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खांड मिश्री बताशा बूरा कैसे बनते हैं व इनमें फर्क – Difference of sweet products

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खांड मिश्री बताशा चीनी बूरा आदि सभी मीठे गन्ने के रस से बनाये जाते हैं। गन्ने के रस में कई पोषक तत्व होते हैं। इसे प्रोसेस करके मीठे उत्पाद बनाये जाते हैं। जितनी अधिक प्रोसेसिंग होती है पोषक तत्व उतने ही कम होते चले जाते हैं।

गुड़ , मिश्री , खांड आदि कम प्रोसेस किये हुए उत्पाद हैं। कुछ लोग चीनी की अपेक्षा इन्हें लाभदायक मानकर इनका उपयोग करना पसंद करते हैं। आयुर्वेदिक दवा में भी इनका उपयोग किया जाता है।

आइये जाने गुड़ , मिश्री , खांड , ब्राउन सुगर , बताशे , बूरा आदि कैसे बनाये जाते है। इनके फायदे , नुकसान तथा उपयोग क्या हैं।

गुड़ – Jaggery

गन्ने का सबसे पुराना उत्पाद गुड़ ही है। यह गन्ने के रस को उबालकर तथा अशुद्धियाँ निकालकर बनाया जाता है। इसे ज्यादा परिष्कृत नही किया जाता इसलिए इसमें कुछ मात्रा में खनिज तत्व मौजूद रहते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है। यह पेट के लिए क्षारीय होता है।

इसे पढ़ें : गुड़ कैसे बनता है ,गुड़ के पोषक तत्व तथा घरेलु उपचार में उपयोग 

बाजार में छोटी या बड़ी भेली के रूप में तथा बाल्टी की शेप में गुड उपलब्ध होता है। शेप कैसा भी हो पर गुण समान ही होते हैं। गुड़ को जितना अधिक परिष्कृत किया जाता है उसका रंग उतना ही खिला हुआ और सुनहरा सुंदर दिखाई देता है लेकिन उसमे मिनरल कम हो जाते हैं।

देसी गुड़ थोडा कालेपन लिए हुए होता है परन्तु उसमे खनिज अधिक होते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में देसी गुड़ का उपयोग किया जाता है। पुराना गुड़ अधिक लाभदायक माना जाता है।

खजूर का गुड़ – Khajoor Jaggery

खजूर के पेड़ से निकले रस से भी गुड़ बनता है। खजूर के पेड़ का छिलका निकालने पर रस प्राप्त होता है। इसे उबालकर गाढ़ा किया जाता है। इसे सांचे में डालकर ठंडा किया जाता है। इस प्रकार खजूर का गुड़ प्राप्त होता है।

अधिकतर पश्चिम बंगाल में खजूर का गुड़ गाँव वाले लोग बनाते हैं। इसे बनाने में बहुत मेहनत लगती है। इस खजूर के गुड से मिठाई बनाई जाती ही जो एक अलग ही स्वाद देती हैं। यह गुड़ लाभदायक होता है।

इसे पढ़ें : खजूर के पोषक तत्व , इसे कैसे खायें और फायदे क्या हैं 

कुछ लोग इलायची , काली मिर्च , सौंफ आदि मिलाकर मसाले वाला गुड बनाते हैं जो पाचन के लिए लाभदायक होता है।

खांड – Khand

पुराने समय में अधिकतर खांड Khand या खांडसारी का ही उपयोग किया जाता था। खांड बनाने के लिए गन्ने के उबालकर गाढे किए हुए घोल को लगातार हिलाया जाता है जिससे वह क्रिस्टल के रूप में आ जाती है।

इसके बाद उसे घूमने वाली मशीन में डालकर दूध तथा पानी से धोकर साफ किया जाता है। सूखने पर सफ़ेद रंग की खांड प्राप्त होती है। इसे ही खांड़सारी भी कहा जाता है। यह बारीक सूजी की तरह दिखती है।

इस विधि से बनी हुई खांड सफ़ेद दानेदार परिष्कृत चीनी की अपेक्षा लाभदायक होती है।

कुंजा मिश्री – Kunja Mishri

कुंजा का अर्थ होता है मिट्टी का छोटा गोल पात्र यानि घड़ा। मिट्टी के पात्र में बनी हुई मिश्री असल में कुंजा मिश्री होती है।  इसे खांड से बनाया जाता है। इस तरह बनी हुई मिश्री की तासीर ठंडी होती है। आयुर्वेदिक दवाओं में इसी मिश्री का उपयोग किया जाता है।

