एलर्जी वाला जुकाम और सामान्य जुकाम में अंतर कैसे पहचाने – Allergy or cold

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एलर्जी वाला जुकाम और सामान्य जुकाम के लक्षण symptom बहुत मिलते जुलते होते हैं। कई बार समझ नहीं आता कि जुकाम सामान्य है या एलर्जी के कारण है। ऐसे में समय पर दवा लेने पर भी फायदा नहीं मिलता।

अतः इन दोनों में अंतर पहचानना जरुरी हो जाता है। कुछ बातों की जानकारी हासिल करके यह पता लगाया जा सकता है कि जुकाम एलर्जी की वजह से है या नहीं। आइये जानें जुकाम और एलर्जी में अंतर कैसे पहचाने।

एलर्जी और सामान्य जुकाम में फर्क

– जुकाम और एलजी दोनों के लक्षण में छींके आना , नाक बहना , नाक बंद होना , आँखों से पानी आना , थकान , सिरदर्द आदि हो सकते हैं। फर्क यह है कि जुकाम के लक्षण एक के बाद एक महसूस होते हैं जैसे पहले छींक आती है , फिर नाक बहने लगती है , फिर नाक बंद होती है। लेकिन एलर्जी होने पर सभी लक्षण एक साथ महसूस होने लगते हैं।

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– जुकाम सामान्य तौर पर 7 से 10 दिन में ठीक हो जाता है जबकि एलर्जी के लक्षण जिस चीज से एलर्जी है उस चीज के संपर्क रहने तक लगातार महसूस होते रहते हैं। जैसे ही उस चीज से दूर होते हैं लक्षण जल्द ही मिटने लगते हैं और तुरंत आराम महसूस होने लगता है।

– जुकाम के कारण नाक से पीलापन लिए द्रव बह सकता है जो संक्रमण के कारण हो सकता है।  जबकि एलर्जी के जुकाम में सामान्यतया पतला , साफ पानी जैसा द्रव नाक से बहता है।

– एलर्जी वाले जुकाम में छींक अपेक्षाकृत ज्यादा आती हैं।

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– सामान्य जुकाम सर्दी के मौसम में ज्यादा होता है जबकि एलर्जी घर में मौजूद किसी चीज से है तो पूरे साल प्रभावित कर सकती है। परागकण Pollens से एलर्जी है तो मार्च – अप्रैल के महीनों में तथा सितम्बर अक्तूबर महीने में पराग कण की मात्रा अधिक होने से इन महीनों में एलर्जी वाला जुकाम अधिक होता है। जुलाई-अगस्त तथा दिसम्बर में पराग कण की मात्रा न्यूनतम होती है।

– सामान्य जुकाम के साथ बुखार भी हो सकता है लेकिन एलर्जी वाले जुकाम में सामान्यतया बुखार नहीं होता है।

– एलर्जी होने पर एलर्जी की दवा से ही लाभ होता है , जुकाम की दवा लेने से नहीं।

एलर्जी वाले जुकाम पर स्थान बदलने का असर

कुछ लोगों को लगता है कि स्थान बदलने से शायद एलर्जी वाले जुकाम में लाभ होगा लेकिन अधिकतर लोगों को जगह बदलने से भी लाभ नहीं होता है क्योंकि पराग कण सभी जगह मौजूद रहते हैं सिर्फ उनकी किस्म बदल जाती है। उन्हें नई जगह पर नई किस्म के परागकण से एलर्जी होने लगती है। हाँ , यदि घर में मौजूद डस्टमाइट से एलर्जी है या मोल्ड आदि से एलर्जी है तो स्थान बदलने से जरुर लाभ हो सकता है।

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परागकण Pollen से एलर्जी वाला जुकाम

हवा में परागकण उड़ते रहते हैं जो साँस के साथ नाक में चले जाते हैं। इनके कारण नाक से पानी बहना और जुकाम जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

अधिकतर उन पेड़ पौधों से एलर्जी ज्यादा होती है जिनमे किसी प्रकार का फल या फूल नहीं लगते जैसे घास की या झाड़ियों की कई प्रजातियाँ।  इनमे से बहुत छोटे , हल्के और सूखे परागकण निकल कर हवा में उड़ते रहते हैं तथा हवा के साथ उड़ कर मीलों तक चले जाते हैं और ये एलर्जी वाले जुकाम का मुख्य कारण बनते हैं। इनके अलावा कई बड़े पेड़ जिनकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है एलर्जी पैदा कर सकते है।

मौसम विभाग हवा में मौजूद परागकण की मात्रा Pollen count का पता करके उनके कम या अधिक होने की जानकारी उपलब्ध कराता है।

जब हवा में पराग कण की मात्रा कम होती है सिर्फ अत्यधिक सेंसिटिव लोगों को ही उनसे एलर्जी व जुकाम होता है। ऐसे में एलर्जी ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत कम होती है। लेकिन जब हवा में पराग कण ज्यादा होते हैं तो ये अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं और एलर्जी से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ जाती है। यह जानकारी होने पर एलर्जी से बचने में मदद मिल सकती है।

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