योनी की साफ सफाई का ध्यान कैसे रखें – Cleaning of Private Part

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योनी की सफाई की प्रक्रिया समझने के लिए जान लें कि योनि में अम्लीयता अधिक होती है। इस अम्लीयता से नुकसान देह बेक्टिरिया की रोकथाम होती है और अच्छे बेक्टिरिया की वृद्धि होती है। यह प्राकृतिक रूप से एक सुरक्षा है।

अम्लीयता का अर्थ है pH लेवल कम होना। योनि का pH लेवल लगभग 3.5 से 4.5 के बीच होता है। pH लेवल यदि 7 से कम हो तो अम्लीयता और 7 से अधिक हो तो क्षारीयता अधिक होती है।

इस वजह से अंदर के हिस्से की साफ सफाई की जरुरत नहीं होती है। यदि किसी कारण से अंदर अम्लीयता कम हो जाती है हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं और संक्रमण हो सकता है।

सिर्फ बाहरी हिस्से की सफाई की जरूरत होती है। इसे सादा गुनगुने पानी से रोजाना धोकर साफ करना चाहिए। सिर्फ गुनगुने पानी की सफाई से संतुष्ट ना हों तो सादा , कोमल और बिना तेज खुशबु वाला साबुन ( No Frills Soap ) काम में लेना चाहिए।

कोमल साबुन से बाहरी हिस्से की सफाई करके गुनगुने पानी से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए। साबुन बिल्कुल नहीं रहना चाहिये अन्यथा जलन हो सकती है।

यदि अंदर की साफ सफाई के लिए बॉडी वाश या केमिकल और तेज खुशबु वाले साबुन आदि उत्पाद काम में लिए जाते है , तो इनसे pH डिस्टर्ब हो जाता है। इस वजह से संक्रमण होकर जलन , खुजली या बदबू आदि पैदा हो सकते है। डूश के द्वारा सफाई की जरूरत भी नहीं होती है।

अंदर की तरफ अच्छे बेक्टिरिया भी होते है और ख़राब बेक्टिरिया भी। वहां मौजूद लैक्टोबेसिली जैसे लाभदायक बेक्टिरिया pH लेवल सही बनाये रखते है। जब डूश से घिस कर सफाई की जाती है तो इन्हे नुकसान पहुंचता है। अच्छे बेक्टिरिया को नुकसान होने से संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।

सफाई दिन में कितनी बार करें

सामान्य स्थिति में दिन में सिर्फ एक बार सफाई करना पर्याप्त होता है। जो नहाते वक्त की जा सकती है। बार बार सफाई करने की जरुरत नहीं होती है । यह सफाई भी सिर्फ गुनगुने पानी से धोकर करना पर्याप्त होता है।

यीस्ट इन्फेक्शन

यीस्ट इन्फेशन लगभग सभी को हो सकता है। इसमें गाढ़ा पीलापन लिए , बदबूदार स्राव निकलता है। खुजली और जलन या बाहरी हिस्से में रैशेज़ , खिंचाव या ललास हो सकती है। ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर दवा लेनी चाहिए।

खुजली व जलन से बचने के उपाय

गुदा की सफाई

गुदा और योनी पास में होने के कारण गुदा के बेक्टिरिया संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इसलिए ध्यान रखना चाहिए। मलत्याग के बाद पोंछने के लिए टॉयलेट पेपर से आगे से पीछे की तरफ पोंछना चाहिए। नेपकिन को पीछे से आगे की तरफ लाते हुए नहीं पोंछना चाहिए। टॉइलेट पेपर सादा , बिना केमिकल वाले काम में लेने चाहिए।

पानी से धोने के लिए भी हैंड शावर का पानी आगे से पीछे की तरफ जाना चाहिए ना कि पीछे से आगे की तरफ।अन्यथा पानी के साथ गुदा के बेक्टिरिया योनी तक पहुँच कर नुकसान पहुंचा सकते है।

वेस्टर्न कमोड जिसमे जेट लगा होता है उसमें पानी पीछे से आगे की तरफ आता है। इससे संक्रमण की अत्यधिक संभावना होती है। इसे काम में नहीं लेना चाहिए। इन्डियन कमोड का उपयोग इस  मायने में अच्छा रहता है। इससे यूरिन इन्फेक्शन ( Urin infection – UTI ) से भी बचाव होता है।

माहवारी

माहवारी के समय संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। क्योकि रक्त की वजह से pH का लेवल बदल जाता है। अतः ऐसे समय ये ध्यान रखना चाहिए। सैनिटरी पैड , पैंटी लाइनर या टैम्पून आदि को जरूरत से ज्यादा लंबे समय तक काम में नहीं लेना चाहिए। इन्हें जल्दी बदल लेना चाहिए।

अंडरवियर

सिंथेटिक कपड़े से बनी अंडरवियर में त्वचा को हवा नहीं मिलती । इस कारण से  नमी बनी रहती है जिससे नुकसान देह बेक्टिरिया पनप सकते है और संक्रमण पैदा कर सकते है अतः इस तरह की अंडरवियर की जगह कॉटन से बनी अंडरवियर यूज़ करनी चाहिए।

