शिशु की मालिश खुद कैसे करें – How to massage your baby

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शिशु की मालिश Baby Massage करते हमने अक्सर दादी या नानी को देखा है। उन्हें बड़े आत्म विश्वास और प्यार से शिशु मालिश करते देखना बड़ा अच्छा लगता है। शिशु भी मालिश मजे से करवाता है। ये अनुभव से ही सम्भव है।

यदि आप खुद अपने शिशु की मालिश अपने हाथो से करें तो शिशु के लिए इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। इससे शिशु के साथ आपका भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है।

मालिश से शिशु की हड्डियाँ मजबूत होती है , त्वचा अच्छी रहती है , शिशु स्वस्थ रहता है , वह खुश रहता है एवं उसका संपूर्ण विकास होता है।शिशु की मालिश

नवजात शिशु की मालिश कब करे , कैसे करे , कब नहीं करे , कहाँ से शुरू करे , किन बातो का ध्यान रखें कितनी देर करे । इन्हीं सब बातों की संपूर्ण जानकारी होने से काम आसान हो जाता है।

शिशु की मालिश का तेल – Oil for baby massage

शिशु की मालिश के लिए जैतून का तेल या बादाम का तेल सबसे अच्छा होता है। सर्दी के मौसम में तिल का तेल और गर्मी में नारियल के तेल का यूज़ कर सकते है। शिशु की मालिश की लिए बाजार से लाये गए लोशन आदि का इस्तेमाल ना करें। इससे उनकी नाजुक त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है। हो सके तो मालिश सुबह के समय करें।

शिशु की मालिश की तैयारी – Baby Massage Preparation

शिशु की मालिश ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहाँ सर्दी , गर्मी या तेज हवा से शिशु को नुकसान ना हो । शिशु की मालिश शुरू करने से पहले मालिश से संबंधित सामान इकठ्ठा कर लें।

मालिश के बाद पहनाने के कपड़े तैयार रखें। शिशु को सूसू या पोटी आने पर चेंज करने के लिए नैपी आदि तैयार रखें। हो सके तो शिशु को सु सु पोटी मालिश से पहले ही करवा लें।

मालिश के बाद शिशु को स्नान कराना हो तो नहाने का सामान जैसे गर्म पानी , शैम्पू , साबुन आदि भी पहले से तैयार करके रख लें। नहलाने के बाद पहनाये जाने वाले कपड़े निकाल लें।

शिशु की मालिश करने से पहले हाथों से चूड़ियां , अंगूठी आदि निकाल देने चाहिए ताकि शिशु को चोट लगने का डर ना रहे। नाख़ून कटे हुए और फाइल किये हुए होने चाहिए।

हाथों को अच्छे साबुन से धोकर साफ कर लेना चाहिए। आपके हाथों का तापमान शिशु के शरीर के तापमान जैसा होना चाहिए।

शिशु की मालिश करने का तरीका – How to massage baby

शिशु को एक नर्म छोटे गद्दे पर तौलिया या नर्म कपड़ा बिछा कर उस पर पीठ के बल लिटा दें। मालिश पैरो से शुरू करनी चाहिए । टांगों पर नीचे से ऊपर की तरफ मालिश करनी चाहिए। इसके बाद हाथों की मालिश करें।

छाती पर और पेट पर बहुत हल्के हाथ से हाथो को गोलाकार घुमाते हुए मालिश करें।

इसके बाद शिशु को उल्टा लिटा कर पीठ की और हिप्स की हल्के हाथ से मालिश करें। शिशु को अधिक देर तक पेट के बल ना लेटाएं। मालिश के वक्त शिशु के जोड़ों दबाव नहीं पड़ना चाहिए। 

शिशु की मालिश

शिशु की मालिश करने पर आपको अनुभव हो जाता है की शिशु को मालिश में क्या पसंद है और क्या नहीं। यदि सही तरीके और शिशु की पसंद के हिसाब से मालिश करने पर शिशु को बहुत आनंद मिलता है वो मालिश का इंतजार करता है। उसकी प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जल्दी बीमार नहीं होता।

मालिश के बाद शिशु की हल्की एक्सरसाइज करवानी चाहिए। अधिक जोर नहीं लगाना चाहिए। झटके नहीं देने चाहिए। धीरे धीरे हाथो और पैरों के जॉइंट्स को हिलाना चाहिए।

सिर की मालिश करने की बजाय हल्के हाथ से तेल लगा देना चाहिए। सिर के ऊपर एक बहुत नर्म स्थान होता है। वहाँ बिल्कुल भी दबाव ना पड़े इसका ध्यान रखना चाहिए। यह स्थान लगभग 18 महीने में भरता है।

सिर में यदि पपड़ी जमी दिखाई दे तो उसे छेड़ना नहीं चाहिए और खुरच कर निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह अपने आप निकल जाती है। संदेह हो तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिये।

शिशु की मालिश करते वक्त आपका पूरा ध्यान सिर्फ शिशु पर होना चाहिए। उसके साथ बातें करते हुए मालिश करने से आपको और शिशु को दोनों को आनंद आएगा।

शिशु की मालिश कब नहीं करें – No Massage When

शिशु की मालिश रोजाना करनी चाहिए। लेकिन यदि शिशु को बुखार , खांसी , जुकाम , स्किन पर रैशेज़ हो तो मालिश नहीं करनी चाहिए। शिशु बहुत भूखा हो या उसे नींद आ रही हो तो मालिश ना करें।

यदि आपको लगे तेल शिशु को माफिक नहीं आ रहा तो तेल बदल लेना चाहिए।

मालिश और उसके बाद स्नान में लगने वाले समय का अंदाजा लगाकर ये दोनों काम करने चाहिए ताकि भूख और नींद की समस्या से शिशु बीच में रोने ना लग जाये। मालिश और स्नान के बाद स्तनपान करवाकर शिशु को सुला दें।

कोशिश करें की शिशु को इन सब चीजों की आदत हो जाये। रोजाना का क्रम निर्धारित करने की कोशिश करें ताकि शिशु इनका अभ्यस्त हो जाये।

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