कीटो जनिक डाइट Ketogenic Diet या कीटो डाइट का नाम आजकल काफी सुनने में आ रहा है। यह वजन कम करने के लिए खाने पीने में बदलाव का एक तरीका है। आइये जाने कीटो डाइट keto Diet क्या है , इससे वजन कम कैसे होता है और इसके लिए खाने पीने में क्या बदलाव किये जाते हैं।
कीटो डाइट को समझने से पहले यह समझ लेना चाहिए कि शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा या ईंधन कैसे मिलता है , शरीर पर मोटापा क्यों चढ़ जाता है और इनका कीटोसिस नामक प्रक्रिया से क्या सम्बन्ध है। आइये इन्हें समझते है –
मोटापा और चर्बी बढ़ने के कारण
Cause of fat deposit in hindi
हमारे शरीर को काम करने के लिए ईंधन यानि एनर्जी की जरुरत होती है। भोजन से ग्लूकोज के रूप में ईंधन मिलता है। शरीर कुछ ईंधन आपातकालीन स्थिति के लिए बचाकर रख लेता है। यह ईंधन तीन जगह जमा होता है। लीवर में , मांसपेशियों में तथा शरीर पर चर्बी ( फैट , मोटापा ) के रूप में।
शरीर की कोशिश रहती है कि जितना हो सके अधिक से अधिक ईंधन जमा करके रखे ताकि भविष्य में खाना ना भी मिले तो शरीर चलाने में तकलीफ ना आये। लीवर तथा मांसपेशियों में एक सीमित मात्रा तक ईंधन जमा हो सकता है यानि कह सकते हैं कि ईंधन जमा करने के ये छोटे गोदाम हैं।
खाना नहीं मिलने की स्थिति में पहले लीवर या मांसपेशी में जमा ईंधन का उपयोग होता है। यह ईंधन शरीर को 6 घंटे से 24 घंटे की अवधि तक चला सकता है। ज्यादा परिश्रम होने पर जल्दी समाप्त होता है। यह ईंधन समाप्त हो जाने पर चर्बी या मोटापे के रूप में जमा ईंधन काम में लिए जाता है।
चर्बी ( फैट , मोटापा ) के रूप में अत्यधिक मात्रा में ईंधन जमा हो सकता है यानि इन्हें ईंधन जमा करने के बड़े गोदाम कहा जा सकता है। यहाँ अधिक से अधिक माल भरा जा सकता है। चर्बी वाला ईंधन लम्बे समय तक शरीर को चला सकता है।
आपात स्थिति ( खाना ना मिले ) कभी नहीं आती क्योंकि हमे खाना आसानी से और प्रचुर मात्रा में हर समय उपलब्ध रहता है। जिसमे ईंधन ( शक्कर , ग्लूकोज ) इतना अधिक होता है कि छोटे या बड़े गोदाम को देखने की भी जरुरत नहीं पड़ती। इसीलिए ईंधन के रूप में चर्बी जमा होती रहती है और मोटापा बढ़ता रहता है।
कीटोसिस क्या होता है
What is Ketosis in hindi
जब शरीर को भोजन से ग्लूकोज के रूप में ऊर्जा नहीं मिलती तो शरीर ऊर्जा के अन्य स्रोत यानि फैट को काम में लेता है। इस प्रक्रिया में कीटोन्स Ketones बनते हैं जो शरीर के लिए उच्च कोटि का ईंधन है। इस ईंधन से शरीर और दिमाग चलता है और इस प्रक्रिया को कीटोसिस Ketosis कहते हैं।
यदि आपने एक टाइम का खाना नही खाया हो या दिन भर में कार्बोहाईड्रेट वाली कोई चीज ना खाई हो या घंटे भर से भी ज्यादा समय तक एक्सरसाइज की हो तो कीटोसिस की प्रक्रिया शुरू होकर उससे ऊर्जा मिलना शुरू हो जाती है।
कीटोजेनिक डाईट लेकर हम शरीर को ऊर्जा के लिए फैट का उपयोग करने के लिए मजबूर करते हैं। इससे मोटापा कम हो जाता है।
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कीटो जनिक डाइट क्या होती है
Ketogenic Diet hindi me
भोजन मे ऐसी चीजें लेना जिनसे कीटोसिस की प्रक्रिया से शरीर और दिमाग को ऊर्जा मिलना शुरू हो जाये कीटोजेनिक डाईट कहलाती है।
कीटो जनिक डाईट में प्रोटीन और फैट की अधिक मात्रा और कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा वाला भोजन लिया जाता है। कम कार्बोहाईड्रेट लेने से शरीर कीटोसीस की प्रक्रिया शुरू करके उर्जा के लिए चर्बी काम में लेना शुरू कर देता है।
कीटो डाइट में क्या खाते हैं
What to eat for keto diet in hindi
कीटो डाइट में अधिक प्रोटीन , अधिक फैट युक्त तथा कम कार्बोहाईड्रेट वाले आहार लिए जाते हैं। साथ ही पोषक तत्वों की कमी ना हो इसका ध्यान भी रखा जाता है। डाइट में पौष्टिक बैलेंस बना कर रखा जाता है।
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कीटो डाइट में क्या न खाएँ
जिन चीजों में कार्बोहाईड्रेट ज्यादा होता है और जिन्हें नहीं लिया जाता या कम लिया जाता है वो इस प्रकार हैं –
मीठा
केक , आइसक्रीम , चोकलेट , मीठा दूध , मीठा दही, , कुकीज , कैंडी , शहद , गुड़ , मिठाइयाँ , हलवा आदि।
अनाज से बने आहार
