रंग मत डारे रे सांवरिया होली का एक लोकप्रिय भजन है। फाग के भजन गीत Fag ke bhajan यानि होली के मस्ती भरे गीत जिनमें मधुरता के साथ शरारत भी होती है।
एक समय था जब फाल्गुन महीना लगते ही होली की मस्ती शुरू हो जाती थी। एक महीने पहले होली का डंडा रोप दिया जाता था। लोग वहां इकट्ठे होकर गाते बजाते थे और उत्सव मनाते थे। अब यह पुरानी संस्कृति का हिस्सा भर रह गया है।
मंदिर में होली के भजन के रूप में लोग इन गीतों का आनंद लेते हैं नाच गाकर होली और भक्ति का आनंद उठाते हैं। होली के ये मधुर भजन सुनकर मन भक्तिभाव से भर उठता है। होली के भजन और गीत के बोल यहाँ लिखे गये है। आप भी इनका आनंद लें।
फ़ाग का भजन गीत – रंग मत डारे रे सांवरिया
Rang mat dare re savariya
यहाँ दूध बेचने वाली गोपी जिसके पति को गूजर कहा गया है , भगवान श्री कृष्ण से होली खेलने की इच्छा होते हुए भी रंग नहीं डालने का निवेदन कर रही है और उसके बहुत से कारण भी बता रही है। फाल्गुन महीने में इस प्रकार के फाग के भजन व गीत गाये जाते है।
गीत के बोल इस प्रकार हैं –
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
होली खेले तो कान्हा बरसाने में आजे रे ..
राधा और रुक्मण नै सागै , लेतो आजे रे .. रंग मत डारे रे।
घर मत आज्ये कान्हा , सास बुरी छै रे …
ननदुली नादान म्हाने ,बोल्या मारे रे ..रंग मत डारे रे।
सास बुरी छः म्हारी ,ननद हठीली …
परनियो बेईमान म्हाने , नितकी मारे रे ..रंग मत डारे रे।
मै दही बेचन ,जाऊँ रे वृन्दावन …
मारग माही बैठयो म्हारो , मोहन प्यारो रे ..रंग मत डारे रे।
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि …
हरि चरणां में म्हारों , चित छै रे ..रंग मत डारे रे।
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
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