असगंध asgandh ( अश्वगंधा ) एक जड़ी बूटी है जिसे आयुर्वेदिक में दवा के रूप में काम लिया जाता है। पहले यह राजस्थान के नागौर में अधिक मात्रा में पैदा होती थी और वहीँ से अधिकतर सब जगह भेजी जाती थी इसलिए इसे नागौरी असगंध के नाम से भी जाना जाता है।
अब व्यावसायिक रूप से इसकी खेती मनासा , भानपुरा , जादव तथा नीमच ( मध्य प्रदेश ) में अधिक होती है। मध्य प्रदेश के अलावा असगंध पंजाब , हिमाचल , महाराष्ट्र , राजस्थान , गुजरात आदि राज्यों में भी पाई जाती है।
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने अश्वगंधा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक मांग वाले पोधों में से एक बताया है। World Health Orgnisation ( WHO ) ने भी इसे अत्यधिक औषधीय गुण वाला पौधा माना है .
अश्वगंधा क्या है और कैसी होती है
what is asgandh nagauri in hindi
यह असल में अश्वगंधा नामक झाड़ी की जड़ है। इसकी झाड़ी एक से चार फुट तक की हो सकती है। इसके पत्ते आक जैसे लेकिन छोटे आकार के होते है। इसमें हरे रंग के छोटे फल लगते हैं जो पक कर लाल रंग के हो जाते हैं। बाजार में इस जड़ के सूखे हुए टुकड़े तथा इसका पाउडर आसानी से मिल जाते हैं।
इसकी ताजा जड़ और ताजा पत्ते मसल कर सूंघने पर भी घोड़े के मूत्र जैसी गंध आने के कारण ही शायद इसका नाम अश्वगंधा रखा गया।
इसे अंग्रेजी भाषा में विथेनिया सोमनीफेरा Withania somnifera , इन्डियन जिन्सेंग indian ginseng, विंटर चेरी Wintercherry आदि नामो से जाना जाता है। गुजराती में इसे असोड़ा , मराठी में कंचुकी तथा संस्कृत में कामरुपिनी , गंधपत्री , वजिनी तथा अश्वगंधा कहते है।
असगंध के फायदे
asgandh benefits in hindi
अश्वगंधा की जड़ में कई प्रकार के एल्केलाइड तथा एमिनो एसिड पाए गए हैं जिनके कारण यह शरीर के लिए औषधि का काम करती है। यह एक टोनिक जैसा काम करके शरीर के बिगड़े हुए क्रियाकलाप ठीक कर देती है। इसके सेवन से थकान दूर होकर एक नई ताकत आ जाती है। असगंध की जड़ का चूर्ण दवा के रूप में लिया जाता है।
शोधकर्ताओं ने अपने परीक्षणों में पाया कि असगंध हिमोग्लोबिन बढ़ाने , बाल सफ़ेद होने से रोकने तथा कोलेस्ट्रोल कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा कैंसर , मानसिक परेशानी , डिप्रेशन , एसिडिटी , अल्सर , हाई ब्लड प्रेशर आदि में भी इसे लाभदायक पाया गया। साथ ही इसमें जोड़ों के दर्द व सूजन कम करने के गुण भी पाए गए।
असगंध पाउडर के उपयोग से शुक्राणु तथा मर्दाना ताकत में बढ़ोतरी होती है। असगंध का पाउडर चौथाई चम्मच गुनगुने दूध के साथ सुबह शाम कुछ सप्ताह नियमित लेने से इसका लाभ लिया जा सकता है।
यह गठिया , मूत्र रोग , पेट के रोग , खांसी , साँस व खुजली जैसे रोग में लाभदायक रहती है।
महिलाओं के लिए गर्भधारण में परेशानी , स्तन के दूध में कमी , श्वेतप्रदर , कमरदर्द और कमजोरी जैसी समस्या इसके उपयोग से दूर होती हैं। ल्यूकोरिया के लिए इसे विशेष रूप से लाभदायक पाया गया है।
अश्वगंधा की जड़ एक अच्छा टोनिक है जो महिला , पुरुष , बच्चे , बुजुर्ग सभी ले सकते हैं। असगन्ध के उपयोग से शरीर में स्फूर्ति व ताकत बढ़ती है तथा चेहरे पर कांति आ जाती है। इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। उम्र बढने पर भी रोग दूर रहते हैं।
अश्वगंधा का उपयोग कृशकाय रोगी , सूखारोग से ग्रस्त बच्चे , बुखार के बाद की कमजोरी , शारीरिक या मानसिक थकान आदि स्थितियों के लिए पुष्टिकारक और बलवर्धक होता है।
disclaimer : इस पोस्ट का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है। किसी भी उपचार के लिए चिकित्सक का परामर्श जरुर लें।
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