देव उठनी एकादशी की कहानी व्रत के समय कही और सुनी जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देव उठनी एकादशी होती है। देव उठनी एकादशी का महत्त्व तथा पूजन विधि आदि के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कहानी इस प्रकार है –
देव उठनी एकादशी की कहानी
Dev Uthani Gyaras ki kahani
एक राजा था। वह , उसकी रानी , बेटा तथा प्रजा बहुत धार्मिक प्रवृति के थे। एकादशी के दिन राज्य में कोई अनाज नहीं खाता था। अनाज की सभी दुकाने बंद रखी जाती थी। राजा सहित सभी लोग फलाहार करते थे या निराहार रहते थे।
एक बार भगवान विष्णु के मन में राजा की परीक्षा लेने का विचार आया। वे अत्यंत सुन्दर स्त्री के रूप में राजमार्ग पर उपस्थित हो गए। राजा का रथ वहां से निकला तो राजा उन्हें देखकर मुग्ध हो गए और उनके सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया।
स्त्री बने भगवान विष्णु ने कहा – यदि उन्हें पूरे राज्य पर अधिकार दिया जाये और जो खाना वे परोसें उसे ही खाया जाये तो शादी का प्रस्ताव मंजूर हो सकता है। राजा ने इसे स्वीकार कर लिया और शादी करके उन्हें राजभवन ले आये।
दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था। नई रानी ने आदेश निकलवाया कि रोजाना की तरह अनाज की सभी दुकाने खोली जायें। उन्होंने मांसाहारी सहित कई प्रकार के व्यंजन बनाये और राजा को परोस दिए। राजा ने कहा आज एकादशी है अतः वे सिर्फ फलाहार ले सकते हैं।
रानी ने उन्हें शादी की शर्त याद दिलाई और कहा कि या तो शर्त पूरी करके व्यंजन खायें या फिर राजकुमार का सिर काट कर लायें। ( Dev Uthni gyaras ki kahani …. )
राजा धर्म संकट में पड़ गया। अपनी पुरानी रानी से विचार विमर्श किया तो रानी ने कहा कि आपको धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। अनाज या मांस नहीं खाना चाहिए।
राजा ने राजकुमार को बुलवाया और सारी बात बताई तो राजकुमार धर्म की रक्षा के लिए तुरंत सिर कटवाने को तैयार हो गया।
राजा ने जैसे ही तलवार उठाई , विष्णु भगवान प्रकट हो गए और राजा का हाथ पकड़ लिया। उन्होंने सारी बात बताई और प्रसन्न होकर राजा से वर मांगने के लिए कहा। राजा ने आशीर्वाद के सिवा कुछ नहीं माँगा।
लम्बे समय तक राजा ने सुखपूर्व राज किया फिर बेटे को राज पाट सौंप दिया।
धर्म की पालना करने से परिणाम हमेशा अच्छा मिलता है। कहानी कहने और सुनने वाले सभी लोगों का कल्याण हो।
बोलो विष्णु भगवान की …… जय !!!
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