साइबर सिकनेस का मतलब है , वो शारीरिक परेशानी जो मोबाईल , कंप्यूटर , या टीवी आदि के अधिक उपयोग के कारण होती है । इस समस्या मे कई प्रकार की दिक्कत महसूस हो सकती है जैसे जी घबराना , चक्कर आना , सिरदर्द , आँखों मे जलन इत्यादि । इन दिनों यह एक आम समस्या बन गई है ।
साइबर सिकनेस कैसे और क्यों होती है
आजकल बच्चे , युवा और बड़े सभी मोबाईल , टीवी या लेप्टोप पर अत्यधिक समय व्यतीत करते हैं । कोरोना के कारण स्कूल की पढ़ाई हो या ऑफिस का काम सब कुछ स्क्रीन के माध्यम से हो रहा है । स्कूल या ऑफिस का काम समाप्त होने के बाद भी स्क्रीन नहीं छोड़ी जाती ।
वीडियो गेम या सोशल नेटवर्किंग के लिए मोबाईल पर नजरें टिकी रहती हैं । वाट्स अप , इंस्टाग्राम और फेस बुक दिन भर चलते रहते हैं या फिर टीवी पर कोई प्रोग्राम देखा जा रहा होता है । यहाँ तक कि कुछ लोग तो दो दो स्क्रीन एक साथ देखते हैं ।
जब अधिक समय तक स्क्रीन देखने मे आँखें व्यस्त रहती हैं तो इसका बुरा असर पूरे शरीर पर पड़ने लगता है ।
कुछ लोगों को बैचेनी , सिरदर्द , जी मिचलाना या चक्कर आना जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं । ये लक्षण होने पर इसे साइबर सिकनेस कहा जाता है ।
साइबर सिकनेस की यह समस्या हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है । स्क्रीन के बुरे प्रभाव के कारण बच्चों मे एकाग्रता की कमी और युवाओं मे गुस्सा आने की समस्या भी देखी जा सकती है ।
स्क्रीन के कारण चक्कर , जी घबराना क्यों
अधिक देर तक स्क्रीन देखने से जी घबराना , चक्कर आना या सिरदर्द का कारण कान के अंदर मौजूद वेस्टिबुलर नाम का सिस्टम हो सकता है । वेस्टिबुलर सिस्टम शरीर की गतिविधि को पहचान कर शरीर को संतुलित करने का काम करता है ।
जब स्क्रीन पर दृश्य तेजी से बदलते हैं तो मस्तिष्क को दो प्रकार के विपरीत संदेश मिलते हैं । एक तो कान के माध्यम से संदेश मिलता है कि शरीर स्थिर है । जबकि दूसरा संदेश आँखों के माध्यम से मिलता है जो यह बताता है कि सामने दृश्य तेजी से बदल रहे हैं ।
ये दोनों विपरीत संदेश जब अधिक देर तक दिमाग मे जाते हैं तो दिमाग मे कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो जाती है । जिसके कारण सिरदर्द , जी मिचलाना और चक्कर आने जैसे लक्षण उभरने लगे हैं ।
ये वैसा ही है जैसा बस या कार के सफर मे उलटी होना या जी मिचलाना होता है । इसे मोशन सिकनेस कहा जाता है । कारण दोनों परिस्थिति मे लगभग एक जैसे होते हैं । जिन लोगों को सफर के समय दिक्कत अधिक होती है यानि मोशन सिकनेस अधिक होता है उन्हे साइबर सिकनेस भी अधिक परेशान करता है ।
( इसे भी पढ़ें : कार , बस या अन्य सफर मे उलटी होना , जी घबराना , चक्कर आना कारण और उपाय )
अगर नींद पूरी नहीं हुई हो या समय से भोजन नहीं किया हो तो साइबर सिकनेस के ये लक्षण ज्यादा बढ़ सकते हैं ।
जिन लोगों को वेस्टिबुलर सिस्टम की या माइग्रेन की समस्या हो तो उन्हे भी साइबर सिकनेस होने की संभावना अधिक होती है ।
