इसके लिए राष्ट्रिय मलेरिया अनुसन्धान संसथान कार्य कर रहा है। बहुत हद तक मलेरिया पर काबू भी पाया गया है। परन्तु मलेरिया नए रूप में बार बार उभर कर आता रहता है।

मलेरिया मच्छर काटने के बाद

Malaria After bite

जब संक्रमित मच्छर इंसान को काटता है तो मलेरिया के जीवाणु इंसान के रक्त में प्रवेश कर जाते हैं। ये जीवाणु जल्दी ही लीवर तक पहुँच जाते हैं। यहाँ वे बढ़ कर परिपक्व होते हैं।

परिपक्व जीवाणु लीवर से बाहर निकल कर लाल रक्त कणों RBC को संक्रमित कर देते हैं । लाल रक्त कण में ये तेजी से हजारों की संख्या में बढ़ जाते हैं।

2 से 3 दिन में लाल रक्त कण में ये इतने हो जाते हैं कि लाल रक्त कण RBC फट जाता है। लाल रक्त कण को नुकसान होने के कारण शरीर में कई प्रकार की परेशानी पैदा होने लगती है जो मलेरिया के लक्षण होते हैं।

मलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति का रक्त किसी स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाने से वह भी मलेरिया ग्रस्त हो सकता है।

गर्भावस्था में माँ को इस जीवाणु का संक्रमण हो तो यह बच्चे को भी हो सकता है।

यह एक ही सुई Injection needle का एक से अधिक लोगों द्वारा उपयोग करने से यह स्थानांतरित हो सकता है।

मलेरिया के जीवाणु की भी कई प्रजाति होती हैं। इनमे से भारत में पी विवेक्स और पी फेल्सीपेरम नामक मलेरिया जीवाणु parasite अधिक पाया जाता है। पी फेल्सीपेरम जीवाणु अधिक नुकसानदेह और खतरनाक हो सकता है।

मलेरिया के लक्षण

Malaria Symptom hindi me

मलेरिया के लक्षण संक्रमण होने के 10 दिन से 4 सप्ताह बाद प्रकट होने लगते हैं। कुछ लोगों में महीनों तक भी लक्षण प्रकट नहीं होते। मलेरीया के कुछ जीवाणु शरीर में प्रवेश होने के बाद भी निष्क्रिय रहते हैं।

मलेरीया के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं  –

पहले तेज कंपकंपी वाली सर्दी लगती है। फिर तेज बुखार आता है और तेज सिरदर्द होता है।

फिर अत्यधिक पसीना आकर बुखार कम हो जाता है और बहुत कमजोरी महसूस होती है। एक दिन छोड़कर फिर इसी प्रकार बुखार हो जाता है। इसके अलावा जी घबराना , उलटी होना , थकान , पेट में दर्द , दस्त , खून की कमी , मांसपेशियों में दर्द आदि भी महसूस होने लगते हैं। समस्या बढ़ने पर दस्त के साथ खून या बेहोशी भी हो सकती है।

लक्षण के आधार पर खून की जाँच करवाने से मलेरीया ही है या नहीं यह पता चलता है। इससे किस प्रकार का मलेरीया है उसका भी पता चल जाता है। पी फेल्सीपेरम मलेरीया अधिक घातक हो सकता है। मलेरीया की सही दवा लेने से इलाज में आसानी हो जाती है और यह जल्दी ठीक हो सकता है। अतः जाँच जरूर करवा लेनी चाहिए।

पी फेल्सीपेरम मलेरिया का इलाज जल्द नहीं कराने पर यह खतरनाक हो सकता है।  इसके कारण –

—  दिमाग में सूजन आ सकती है। बेहोशी या कोमा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

—  फेफड़ों में पानी भरने की समस्या पैदा हो सकती है।

—  किडनी , लीवर या स्प्लीन आदि अंगों को नुकसान पहुँच सकता है।

—  खून की कमी हो सकती है।

—  ब्लड प्रेशर कम हो सकता है।

मलेरिया से बचने के उपाय

Malaria Prevention in hindi

मलेरिया से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। अतः मच्छर से बचना ही इसका उपाय है। जो इस प्रकार हैं –

—  घर में मच्छर आने वाली जगह पर जालियाँ लगा कर उन्हें बंद कर दें।

—  मच्छर से बचने के लिए मच्छर दानी का उपयोग , मच्छर वाली क्रीम , स्प्रे , मेट्स ,कोईल आदि का उपयोग करें।

—  घर के आसपास गड्डे या नाली में पानी जमा ना होने दें। बेकार पड़े खाली डब्बे , गमले , टायर , पानी की टंकी आदि में पानी जमा ना हो। ऐसे पानी में मच्छर अंडे देते है। जमा पानी सुखाना संभव ना हो तो उस पर मिट्टी का तेल या जला हुआ मोबिल आइल डाल दें।

—  कूलर का पानी सप्ताह में एक बार बदल दें।

—  छत पर पक्षियों के लिए पानी के कुंडे आदि रखें हो तो उनका पानी रोजाना बदलें।

—  हो सके तो सप्ताह में एक बार घर में मच्छर नाशक दवा का छिड़काव कर दें।

—  कपूर जलाने से भी मच्छर भाग जाते हैं।

—  नीम का तेल या सरसों का तेल शरीर पर लगाने से भी मच्छर दूर रहते हैं।

—  ऐसे कपड़े पहनें की हाथ पैर पूरे ढ़के हों।

—  पेयजल स्रोत में ऐसी दवा डाली जानी चाहिए जिससे मच्छर ना पनपें ।

—  मच्छर के लार्वा खाने वाली गम्बूशिया Gambushia मछली होती है जिसे तालाब आदि में छोड़ा जाना चाहिए। यह छोटी मछली जो लगभग 5 सेमी लम्बी होती है और चार साल तक जीवित रह सकती है मच्छर मिटाने में बहुत सहायक हो सकती है।

सरकार द्वारा मलेरिया उन्‍मूलन के लिए गावों मे सूचना तंत्र , मलेरिया निदान एव उपचार तंत्र तथा निशुल्‍क दवा वितरण केन्‍द्र आदि स्‍थापित किये जाते है। मलेरिया का निशुल्‍क उपचार भी उपलब्ध कराया जाता है। इन सुविधाओं का लाभ अवश्य लेना चाहिए।

Disclaimer : इस लेख का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है, किसी भी उपचार के लिए चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।

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