जीरा है फायदेमंद कैसे करें उपयोग दवा के रूप में – Cumin Seeds As Medicine

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जीरा Jeera या Cumin Seeds हमारे भोजन में डाले जाने वाले मसाले में से एक मुख्य मसाला है। दाल हो या सब्जी उसमे जीरे का तड़का जरूर होता है। इसके अलग प्रकार के स्वाद और सुगंध के कारण यह दाल या सब्जी के स्वाद को बढ़ा देता है।

तड़के में काम आने वाला यह जीरा सफ़ेद जीरा Safed Jeera भी कहलाता है। इसे मराठी में जीरे Jire , गुजरती में जीरू Jiru  तथा संस्कृत में जीराका Jiraka कहते हैं ।

जीरा

एक अन्य प्रकार का जीरा भी होता है जो काला जीरा  Kala Jeera , शाह जीरा Shah Jeera या सा जीरा Sa Jeera के नाम से जाना जाता है। काला जीरा सब्जी के लिए बनाये जाने वाले गरम मसाला पाउडर में मिलाया जाता है। इन दोनों के गुण लगभग एक जैसे होते हैं।

जीरा सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। इसमें पाए जाने वाले तत्व इसे औषधीय गुण प्रदान करते है। इसे कई तरीके से काम लिया जाता है।

दाल आदि में साबुत जीरे का तड़का लगाया जाता है। इसे पीस कर भी मसाले के रूप में सब्जी में डाला जाता है। भुना हुआ पिसा जीरा भी काम में लिए जाता है। स्वादिष्ठ और पाचक जलजीरा पाउडर इसी से बनता है।

रायता , केरी का पना आदि में भी भुना पिसा जीरा डालने से इनका स्वाद तो बढ़ता ही है इनके गुण भी बढ़ जाते हैं। जीरा राजस्थान तथा गुजरात की एक मुख्य फसल है। यहाँ का वातावरण जीरे की खेती के लिए अनुकूल होता है।

जीरे की तासीर Jeere Ki Taseer गर्म होती है। यह वात और कफ दोष को मिटाता है लेकिन पित्त को बढ़ाता है। आयुर्वेद की बहुत सी दवाओं जैसे हिंग्वाष्टक चूर्ण , योगराज गुग्गुल आदि में इसका उपयोग किया जाता है। जीरे में पाए जाने वाला  क्यूमिनेल्डिहाइड नामक खुशबुदार तत्व की गंध मात्र से पेट में पाचक रसों का स्राव बढ़ जाता है।

जीरा के पोषक तत्व – Cumin Seeds Nutrients

जीरे में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , खनिज , विटामिन तथा फाइबर सभी प्रकार के पोषक तत्व होते है। जीरे में आयरन और मैंगनीज  प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा इसमें कॉपर , कैल्शियम , मेग्नेशियम , फास्फोरस , पोटेशियम , जिंक भी पर्याप्त मात्रा  में पाए जाते है।

कुछ मात्रा इसमें विटामिन C , विटामिन K , विटामिन E , विटामिन B 1 , B 2 , B 3 आदि की भी होती है। जीरा बीटा  केरोटीन , ल्यूटेन , मेलाटोनिन तथा कई प्रकार के वाष्पशील तेल आदि का स्रोत होता है।

कृपया ध्यान दे : किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं .

जीरा के फायदे – Benefits of cumin seeds

पाचन तंत्र

जीरा पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जीरे की खुशबु इसमें पाए जाने वाले क्युमिनेलडीहाइड नामक तत्व के कारण होती है। यह इसका मुख्य तैलीय तत्व है। यह लार ग्रंथियों को सक्रिय करके देता है जिसके कारण पाचन के लिए शुरुआती एंजाइम प्राप्त होते हैं।

जीरे का अन्य थाइमोल नामक तत्व  पेट के एसिड  तथा पित्त आदि के स्राव को बढ़ाकर पाचन में मदद करता है। जीरा पेट में बनने वाली गैस को निकाल कर पाचन और भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है। भोजन अच्छी तरह पचने से चर्बी नहीं चढ़ती और वजन कंट्रोल में रहता है।

बवासीर

बवासीर का मुख्य कारण कब्ज होती है। जीरे में फाइबर होने के कारण यह कब्ज को दूर करता है। इसके अलावा जीरे में मौजूद तत्व पाचन तंत्र तथा निष्कासन तंत्र की चोट या इन्फेक्शन आदि को भी दूर करता है।

