काजल Kajal या सुरमा आँखों में लगाना चाहिए या नहीं इस बारे में लगभग सभी सोंदर्य प्रसाधन विशेषज्ञ ( Cosmetologist ) और चर्मरोग विशेषज्ञ ( Dermatologist ) एक जैसी राय रखते हैं। उनकी सलाह के अनुसार आँख में काजल या सुरमा लगाने से बचना चाहिए। आइये जाने कि आँख में काजल लगाना चाहिए या नहीं और क्यों।
काजल का उपयोग – Kajal use
हमारे देश में आँखों में काजल लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है। माना जाता है कि काजल लगाने से आँखें बड़ी होती है और यह आँखों की रक्षा करता है। महिलाएं सुन्दरता बढ़ाने के लिए इसे लगाती हैं। नजर लगने से बचाने के लिए भी Kajal का उपयोग किया जाता है।
छोटे बच्चों की आँखों में काजल लगाकर माँ अपना प्यार जताती है और नजर लगने से बचाने का उपाय करती है साथ ही Kajal लगाने के बाद उसे शिशु बहुत सुंदर दिखाई देता है।
काजल को कुछ लोग घर में बनाते हैं और कुछ लोग बाजार से खरीद कर लाते हैं। घर पर काजल बनाने के तरीके में सरसों या अरंडी का तेल , घी , दीपक या धातु के बर्तन आदि उपयोग में लाये जाते हैं।
कुछ लोग फिटकरी , अजवाइन , बादाम आदि की मदद से काजल बनाते हैं। अधिकतर बड़े बुजुर्गों से सीखी हुई विधि ही काम में ली जाती है। किसी चिकित्सा पद्धति में काजल बनाने का निश्चित तरीका नहीं मिलता।
शुरू में सुन्दरता के लिए नहीं बल्कि दवा के रूप में काजल लगाया जाता था। तब आँखों के लिए चिकित्सा सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में आँखों को संक्रमण आदि से बचाने के लिए विशेष प्रकार के काजल का उपयोग किया जाता था। वही एकमात्र साधन हुआ करता था।
आज के वैज्ञानिक युग में आँख की कार्यविधि और बीमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल है साथ ही कारगर इलाज और दवा की सुविधा भी आसानी से उपलब्ध है। अतः दवा के रूप में यह प्रयोग निरर्थक हो चुका है। यह जरुर है कि सुन्दरता के लिए महिलाओं द्वारा Kajal का उपयोग बदस्तूर जारी है।
विशेषज्ञों के अनुसार आँख बहुत ही नाजुक अंग है अतः इसकी देखभाल बहुत सावधानी से करनी चाहिए अन्यथा आँख को स्थायी तौर पर पर भी नुकसान संभव है। Kajal , surma या कोई भी अन्य चीज आँख में नही लगानी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार भी रोजाना काज़ल नहीं लगाया जाना चाहिए।
काजल आँख में क्यों नहीं लगाना चाहिए
Kajal kyo nahi lagaye
पारंपरिक तौर पर काज़ल अंगुली से आँख में लगाया जाता है। इसे बनाने के लिए तेल, घी , रुई बादाम आदि जलाकर कालिख मिट्टी के दीपक में इकठ्ठा की जाती है। इस प्रकार बने काज़ल में कार्बन के मोटे कण हो सकते है या दीपक की मिट्टी के बारीक़ कण आ सकते हैं जिनका देखने या छूने से पता नहीं चलता लेकिन ये आँख में खरोंच डाल सकते हैं।
इसके अलावा अंगुली से काज़ल लगाने पर अंगुली या नाख़ून में मौजूद बेक्टीरिया आँख में जाकर कई प्रकार के संक्रमण पैदा कर सकते हैं। नाख़ून से चोट लगने की भी पूरी संभावना होती है।
छोटे बच्चों को नियमित काज़ल लगाने से उनके दिमाग तथा अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। शिशु अपने हाथों से आँख मसल कर खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। नहाते समय काज़ल बहकर अंदर जाकर संक्रमण पैदा कर सकता है।
बाजार में मिलने वाले काज़ल में लेड तथा अन्य केमिकल हो सकते हैं जो रोजाना के उपयोग से बहुत हानिकारक साबित हो सकते हैं। अच्छी और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के काज़ल से भी बहुत से लोगों को दिक्कत संभव है। घर पर बनाये गए काजल या हर्बल काजल से भी उतना ही नुकसान हो सकता है।
काज़ल लगाने से आँख बड़ी होती है यह सोचना एक भ्रम मात्र है। काज़ल लगाने से नजर नहीं लगती , यह भी एक प्रकार का अंधविश्वास है। फिर भी लगाना चाहें तो कान के पीछे , मस्तक पर अथवा हथेली या पगथली में काजल की बिंदी लगा दें पर आँख में ना लगायें।
काजल से आँखों को नुकसान
Side effects of Kajal
आँख के सभी नाजुक अंग जैसे कोर्निया , लेंस , आँख का सफ़ेद हिस्सा , पलकें आदि को नुकसान हो सकता है। इसके अतिरिक्त आंसू वाली नली बंद होकर संक्रमण पैदा हो सकता है। काजल से होने वाली समस्या इस प्रकार हो सकती हैं –
— कन्जक्टीवाईटिस
— एलर्जी
— आँखों में सूजन
— अंडर आई डार्क सर्कल
— आँख में फुंसी , गुहेरी
— कोर्निया को चोट
— आँख में जलन और लाली
— लगातार आंसू आना
— काला पानी , ग्लूकोमा
— आंख में सूखापन और किरकिरी होना
यदि आँख में इन्फेक्शन हो , चोट लगी हो या ऑपरेशन करवाया हो तो किसी भी प्रकार का आँख का मेकअप जैसे लाइनर , काज़ल सुरमा आदि का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। किसी अन्य व्यक्ति द्वारा काम में लिया जाने वाला काजल नहीं लगाना चाहिए।
आँखें बहुत महत्वपूर्ण हैं और बिना मेकअप के भी सुन्दर दिखती हैं , साथ ही बहुत नाजुक भी होती हैं। अतः प्रकृति की इस अनमोल देन को सहेज कर रखना चाहिए ताकि लम्बे समय तक इनका साथ मिल सके।
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