गिलोय की बेल Giloy ki bel में पान जैसे पत्ते होते हैं। गर्मी के मौसम में इसमें छोटे पीले रंग के फूल गुच्छे में लगते हैं तथा बेर जैसे फल लगते हैं जो पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके तने ( काण्ड या डंडी ) पर गाँठ जैसे उभार होते हैं।
हमारा वातावरण गिलोय की लता के अनूकुल होने के कारण यह पार्क , बगीचे , खेतों की मेड़ , सड़क के किनारे , पेड़ों या झाड़ियों से लिपटी अक्सर दिखाई पड़ जाती है ।
गिलोय का उपयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है । इसका तना , पत्ते , जड़ और फल सभी दवा के रूप के प्रयुक्त किये जाते हैं । आधुनिक युग के वैज्ञानिक और डॉक्टर भी इसके औषधीय प्रभाव को स्वीकार करते हैं ।
गिलोय के अन्य नाम
Giloy ke naam
हिंदी में गिलोय , गुची Guchi व गर्च Garch कहलाने वाली इस बेल को मराठी में गुडूची Guduchi या गुलवेल Gulvel , गुजराती में गरो Galo , बंगाली में गुलंच Gulanch , कन्नड़ मे अमृताबल्ली , तमिल में शिंडीलकोडी आदि नामों से जाना जाता है । आयुर्वेद में इसे अमृता Amrita , गुडूची , छिन्न रूहा Chhinn ruha , चक्रांगी chakrangi जिवंतिका jivantika आदि कहा जाता है ।
नीम गिलोय क्या होती है
Neem Giloy
गिलोय की बेल पेड़ पर चढ़ जाती है और जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुण इसमें आ जाते हैं । नीम के पेड़ पर लगी गिलोय की बेल में नीम के गुण भी समाये होते हैं। अतः यह नीम गिलोय Neem Giloy कहलाती है । इस Giloy को सर्वश्रेष्ठ हितकारी माना जाता है ।
गिलोय का कौनसा हिस्सा काम में लें
Giloy ki bel ka kaunsa part le
वैसे तो गिलोय की बेल के तना , जड़ , पत्तियां और फल आदि सभी अंग काम आते हैं परन्तु इसके तने में पाया जाने वाला कड़वे स्वाद का स्टार्च जिसे गिलोय सत्व कहते हैं मुख्य औषधि होता है । यह लिसलिसा पदार्थ लाभदायक और औषधि गुणों से युक्त होता है ।
गिलोय की बेल घर पर कैसे लगायें
Giloy ki bel gamle me kaise ugaye
इसे लगाना बहुत आसान होता है । इसे गमले में या जमीन में लगाया जा सकता है । बेल के तने का टुकड़ा ( अंगुली जितना मोटा और लगभग दस बारह इंच लम्बा ) लेकर जमीन या गमले में गाड़ दें । कुछ समय बाद इसमें फूट होना शुरू हो जाता है ।
इसे रस्सी का या अन्य कोई सहारा दे दें जिस पर यह चढ़ जाये । यह बेल तेजी से बढकर चारों तरफ फ़ैल जाती है । वैसे तो इसे कभी भी लगाया जा सकता है लेकिन मार्च अप्रैल में लगाने से यह जल्दी लगती और बढ़ती है।
गिलोय कौनसे दोष शांत करती है
Giloy se kaunsa dosh theek hota he
Giloy का तना और गिलोय सत्व त्रिदोष नाशक होता है । इसकी तासीर गर्म होती है । इसकी तासीर गर्म होते हुए भी यह पित्त दोष नहीं बढाती है । इसका कसैला और कड़वा स्वाद पित्त तथा कफ दोष शांत करता है तथा पाचन के पश्चात यह वात दोष को शांत करती है । यह रक्त , मेद तथा शुक्र धातु को प्रभावित करती है ।
गिलोय कौनसे रोग में काम आती है
Giloy se kaunsi bimari theek hoti he
कहा जाता है कि Giloy की बेल न तो खुद मरती है ना ही इसका सेवन करने वाले को मरने देती है। आयुर्वेद में इसे इसे अमृत के सामान गुणकारी होने के कारण अमृता Amrata कहा जाता है ।
इसके तने से मिलने वाले गिलोऊ सत्व का उपयोग खांसी , कफ , सिरदर्द , जोड़ों में दर्द , मलेरिया , टाइफाइड , अम्लपित्त , वातपित्त , पीलिया , तिल्ली बढ़ना , डायबिटीज , अनियमित धड़कन आदि रोगों की दवा बनाने में काम आता है । यह अर्थराइटिस , त्वचा रोग , लीवर , पाचन तथा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी काम आती है ।
खून साफ करने वाली , बुखार उतरने वाली , खांसी मिटने वाली औषधि के रूप में इसका बहुत उपयोग होता है । टाइफाइड , मलेरिया , डेंगू में आदि बुखार में यह विशेष लाभदायक हो सकती है ।
गिलोय की जड़ का उपयोग दमा , सांप के जहर का असर मिटाने , कुष्ठ रोग आदि की दवाओं में किया जाता है ।