इसमें एंटी-फंगल तथा एंटी-माइक्रोबाइल गुण भी होते है। ये सब विशेषतायें इसे बवासीर को मिटाने में भी प्रभावकारी बनाते हैं। बवासीर के घरेलु नुस्खे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

डायबिटीज

जीरे का उपयोग रक्त में तथा पेशाब में शर्करा की मात्रा को कम करता है। जीरा वजन कम करने में भी सहायक होता है। इसके ये दोनों ही गुण डायबिटीज से बचाने में मदद करते हैं। यदि डायबिटीज की दवा ले रहे हों तो जीरे का उपयोग चिकित्सक की सलाह के बाद करना चाहिए।

अनिद्रा

जीरे में पाए जाने वाले तत्व तनाव और चिंता को कम करते है तथा नींद लाने में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद मेलटोनिन नामक तत्व नींद की प्रक्रिया में सुधार लाता है। इसके अतिरिक्त इसमें पाए जाने वाले तत्व तथा इसका पाचन तंत्र की शक्ति बढ़ाने वाला गुण शरीर में विटामिन तथा खनिज की कमी नहीं होने देता। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और नींद भी अच्छी आती है। नींद नहीं आती हो तो नींद के अन्य घरेलु नुस्खे जानने यहाँ क्लिक करें

फेफड़े की समस्या

जीरे में पाए जाने वाले तत्व फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक होते है। इसके उपयोग से अस्थमा तथा ब्रोंकाइटिस आदि समस्या में बहुत लाभ मिलता है। यह गले तथा फेफड़े में कफ जमा होने से रोकता है और जमे हुए कफ को निकालने में भी मददगार साबित होता है।

सर्दी जुकाम

जुकाम का कारण वाइरल इन्फेक्शन होता है। जीरे में पाए जाने वाले तत्व इस इन्फेक्शन से लड़ने में सहायक होते हैं। जुकाम के कारण पैदा होने वाले कफ को मिटाने में भी यह मदद करता है। इसमें मौजूद आयरन तथा विटामिन C भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाकर सर्दी जुकाम आदि से बचाते हैं।

स्तन में दूध

जीरा आयरन से भरपूर होता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले तत्व थाइमोल स्तन के दूध में वृद्धि करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त जीरे में कैल्शियम की मात्रा भी भरपूर होती है जिसकी स्तन के दूध में भी जरुरत होती है। इस प्रकार जीरे का उपयोग स्तनपान कराने वाली माँ के लिए फायदेमंद होता है।

खून की कमी

जीरे में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रक्त के लालकण में  मौजूद हीमोग्लोबिन में आयरन ही मुख्य तत्व होता है। हीमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन को प्रत्येक अंग तक पहुँचाता है। इसकी कमी के कारण एनीमिया नामक रोग हो जाता है। अतः जिन लोगों को खून की कमी हो उन्हें जीरे का उपयोग जरूर करना चाहिए।

इससे खून की कमी के कारण होने वाली परेशानियां जैसे थकान , चक्कर आना , हाजमा ख़राब होना आदि समस्या में आराम मिलता है। खून की कमी दूर होने से दिमाग को भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। इससे शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती हैं तथा यह दिमाग से सम्बंधित बीमारियों से बचाव होता है।

विषैले तत्व का निकास

जीरे में पाए जाने वाले तत्व शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होते है। विषैले तत्वों के जमा होने पर फोड़े फुंसी आदि होने लगते है अतः जीरे में फोड़े फुंसी से बचाव करने का गुण पाया जाता है।

प्रतिरोधक क्षमता

जीरे में पाए जाने वाले खनिज , विटामिन तथा एंटीऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। ये तत्व फ्री रेडिकल के कारण होने वाले नुकसान से भी शरीर की रक्षा करते है जिससे कई प्रकार की बीमारियां जैसे हृदय रोग और कैंसर आदि से बचाव होता है।

पेट के कीड़े

जीरा का उपयोग करने से पेट में कीड़े पैदा नहीं हो पाते। यदि पेट में कीड़े हों तो यह उन्हें नष्ट करके बाहर निकाल देता है।

जीरे का घरेलु नुस्खों में उपयोग

Cumin Seeds Home Remedies

—  कब्ज या अपच होने पर एक गिलास छाछ में आधा चम्मच भुना पिसा जीरा तथा थोड़ा काला नमक मिलाकर कुछ दिन नियमित पीने से कब्ज में आराम मिलता है।

—  जीरा तथा मिश्री समान मात्रा में लेकर पीस लें। यह चूर्ण एक एक चम्मच दिन में तीन बार ठन्डे पानी के साथ फांक लें। इससे पाईल्स की सूजन कम हो जाती है तथा दर्द मिटता है।

—  गर्भावस्था में होने वाली कब्ज तथा पाईल्स के लिए एक एक चम्मच जीरा , साबुत धनिया तथा सौंफ एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे सुबह उबाल कर छान लें। इसमें आधा चम्मच देसी घी मिलाकर पी लें।  इस प्रकार सुबह शाम चार पांच दिन लेने से कब्ज और बवासीर मिट जाते हैं। इससे बवासीर में रक्त गिरना भी बंद होता है।

—  पानी में जीरा डाल कर उबाल लें। ठंडा होने पर इस पानी से चेहरा धोने से दाग , धब्बे , झाइयां , पिम्पल्स आदि मिटते हैं तथा चेहरे पर चमक आती है।

—  जीरा तथा सेंधा नमक दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे मंजन की तरह दांतों पर नियमित लगाने से दांत मजबूत होते हैं तथा मुंह से बदबू आती हो तो वह भी दूर होती है।

—  जीरा , सौंफ , अजवाइन तथा मेथी की बराबर मात्रा को पीस कर इसमें स्वाद के अनुसार काला नमक मिला लें। यह चूर्ण रोजाना एक चम्मच लेने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। गैस नहीं बनती तथा गैस के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

—  पेट में दर्द होने पर जीरा , अजवाइन , सोंठ , काली मिर्च  , हींग तथा काला नमक बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से गैस या अपच के कारण होने वाला पेट दर्द ठीक होता है।

—  चुटकी भर जीरे में नींबू का रस तथा काला नमक मिलाकर चबाने से  जी घबराना ठीक होता है।

—  सुबह और शाम को एक गिलास दूध में एक चम्मच पिसा हुआ जीरा और एक चम्मच मिश्री मिलाकर पीने से स्तन के दूध में वृद्धि होती है। स्तनपान कराने वाली नवजात शिशु की माँ के स्तन में दूध कम हो तो इसका उपयोग जरूर करना चाहिए।

—   सोते समय आधा चम्मच भुना पिसा जीरा गुनगुने मीठे दूध के साथ लेने से नींद अच्छी आती है।

— एक गिलास पानी में आधा चम्मच जीरा पाउडर , सेंधा नमक , तथा नींबू का रस डालकर पीने से उल्टी होना बंद होता है।

—  जीरे को पानी के साथ बारीक़ पीस कर इसे उबटन की तरह स्किन पर लगाकर नहाने से त्वचा चमकदार हो जाती है तथा स्किन पर होने वाले रोग जैसे खुजली आदि  दूर होते है।

जीरा से नुकसान – Side Effects of Cumin Seeds

जीरा एक दवा के रूप में कम मात्रा में लेना फायदेमंद होता है लेकिन अति किसी भी चीज की नुकसान ही करती है। जीरे का गलत तरीके से उपयोग या अधिक मात्रा में उपयोग भी नुकसानदेह हो सकता है अतः इसके उपयोग में कुछ सावधानी रखनी चाहिए जो इस प्रकार हैं।

—  जीरा पित्त बढ़ाता है अतः पित्त प्रकृति के लोगों को अधिक मात्रा में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।

—   जीरे की तासीर गर्म होती है। गर्भावस्था में किसी भी गर्म तासीर वाली वस्तु का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। अतः जीरा भी कम मात्रा में ही उपयोग करें।

—  जीरा रक्त में शर्करा की मात्रा को प्रभावित करता है अतः डायबिटीज की दवा ले रहे हों तो जीरा डॉक्टर की सलाह के बाद लेना चाहिए। इसी वहज से ऑपरेशन से पहले या बाद में ज्यादा जीरा नहीं लेना चाहिए।

—  यदि जीरे के कारण एलर्जी होती हो तो इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।

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