इसके अलावा अधिक देर तक एक ही स्थिति मे रहने से मांसपेशियों मे दर्द हो सकता है । पलकें कम झपकने की वजह से आँखों मे जलन , आँख लाल होना या आँख से पानी आने की दिक्कत भी हो सकती है ।
साइबर सिकनेस के लक्षण
अलग अलग लोगों मे साइबर सिकनेस के अलग लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं । इन लक्षणों मे सामान्य रूप से इस तरह की परेशानी देखने को मिल सकती है –
- सिरदर्द
- जी घबराना
- चक्कर आना
- थकान
- उदासीनता
- स्वभाव मे चिड़चिड़ापन आना
- रोजाना के जीवन मे बोरियत होना
- किसी काम पर फोकस नहीं कर पाना
- आँखों मे जलन होना
- पसीना अधिक आना
- नींद नहीं आना या नींद कम आना , सपने ज्यादा आना
- गर्दन और कंधों मे दर्द रहना
साइबर सिकनेस का टेस्ट घर पर कैसे करें
यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होते हैं और आप यह जानना चाहते हैं कि आपको साइबर सिकनेस है या नहीं तो इसके लिए आप खुद एक टेस्ट घर पर ही कर सकते हैं ।
इसके लिए एक दिन ऐसा निकालें जब आप किसी तरह की कोई स्क्रीन ना देखें । ना मोबाईल , ना लेप्टोप और ना ही टीवी । यदि ऐसा करने से आपके लक्षण ठीक होते हैं और आप अच्छा महसूस करते हैं तो इसका मतलब है आपकी समस्या का कारण साइबर सिकनेस है ।
इसके अलावा टीवी देखते समय या कंप्यूटर पर काम करते समय यदि आप चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं तो इन्हे छोड़कर कुछ देर ताजी हवा मे बाहर रहें । यदि उस समय आप अच्छा और खुशनुमा महसूस करते है तो यह बताता है कि आपको स्क्रीन देखने का समय कम कर देना चाहिए ।
साइबर सिकनेस से बचने के उपाय
- मॉर्निंग या ईवनिंग वाक या हल्की फुलकी एक्सरसाइज़ नियमित करें ।
- कुछ देर आस पड़ोस के लोगों से बातचीत करने की कोशिश करें ताकि स्क्रीन टाइम कम हो सके ।
- ऑफिस का काम तो स्क्रीन पर करना ही पड़ता है लेकिन इसके अलावा टाइम मे मोबाईल या टीवी की स्क्रीन से बचने की कोशिश करें ।
- रात को सोते समय मोबाईल ना देखें और जल्दी सोने की कोशिश करें ।
- लैपटॉप या कंप्यूटर पर ब्लू फ़िल्टर लगा कर रखें ।
- रोजाना के काम मोबाईल पर कम से कम करें जैसे लिस्ट बनाना , टाइम देखना , अलार्म भरना , न्यूज पेपर पढ़ना आदि ।
- हर 20 मिनट के बाद स्क्रीन से आँखें हटा कर 20 फुट दूर 20 सेकंड तक देखें फिर 20 बार पलकों को तेजी से झपकाएं ।
- फॉन्ट (अक्षर ) का आकार बड़ा रखें ।
- एक साथ दो स्क्रीन चालू रखकर ना देखें ।
- यदि संभव हो तो सिर्फ सुनकर काम चलाएं जैसे धार्मिक प्रवचन आदि ।
- स्क्रीन की contrast कम रखें ।
- स्क्रीन को स्क्रॉल करने की स्पीड कम रखें ।
- सफर करते समय मोबाईल या लेप्टोप ना देखें ।
- यदि आपको समस्या अधिक हो तो तेज गति के वीडियो गेम्स या अन्य वीडियो ना देखें ।
वर्तमान परिस्थिति मे मोबाईल और कॉम्प्युटर का उपयोग बहुत आवश्यक बन गया है लेकिन इसका पूरा लाभ लेने के लिए इनके नुकसान से बचाव करने के तरीके अपनाना भी बहुत जरूरी है । अतः उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर टेक्नोलॉजी का फायदा उठायें ।
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