गिलोय के फल पीलिया , गठिया में लाभप्रद होते हैं ।
गिलोय की पत्तियां प्रोटीन , कैल्शियम तथा फास्फोरस का स्रोत होती हैं ।
गिलोय के फायदे
Giloy se kya labh hota he
इम्युनिटी बढ़ाने में गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान होता है । इसके एंटीओक्सिडेंट युक्त गुण कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा करते हैं । यह लीवर और किडनी के माध्यम से विषैले तत्व निकालने में सहायक होती है साथ ही हानिकारक बेक्टीरिया को नष्ट करके रोग मुक्त करती है ।
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बुखार होने पर यह लाभदायक सिद्ध होती है। डेंगू होने पर कम हुए प्लेटलेट्स की संख्या इसके उपयोग से बढ़ सकती है ।
यह रक्त में शक्कर की मात्रा को कम करके डायबिटीज में मददगार साबित हो सकती है । डायबिटीज की दवा ले रहे हो तो चिकित्सक की सलाह से ही इसका उपयोग करना चाहिए । गिलोय के उपयोग से रक्त में शक्कर की मात्रा कम हो जाती है । यह इन्सुलिन की मात्रा में वृद्धि करती है ।
गिलोय में मानसिक शक्ति तथा याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। साथ ही यह तनाव कम करने मे भी सहायक होती है ।
शारीरिक और मानसिक ताकत बढ़ाने के साथ ही यह प्रजनन क्षमता में भी वृद्धि कर सकती है ।
यह उम्र के साथ होने वाली हर प्रकार की कमजोरी को दूर रखने में सहायक होती है । इसका नियमित उपयोग झुर्रियों आदि से बचा सकता है ।
टीबी के उपचार में गिलोय बहुत असरकारक होती है । यह टीबी के बेक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है तथा उन्हें नष्ट कर देती है । आँतों तथा मूत्र संसथान में पाए जाने वाले संक्रमण को मिटाने में भी गिलोय प्रभावी होती है ।
इसके उपयोग से एलर्जी वाले जुकाम तथा अस्थमा आदि में बहुत लाभ होता है ।
गुधुची का तेल लगाने से त्वचा गोरी और स्वस्थ बनती है ।
गिलोय के उपयोग में सावधानी
Giloy se kya nuksan hota he
इसका अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक हो सकता है ।
डायबिटीज से ग्रस्त दवा का सेवन कर रहे हों तो गिलोय का उपयोग चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए । अन्यथा रक्त में शक्कर की मात्रा अत्यधिक कम हो सकती है ।
यह इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करती है अतः ऑटो इम्यून सम्बन्धी परेशानी हो तो गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा परेशानी बढ़ सकती है ।
गिलोय के सेवन से कब्ज हो सकती है अतः लम्बे समय तक उपयोग ना करें ।
पांच साल से छोटे शिशु को Giloy बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं देनी चाहिए ।
गिलोय का सेवन कैसे करें
Giloy ko kaise le
गिलोय का उपयोग करने के लिए इसके तने की 6-8 इंच लम्बी ताजा डंडी लें । इसका छिलका निकाल दें और अच्छे से धोकर साफ कर लें ।
अब इसे कूटकर आधा लीटर पानी में डालकर उबालें । जब पानी आधा रह जाये तो गैस बंद करके ठंडा होने दें । ठंडा होने के बाद छानकर पी लें । स्वाद के लिए थोड़ी मिश्री या नमक मिला सकते हैं ।
दिन में एक बार लें । यह सर्दी , जुकाम , खांसी , वाइरल या अन्य बुखार , खून की कमी , पीलिया आदि में फायदेमंद है । इसके अलावा पेट के कीड़े तथा पेशाब में संक्रमण आदि में भी लाभ होता है ।
गिलोय का पाउडर दूध में मिला कर पीने से गठिया में आराम मिलता है ।
गिलोय की पत्तियां पीसकर दो तीन बार लगाने से हथेली व पगथली में होने वाली जलन में आराम मिलता है ।
पांच साल से बड़े बच्चों को सामान्य सर्दी खांसी जुकाम बुखार आदि होने पर गिलोय के पत्तों के रस में शहद मिलकर चटाने से आराम मिलता है ।
( इस पोस्ट का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है। किसी भी उपचार के लिए चिकिसक से परामर्श अवश्य करें )
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