केलोइड बनने के कारण , खतरा और उपचार – Keloid reasons and cure

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केलोइड Keloid  स्किन पर उभरा हुआ वह हिस्सा होता है जो किसी घाव के भरने के बाद हो जाता है। जब भी त्वचा पर किसी भी प्रकार का छोटा मोटा घाव होता है तब घाव भरने के बाद उस स्थान पर कुछ ज्यादा ही मांस या गांठ जैसा उभर आता है। यह उभरा हुआ हिस्सा केलोइड Keloid कहलाता है।

वैसे तो केलोइड शरीर पर कहीं भी बन सकते हैं पर गर्दन , कंधे , छाती , पीठ और कान पर ये अधिक बनते हैं। इनका आकार एक इंच से लेकर 12 इंच या उससे बड़ा भी हो सकता है।

केलोइड कब बनते हैं

Keloid kyon bante he

शरीर पर होने वाला कोई भी छोटा मोटा घाव या चोट केलोइड बनने का कारण बन सकता है। जैसे – त्वचा पर किसी प्रकार की चोट , कट लगना या जलना , बड़े फोड़े फुंसी होने के कारण घाव होना , कोई सर्जरी या ऑपरेशन करवाना ,  नाक कान छिदवाना , शरीर पर टैटू बनवाना , किसी कीड़े मकोड़े का काटना ,  इंजेक्शन लगवाना , चेचक बीमारी से ग्रस्त होना इत्यादि।

30 वर्ष से कम उम्र में , गर्भावस्था के समय , किशोर अवस्था में प्रवेश के समय तथा अनुवांशिकता के कारण केलोइड बनने की संभावना बढ़ जाती है। सांवले रंग की त्वचा वाले लोगों को केलोइड होने की संभावना अधिक होती है।

केलोइड बनने का कारण

keloid hone ke reasons

जब त्वचा पर चोट या घाव होता है तो उसे भरने के लिए शरीर में स्कार टिशु बनते हैं । इन स्कार टिशु का काम घाव को भरकर त्वचा को पहले जैसा बनाने का होता है। कभी कभी ये स्कार टिशु घाव भरने के बाद भी बनना बंद नहीं होते और लम्बे समय तक बनते रहते हैं। इस वजह से त्वचा के ज्यादा ऊपर तक उभर आने वाली आकृति बन जाती है। यह अतिरिक्त उभर आने वाली आकृति ही केलोइड कहलाती है।

केलोइड का बढ़ना कभी कभी वर्षों तक चलता रहता है और कभी कुछ महीने बाद इनका बढ़ना रुक जाता है।

जब तक केलोइड बढ़ते रहते हैं तब तक उनमें खुजलाहट या थोडा दर्द महसूस हो सकता है। ये लक्षण केलोइड बढ़ना बंद होने पर ठीक हो जाते हैं।

क्या केलोइड से कुछ खतरा होता है

keloid are dangerous or not

जी नहीं ! केलोइड ना तो खतरनाक होते हैं और ना ही इनसे स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता है। लेकिन ये दिखने में अच्छे नहीं लगते हैं। यदि शरीर पर किसी ऐसी जगह पर हो जाये जहाँ इन्हें छुपाना मुश्किल हो तो थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हो सकती है।  इसी कारण से लोग इनका इलाज करवाने के इच्छुक होते है। अर्थात केलॉइड का उपचार कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट होता है।

केलोइड से बचाव और उपचार

keloid prevention and cure

केलॉइड से बचने का उपाय यह है कि जिन्हें इनके होने की संभावना अधिक हो उन्हें ऐसे कामों से दूर रहना चाहिए जिसमे चोट लगने की संभावना अधिक हो। इसके अलावा टैटू बनवाना या नाक कान छिदवाना आदि नहीं करने चाहिए।

उपचार :

केलॉइड का पूरी तरह से मिट पाना मुश्किल होता है लेकिन स्थिति काफी हद तक सुधारी जा सकती है। केलोइड के उपचार का अर्थ है बढ़ी हुई आकृति को चपटा करना या सिकोड़ देना। सर्जरी करके इन्हें काट कर निकाल देने से इनका समाधान नहीं होता। ये वापस हो जाते हैं। केलॉइड का उपचार डॉक्टर द्वारा सामान्यतया इस तरह किया जाता है –

  • इंजेक्शन लगा कर केलोइड को सिकोड़ देना
  • क्रायोथेरेपी ( कम तापमान ) के माध्यम से केलोइड मिटाना
  • सिलिकोन शीट बांध कर सतह का उभार कम करना
  • लेसर किरणों से उपचार
  • प्रेशर देकर रक्त का दबाव कम करके उपचार

डॉक्टर केलोइड और पेशेंट की अवस्था देखकर निर्णय करते हैं की कौनसा उपचार उपयुक्त रहेगा।

होम्योपैथी डॉक्टर्स के अनुसार इस चिकित्सा पद्धति में केलोइड्स का उपचार  संभव है। इसके लिए दवा लम्बे समय और नियमित रूप से लेने पर अवश्य लाभ होता है।

स्वामी रामदेव के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति से भी इनका उपचार संभव है। केलोइड्स के लिए आयुर्वेदिक दवा नियमित रूप से लेने पर ये ठीक हो सकते हैं। इसके अलावा कपाल भांति प्राणायाम नियमित करना लाभप्रद होता है। उनके द्वारा सुबह खाली पेट 2 ग्राम हल्दी पाउडर की फंकी पानी के साथ कुछ दिन नियमित लेने की सलाह भी दी जाती है।

अस्वीकरण : इस लेख का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है किसी भी उपचार के लिए विशेषज्ञ का परामर्श अवश्य लें।

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