युरिन रोक कर रखने के नुकसान – Holding Your Pee

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युरिन रोक कर रखने से नुकसान भी हो सकता है , इस तरफ ध्यान कम ही जाता है। अक्सर लोग इसे टाल कर दूसरे काम को ज्यादा महत्त्व देते हैं । आयुर्वेद के अनुसार शरीर के प्राकृतिक वेग रोके नहीं जाने चाहिए। इनमें भूख , प्यास , मल , मूत्र , अपान वायु , छींक , डकार जम्हाई , खांसी और वीर्य वेग आदि शामिल हैं।

मूत्रवेग रोकने से मूत्राशय Urinary Bladder , गुर्दे Kidney या पेशाब की नली में जलन और सूजन हो सकती है। इससे पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। गुर्दों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति के मूत्राशय में लगभग 400 ml पेशाब Urin इकठ्ठा हो सकता है। बच्चों के मूत्राशय की क्षमता  125 ml से 250 ml  तक हो सकती है। पेशाब रोकने की आवश्यकता हर किसी को कभी न कभी जरूर पड़ती है।

कभी कभार ऐसा होना नुकसानदायक नहीं होता लेकिन बार बार और अधिक समय तक पेशाब रोके रखने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जानते हैं इसके बारे में –

यूरिन रोकने के नुकसान

यदि आपका मूत्र संस्थान स्वस्थ है तो कुछ समय तक यूरिन रोकना खतरनाक नहीं होता। शरीर में इस प्रकार की मांसपेशियां होती है कि यूरिन को अपने आप बाहर नहीं निकलने देती। यानि यह हम कंट्रोल कर सकते हैं की हम कितनी देर बाद यूरिनल जायें।

किडनी लगातार काम करके खून साफ करके अवशिष्ट और विषैले पदार्थ पेशाब के रूप में मूत्राशय में भेजती रहती हैं।जब मूत्राशय ( Urinary Bladder  ) लगभग आधा भर जाता है तो ब्लैडर में मौजूद तंत्रिकाएँ क्रियाशील हो जाती हैं।

यहाँ से दिमाग को उसके भर जाने और खाली करने का सन्देश जाता है तब हमें बाथरूम जाने की जरुरत महसूस होने लगती है। जब ब्लेडर खाली करना चाहते हैं तो दिमाग मूत्र संस्थान की मांसपेशियों को गतिशील करता है जिनसे हल्का दबाव पैदा करके हम मूत्राशय खाली कर पाते हैं।

इन मांसपेशियों को हम नियंत्रित कर सकते हैं। इस तरह मूत्राशय खाली करके हम शारीरिक क्रिया सुचारु रूप से चलने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते रहते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा भी है और जरुरी भी।

यूरिन करने कितनी बार जाना चाहिए

urin ke liyebathroom kitni bar jaye

एक स्वस्थ इंसान दिन में लगभग 6 से 8 बार पेशाब करता है। पेशाब करने कितनी बार जाना पड़ता है यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। क्योंकि हर व्यक्ति में मूत्र बनने की मात्रा में अंतर हो सकता है।

पानी और तरल मात्रा के अधिक उपयोग की आदत से बाथरूम ज्यादा बार जाना होगा। पानी की जरुरत से अधिक मात्रा को गुर्दे बाहर निकाल देते हैं।

किसी दवा के कारण मूत्र अधिक आ सकता है या ज्यादा बार जाना पड़ सकता है। डायबिटीज हो तो पेशाब अधिक आता है यह सभी जानते हैं। अन्य किसी बीमारी के कारण भी बाथरूम ज्यादा जाना पड़ सकता है।

महिलाओं को गर्भावस्था में तथा डिलीवरी के बाद यूरिन के लिए अधिक जाना पड़ता है। इसके अलावा  मूत्राशय का आकार Size और उसकी संवेदनशीलता पर भी टॉयलेट जाना निर्भर करता है।

किसी किसी का मूत्राशय अधिक संवेदनशील होता है। ऐसे में थोड़ा सा मूत्र भी ब्लेडर में आने पर प्रेशर महसूस होने लगता है । बार बार बाथरूम जाना पड़ता है और कभी कभी टॉयलेट तक पहुँचने से पहले ही यूरिन लीक हो जाता है। इसे ओवरएक्टिव ब्लेडर OAB कहते हैं ।

