बांकी माता Banki Mata का मंदिर जयपुर ( राजस्थान ) जिले मे राइसर गाँव मे स्थित है । यह जमवारामगढ़ तहसील मे आता है । जमवारामगढ़ से आंधी जाने वाले रास्ते पर यह मंदिर स्थित है। रायसर Raisar गाँव के देवीतला नामक स्थान पर बाँकी माता का यह प्राचीन मंदिर है । बाँकी माता का मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ।
मंदिर पहुँचने के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है । जयपुर से मंदिर की दूरी लगभग 60 किलो मीटर है । रास्ते के मनोरम दृश्य मन में सुकून पैदा करते हैं । जयपुर से दौसा – शाहपुरा हाई वे से भी यहाँ पहुँचा जा सकता है ।
बाँकी माता को मीणा समाज के कई गोत्रों द्वारा कुल देवी माना जाता है ।
बांकी माता मंदिर की विशेषता
Banki Mata Ka Mandir
कहा जाता है कि यह बाँकी माता का मंदिर लगभग 1300 वर्ष पुराना है । ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 700 सीढ़ी बनी हुई है । कुछ समय पहले यात्रियों की सुविधा हेतु रेम्प का निर्माण भी किया गया है ।
सीढ़ी वाले रास्ते पर भैरव केसरी सिंह जी तथा पृथ्वी सिंह जी के मंदिर हैं । इनके दर्शन करना जरूरी माना जाता है । यहाँ दर्शन करने के बाद यात्री बाँकी माता के दर्शन के लिए जाते हैं ।
माता के दर्शन और ऊंचाई से दिखने वाले दृश्य मन को गदगद कर देते हैं । चढ़ाई की सारी थकान मिट जाती है । बांकी माता के मंदिर मे कांच की सुंदर कारीगरी की हुई है । बांकी माता के मंदिर की परिक्रमा वाले रास्ते को सुंदर चित्रों से सजाया गया है । माँ जगदंबा के कई स्वरूप के चित्र दीवार पर बने हुए हैं ।
होली और दिवाली जैसे त्योहारों पर बाँकी माता के दर्शन हेतु अत्यधिक लोग दर्शन करने आते हैं ।
बांकी माता का मेला – Banki Mata Mela
नवरात्रा में बांकी माता के मंदिर में लक्खी मेला भरता है जिसमें दूर दूर से श्रद्धालु आकर सम्मिलित होते हैं । नव विवाहित जोड़े तथा जात – जड़ूले चढ़ाने वाले विशेष रूप से आते हैं। मंदिर कमेटी तथा पंचायत प्रशासन द्वारा मेले में कई इंतजाम किये जाते हैं।
श्रद्दालुओं की सुविधा के लिए मुख्य बाजार तथा मंदिर जाने वाले रास्ते पर वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया जाता है। वाहनों के लिए शिव मंदिर के पास तथा लुनेड़ा मोड़ पर पार्किंग की व्यवस्था रहती है।
मेले में कई अस्थायी दुकानें सजती हैं। यहाँ दूर गांव ढ़ाणियों से आने वाले लोग अपनी पसंद से खरीददारी करते हैं। कई गाँव कस्बों से पदयात्रा करते हुए लोग आते हैं। कुछ लोग मनोकामना पूरी होने पर दंडवत करते हुए दर्शन के लिए आते हैं।
मनोरंजन के लिए बड़े बड़े झूले आदि लगाए जाते हैं। इसके अलावा यात्रियों के विश्राम हेतु यहाँ धर्मशाला की व्यवस्था उपलब्ध है , जो पूरी तरह निशुल्क है ।
बांकी माता नाम कैसे पड़ा – Banki Mata Nam Kyo
कहा जाता है कि गाँव का एक जमींदार , माता का महत्तम नहीं मानता था। दूसरे लोगों को भी ऐसा ही बर्ताव करने के लिए कष्ट देता था। कुछ समय बाद एक दिन जमींदार का मुँह बांका यानि टेढ़ा हो गया । यहाँ वहाँ बहुत से इलाज करवाने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ।
किसी ने उसे माता के दर्शन करके क्षमा याचना करने की सलाह दी। उसने ऐसा ही किया और माता में मंदिर में आकर शीश नवाया। इसके बाद वो ठीक हो गया । कहा जाता है कि तब से इस मंदिर का नाम बाँकी माता का मंदिर पड़ा ।
मुसाणया वाले भैरूँ जी – Musanya Bhairu
माता के मंदिर से 1 km की दूरी पर शमशान में मुसाणया वाले भैरूँ जी का मंदिर स्थित है । मनोकामना पूर्ति के लिए यात्री यहाँ के दर्शन के लाभ उठाते हैं । यहाँ फाल्गुन महीने की अष्टमी तिथि पर मेला भरता है । मेले मे लाखों लोग दूर दूर से आते हैं । मुसानिया भैरूँ जी को दारू , बाटी , पतासे , लौंग जोड़े आदि का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है । भैरूँ जी के दर्शन के बाद दर्शनार्थी वहाँ स्थित गौरी जी और शिव मंदिर के दर्शन भी करते हैं ।
जमुवाय माता का मंदिर – Jamuvay Mata
आंधी मार्ग पर ही जमुवाय माता का मंदिर स्थित है । यात्री यहाँ के दर्शन का लाभ भी ले सकते हैं । यह कछवाहा राजवंश की कुलदेवी का मंदिर है । कछवाहा राजा दूल्हे राय ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था । जमवा माता के कारण ही यह स्थान जमवा रामगढ़ कहलाता है । जमवा माता का पौराणिक नाम जामवंती है । नवरात्रा मे यहाँ मेला भरता है । यहाँ माता को लापसी का भोग अर्पित किया जाता है ।
रामगढ़ बांध – Ramgarh Dam
रास्ते मे प्रसिद्ध रामगढ़ बांध के अवशेष देखे जा सकते हैं , जहां से कभी पूरे जयपुर को पानी सप्लाई होता था । लेकिन यह अब पूरी तरह सूख चुका है ।
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