इसमें त्वचा के हवा मिलती रहती है। यह त्वचा को सूखा बनाये रखने में मददगार होती है। यदि सिंथेटिक कपड़े की पैंटी ही पहननी हो तो वह कॉटन लाइनर वाली होनी चाहिए।

वैवाहिक सम्बन्ध

सम्बन्ध बनाने के बाद संक्रमण की संभावना हो सकती है। सम्बन्ध बनाते समय मूत्र के छिद्र में बेक्टिरिया प्रवेश कर सकते है। इसलिए सम्बन्ध बनाने के बाद पेशाब जरूर कर लेना चाहिए।

पेशाब करने से ये बेक्टिरिया बाहर निकल जाते है। यह सफाई के एक माध्यम बन जाता है और इस तरह  UTI जैसे संक्रमण से बचाव भी हो जाता है।

वीर्य का pH क्षारीय होता है जबकि योनी का अम्लीय। वीर्य का वहाँ रुका रहना उसका pH बिगाड़ कर संक्रमण पैदा कर सकता है अतः सम्बन्ध बनाने के बाद जितनी जल्दी हो सके योनी को साफ कर लेना चाहिए।

बालों की सफाई

बालों की सफाई करते समय संक्रमण से बचने के लिए साफ सफाई का ध्यान रखा जाना जरुरी होता है। हेयर रिमूवर यूज़ करते हो तो अच्छी क्वालिटी का यूज़ करें। साथ ही पुराना ना हो यह भी देखें।

रेजर का उपयोग करते है तो खुद का रेजर अलग होना चाहिए किसी और का रेजर यूज़ नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार वैक्सिंग का उपयोग करते समय  भी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। यदि पार्लर जाते है तो हाइजीन कंडीशन जरूर चेक कर लें।

एंटीबायोटिक दवा

एंटीबायोटिक दवा के कारण अच्छे बेक्टिरिया नष्ट हो सकते है अतः यदि इस प्रकार की दवा से बदलाव नजर आये तो डॉक्टर को जरूर सूचित करना चाहिए।

भोजन में दही का उपयोग बढ़ा देना चाहिए। दही के उपयोग से गुप्तांग में अच्छे बेक्टिरिया की वृद्धि होती है जो संक्रमण को रोकते है।  परंतु दही में शक्कर अधिक नहीं होनी चाहिए।

योनी की एक्सरसाइज

एक विशेष एक्सरसाइज करने से पेल्विक मसल मजबूत होती है। इससे योनी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह बहुत आसान है। जिस प्रकार पेशाब को रोकते है , उसी प्रकार से मसल्स को अंदर की तरफ खींच कर टाइट करना होता है । इसे करने के लिए मसल्स को तीन सेकंड तक टाइट करें फिर ढीला छोड़ दें। फिर टाइट करें , फिर ढ़ीला छोड़ दें। इस प्रकार 8 -10 बार करें। यह दिन में दो तीन बार करें।

धीरे यह 8 -10 बार से बढ़ा कर 15 -16 बार तक करें। यह एक्सरसाइज करने से से योनी टाइट होती  है। इसके और भी बहुत से लाभ होते है। यह एक्सरसाइज़ कभी भी की जा सकती है।

खुजली जलन सूजन के घरेलु उपाय

—  दही में योनी को स्वस्थ रखने वाले बेक्टिरिया में बढ़ोतरी करने की प्रवृति होती है अतः दही रोजाना के भोजन में शामिल जरूर करना चाहिए। यह यीस्ट इन्फेक्शन से भी बचाव करता है।

—  पाइनेपल , संतरा , स्ट्राबेरी , नींबू की शिकंजी आदि उपयोग करने से गुप्तांग की गंध कम हो सकती है। क्योकि ये शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करते है। इससे गंध मिटती है।

—  यीस्ट इन्ग्फेक्शन में लहसुन का उपयोग करना अच्छा रहता है। यह गंध को मिटाने में भी मदद करता है।

—  नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर इस पानी से धोने से खुजली व जलन में आराम आता है।

—  नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से खुजली में आराम मिलता है।

—  एरंड का तेल लगाने से खुजली व जलन मिटती है।

—  पानी में पिसी हुई फिटकरी मिलाकर दो तीन बार धोने से खुजली मिटती है।

—  खीरा , ककड़ी , तरबूज और खरबूज के बीज पीस कर गुलकंद के साथ सुबह शाम कुछ दिन खाने से जलन ठीक होती है।

—  योनी बाहरी हिस्से पर फुंसी के कारण खुजली होती हो तो नीम का तेल लगाने से फुंसी मिट कर खुजली ठीक होती है।

—  वैवाहिक सम्बन्ध बनाने में अधिकता होने पर जलन हो सकती है। यदि ऐसा हो तो कुछ दिन दूरी बना कर रखनी चाहिए।

—  गर्म तासीर या पित्त बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ ज्यादा लेने से जलन हो सकती है। ऐसे पदार्थ कुछ समय ना लें।

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