यह विशेष प्रकार की एक्सरसाइज ,  गतिविधि और तरल लेने की मात्रा का आदि में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। यह उपचार चिकित्सा की भाषा में ब्लेडर ट्रेनिंग कहलाता है । डॉक्टर की सलाह से दवायें लेने से भी यह ठीक हो सकता है।

पेशाब आ रहा हो , तब भी नहीं जायें तो क्या होता है

urin aane par nahi jane ke nuksan

जब यूरिन आ रही हो तो भी नहीं जाते तो मूत्राशय लगातार भरते रहने के कारण उसमे क्षमता से अधिक यूरिन इकठ्ठा हो जाता है और इससे तकलीफ होने लगती है। मूत्राशय की मांसपेशियों पर असर पड़ने लगता है।

बार बार ऐसी स्थिति होने पर मूत्राशय की कार्यप्रणाली कमजोर हो सकती है। मूत्राशय खाली करने की जरुरत महसूस होने का कारण सिर्फ ब्लैडर का भरना नहीं होता है। इसकी जरुरत महसूस होने के पीछे बहुत से शारीरिक क्रियाएँ होती हैं जिसमें मांसपेशियाँ , तंत्रिका तंत्र और कई अंगों का तालमेल शामिल होता है।

मूत्राशय खाली नहीं होने से गुर्दे से निकले पेशाब को आगे बढ़ने की जगह नहीं मिलती। इससे गुर्दे की कार्य प्रणाली में बाधा उत्पन्न होती है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। गुर्दे में पथरी या संक्रमण आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।

जब मूत्राशय भरता है तो इसका सन्देश दिमाग तक पहुंचता है और हमें बाथरूम जाने की जरुरत महसूस होती है। इसके बावजूद टालम टोल करने और बाथरूम नहीं जाने पर सन्देश तो लगातार जाते रहते हैं लेकिन इन संदेशों का प्रतिरोध पैदा होने लगता है।

ऐसा बार बार और अधिक होने पर ब्लेडर भरने का सन्देश दिमाग तक पहुँचने की प्रक्रिया में खराबी उत्पन्न हो सकती है। ऐसी अवस्था से आगे चलकर समस्या पैदा हो सकती है।

मूत्राशय भरने के सन्देश दिमाग तक पहुँचने की तीव्रता सबमें अलग होती है। संकेतों की तीव्रता उम्र  , ब्लैडर में यूरिन की मात्रा और दिन का कौनसा समय है इस पर निर्भर हो सकती है। जैसे ये संकेत रात के समय कम हो जाते हैं। कभी कभी पूरी रात आपको पेशाब करने नहीं जाना पड़ता। जबकि दिन में बार बार जाना पड़ता है। इसी तरह बच्चों को पेशाब बहुत तेज लगता है , वे रुक नहीं पाते।

क्या यूरिन रोकने से UTI हो जाता है

UTI and holding urin

सामान्य तौर पर तो पेशाब रोकने से UTI ( Urinary Tract Infection ) नहीं होता है। क्योंकि UTI  होने का कारण बैक्टीरिया का पेशाब नली में प्रवेश करना होता है। पेशाब करने से सफाई होकर बैक्टीरिया बाहर निकलते रहते हैं लेकिन पेशाब रोक कर रखने से बैक्टीरिया को बढ़ने का अवसर जरूर मिल जाता है।

इस वजह से यूरिन इन्फेक्शन बढ़ कर किडनी तक पहुँच कर उसे नुकसान पहुंचा सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं को  UTI का खतरा वैसे भी ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में पेशाब रोकने से यह खतरा और बढ़ सकता है।

पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने से भी UTI का खतरा बढ़ सकता है।

पानी कब और कितना पीना चाहिए विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

यदि UTI के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक से सलाह करनी चाहिए। UTI यानि पेशाब की नली में इंफेक्क्शन तथा इसके घरेलु उपाय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

पेशाब रोकना कब खतरनाक होता है

When holding pee is risky

कुछ परिस्थिति जिनमें ज्यादा देर तक पेशाब बिल्कुल नहीं रोकना चाहिये और तुरंत जाना चाहिए , वो ये हैं –

—  पुरुषों में जब प्रोस्टेट बढ़ा हुआ हो।

—  किसी को गुर्दे से सम्बंधित कोई समस्या  हो।

—  मूत्राशय की किसी समस्या से ग्रस्त हो।

—  महिलाओं को गर्भावस्था में।

—  यूरिन इन्फेक्शन होने पर।

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Disclaimer : इस लेख का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है। किसी भी उपचार के लिए चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी चाहिए।