गेहूं , मक्का , चावल और अन्य अनाज व इनसे बने खाने के सामान , ब्रेड , बिस्किट , पास्ता , मैगी आदि।
फल सब्जी
कुछ फल में प्राकृतिक रूप से शक्कर ज्यादा होती है जैसे पका हुआ केला , आम , अंगूर , अनार , अनानास , नाशपाती , तरबूज , सेब आदि। सब्जी में जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियाँ आलू , प्याज , गाजर , शकरकंद , चुकंदर आदि।
ड्रिंक्स
फ्रूट जूस , कोल्ड ड्रिंक , बीयर आदि।
कीटो डाइट में क्या खाएँ
जिन चीजों में कार्बोहाईड्रेट कम होते हैं तथा लिए जा सकते हैं वो ये हैं –
पालक , बैगन , खीरा , टमाटर , मटर , पत्ता गोभी , फूल गोभी , करेला , फ्रेंच बीन्स , चौलाफली , ग्वारफली , शिमला मिर्च , मशरूम आदि। इसके अलावा प्लेन दही ( जिसमे शक्कर ना मिली हो ) ले सकते हैं। कम मात्रा में दूध डालकर बनाई गई चाय या कोफी एक दो बार ले सकते हैं।
राजमा , दाल , चने आदि कम मात्रा में ले सकते हैं क्योकि इनमे प्रोटीन , विटामिन , खनिज , फाइबर तथा अन्य आदि पोषक तत्व भी होते है। इसके अलावा ये देर से पचते हैं और शुगर की मात्रा भी नहीं बढ़ाते अतः इन्हें लिया जा सकता है।
अमरुद , खरबूजा , पपीता , किवी आदि में अधिक शक्कर नहीं होती अतः कम मात्रा में ले सकते हैं। बिना शक्कर मिला हुआ दूध कम मात्रा में ले सकते हैं। दूध में प्राकृतिक रूप से शक्कर होती है।
मटन , चिकन , मछली , अंडा आदि लिए जा सकते हैं। इनमे प्रोटीन और फैट की मात्रा मात्रा अधिक होती है।
इसके अलावा सूखे मेवे जैसे बादाम , अखरोट , कद्दू के बीज , तिल , अलसी के बीज , तरबूज और खरबूजे के बीज आदि ले सकते हैं।
पनीर , दही , घी , मक्खन , चीज , क्रीम , ओलिव ओइल आदि ले सकते हैं।
कीटोजनिक डाईट में कार्बोहाईड्रेट कितने लें
How much carbohydret in keto diet hindi me
यदि आप स्ट्रिक्टली लो कार्ब्स डाईट फोलो करना चाहते हैं तो इनकी मात्रा दिन भर में 20 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मध्यम रूप से फोलो करना चाहें तो में 20 से 50 ग्राम कार्ब्स प्रतिदिन ले सकते हैं और आरामदायक स्थिति में 50 से100 ग्राम कार्ब्स प्रतिदिन ले सकते हैं।
कीटोजेनिक डाईट के नुकसान
keto diet nuksan in hindi
— इन्सुलिन तथा इलेक्ट्रोलाइट का स्तर कम हो सकता है तथा पानी की कमी भी हो सकती है। इसके कारण जी घबराना , सिरदर्द , थकान , चिडचिड़ाहट , क्रेम्प्स आदि महसूस हो सकते हैं।
— कब्ज हो सकती है। कार्बोहाईड्रेट कम लेने से शरीर में फाइबर भी कम जाते हैं। क्योकि फल , साबुत अनाज , स्टार्च वाली सब्जी आदि कम लिए जाते हैं। इन्हें कम लेने से पोटेशियम की कमी भी हो सकती है जो ब्लड प्रेशर और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए जरुरी होता है। वसा युक्त आहार अधिक लेने से शुरू में कुछ लोगों को दस्त की शिकायत भी हो सकती है।
— इन्सुलिन का स्तर कम होने के कारण शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है। अगर पसीना ज्यादा आता है तो सोडियम और भी कम हो सकता है। अतः खाने में नमक थोड़ा बढ़ा लेना चाहिए।
कीटो डाइट लेते समय क्या ध्यान रखें
Keto diet tips in hindi
— कीटोजेनिक डाईट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरुर कर लेना चाहिए और हो सके तो किसी अच्छे डायटीशियन , न्यूट्रीशनिस्ट की मदद से खाने पीने की चीजों का चार्ट बना लेना चाहिए जिसे आप आसानी से अपना सकें।
— किडनी की समस्या , डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम वाले लोगों को कीटो डाइट नहीं लेनी चाहिए या डॉक्टर की कड़ी निगरानी में ही इसे अपनाना चाहिए।
— पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
— यदि अत्यधिक प्यास लगे , बार बार पेशाब आये , उल्टी या जी घबराना हो , पेट में दर्द , साँस लेने में दिक्कत , साँस में नेल पोलिश रिमूवर जैसी गंध आये तो डॉक्टर को सूचित करना चाहिए।
— शुरू में कार्ब्स बिलकुल बंद कर देने से हाइपोग्लाईसेमिया ( सुगर कम होना ) की समस्या हो सकती है अतः धीरे धीरे कम करें।
— मानसिक तनाव ना हो तथा नींद पूरी हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
( डिस्क्लेमर : इस पोस्ट का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है , किसी भी उपचार के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें )