विनायक जी की कहानी Vinayak ji ki kahani सभी प्रकार के व्रत में सुनी जाती है। विनायक गणेश जी हैं। बिंदायक जी की कहानी Bindayak ji ki kahani व्रत की कहानी के अलावा सुननी चाहिए।
यह व्रत उपवास करने पर व्रत की कहानी के साथ कही और सुनी जाती है। कहते है इससे व्रत का पूरा फल मिलता है। विनायक जी की कहानी इस प्रकार है :
विनायक जी की कहानी
Vinayak Ji ki Kahani
उस समय की बात है जब भगवान विष्णु जी की शादी लक्ष्मी जी से तय हुई थी । शादी की खूब तैयारियां की गई। चारो और हर्षो उल्लास का वातावरण था। सारे देवी -देवता को बारात में चलने के लिए निमंत्रण दिया गया।
सारे देवी -देवता आये तो सब भगवान विष्णु से कहने लगे की गणेश जी को नहीं ले जायेंगे। वे बहुत मोटे हैं वो तो बहुत सारा खाते है। दूंद दूछल्या , सूंड सून्डयाला , ऊखल से पाँव , छाजले से कान , मोटा मस्तक वाले है।
इनको साथ ले जाकर क्या करेंगे , यही रखवाली के लिए छोड़ जाते हैं और विनायक जी को छोड़कर वे सब बारात में चले गए ।
इधर नारद जी ने गणेश जी को भड़का दिया ओर कहा की आज तो महाराज ने आपका बहुत बड़ा अपमान किया है। आप से बारात बुरी लगती इसीलिए आपको साथ नहीं ले गए और छोड़ कर चले गए ।
गणेश जी को क्रोध आ गया और उन्होंने चूहों की आज्ञा दी की सारी जमीन खोखली कर दे। धरती थोथी हो गयी इससे भगवान के रथ के पहिये धंस गए।
बहुत कोशिश करके सब परेशान हो गए किसी भी तरह से पहिये नहीं निकले तो खाती को बुलाया। खाती आया सारा दृश्य देखा और पहिये को हाथ लगा कर बोला ” जय गजानन्द जी ” और इतने में तुरन्त रथ निकल गया। सब देखते रह गए।
सबको बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने पूछा कि तुमने गजानन्द जी को क्यों याद किया।
खाती बोला ” गणेश जी को सुमरे बिना कोई काम सिद्ध नहीं होता ” जो भी सच्चे मन से गजानन्द जी को याद करता है उसके सब काम बड़ी आसानी से सिद्ध हो जाते है।
सब सोचने लगे हम तो गणेश जी को ही छोड़ आये। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और एक जने को भेज कर गणेश जी को बुलवाया व गणेश जी से माफ़ी माँगी .
पहले गणेश जी का रिद्धि -सिद्धि से विवाह करवाया फिर भगवान विष्णु का लक्ष्मी जी के साथ हुआ। सभी बहुत ही खुश थे तभी से कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले बिंदायक जी का स्मरण किया जाता है।
जैसे भगवान का काम सिद्ध किया वैसे सबका सिद्ध करना।
बोलो विनायक जी की….. जय !!!
क्लिक करके सुने –
गणेश जी की कहानी यू ट्यूब पर सुनने के लिए क्लिक करें –
क्लिक करके इन्हे भी पढ़ें और लाभ उठायें :
अहोई अष्टमी के पूजन और व्रत की विधि
कार्तिक स्नान का तरीका , लाभ और महत्त्व
झाड़ू कौनसा लें और धन वृद्धि के लिए उसे कैसे रखें
पूजा के लिए फूल कौनसे नहीं लेने चाहिए
सत्यनारायण भगवान की पूजा और व्रत
सुन्दर कांड का पाठ कराने के फायदे और तरीका