वर्तमान में शायद ही कोई मिट्टी के पात्र में बनाता हो। अब धागे वाली मिश्री को ही कुंजा मिश्री भी कहा जाता है।

मिश्री धागे वाली – Mishri

धागे वाली मिश्री बनाने के लिए खांड को पानी मिलाकर उबाला जाता है। किसी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। इसे 7-8 दिनों तक घागा लगाकर हवा और सूरज की रोशनी ना लगे ऐसे विशेष कंटेनर में रखा जाता है। इससे मिश्री के बड़े डले यानि क्रिस्टल बन जाते हैं।

चीनी की फैक्ट्री में भी मिश्री बनाई जाती है। चीनी को सफ़ेद करने से पहले भूरा चीनी बनती है। इसे पानी में घोल कर उबाला जाता है फिर दूध आदि से शुद्ध करके धागे की मदद से मिश्री के क्रिस्टल बनाये जाते हैं।

कुछ लोग सफ़ेद चीनी और गर्म पानी का संतृप घोल बनाकर धागा मिश्री बनाते हैं। लेकिन ऐसी मिश्री लाभदायक नहीं होती है।

कटवा मिश्री – Katwa Mishri

यह असल में मिश्री नहीं है , सिर्फ चीनी का अलग आकार है। कटवा मिश्री ( चीनी के बड़े दाने जैसी ) का उपयोग लाभदायक नहीं होता है क्योंकि वह केवल सफ़ेद चीनी का ही बड़ा रूप होती है। जिसमें सफ़ेद चीनी जैसी ही गुणवत्ता होती है। अलग तरह से उपयोग लेने की दृष्टि से इसे बनाया जाता है।

बताशा – Batasha

बताशा शुभ कार्यों में काम में लिया जाता है। त्यौहार आदि के अवसर पर मीठे के रूप में इसे रखा जाता है। इसके अलावा किसी किसी आयुर्वेदिक दवा को बताशे के साथ लिया जाता है। ये चीनी की अपेक्षा नर्म होते हैं। इसलिए आसानी से खाये जा सकते हैं। बताशा सफ़ेद चीनी का ही दूसरा रूप है अतः उसके गुण भी वैसे ही हैं।

बताशा बनाने के लिए चीनी को पानी में घोल कर उबाला जाता है। फिर उसे बेकिंग सोडा की मदद से फूला हुआ रूप देकर मनचाहे छोटे बड़े आकार में डालकर सुखा लिया जाता है। यह काम अधिकतर हाथों से ही किया जाता है।

बूरा चीनी – boora chini

इसे सफ़ेद चीनी से बनाया जाता है। चीनी को पानी में घोल कर उबाला जाता है फिर थोडा घी मिलाकर घिसा जाता है। इससे चीनी बारीक नर्म दानेदार पाउडर में बदल जाती है। चीनी से बनने के कारण इसके गुण चीनी जैसे ही हैं। बूरा चीनी अधिकतर लड्डू , चूरमा आदि बनाने में उपयोग होती है।

सफ़ेद दानेदार चीनी – Refined white sugar

यह वो चीनी है जो जिसका हम रोजाना उपयोग करते हैं। इस सफ़ेद चीनी  को बनाने के लिए गन्ने के रस को छान कर उबाला जाता है। फिर सल्फर डाई ऑक्साइड तथा लाइन स्टोन की मदद से शुद्ध किया जाता है। इसके बाद ब्लीच तथा अन्य केमिकल की मदद से इसे और परिष्कृत करके सफ़ेद चीनी बनाई जाती है। यह दिखने में तो अच्छी होती है लेकिन शरीर के लिए नुकसानदेह होती है।

इसे पढ़ें : चीनी का मीठे स्वाद के अलावा ये हैं फ़ायदेमंद उपयोग 

ब्राउन सुगर – Brown sugar

ब्राउन शुगर में सामान्य शुगर के मुकाबले कम कैलोरी होती है। वहीं कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम की मात्रा सामान्य चीनी के मुकाबले ज्यादा होती है। ब्राउन सुगर दो प्रकार की होती हैं रिफाइंड और अनरिफाइंड।

अनरिफाइंड ब्राउन शुगर

यह सफेद चीनी बनने से पहले का उत्पाद है। इसमें पहले से ही गुड़ (ब्राउन शुगर सिरप) बचा हुआ रहता है, जिस कारण इसका रंग भूरा होता है और स्वाद भी थोड़ा अलग होता है। यह शुगर कम रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरती है अतः इसके मूल पोषक तत्व काफी हद तक बरकरार रहते हैं।

रिफाइंड ब्राउन शुगर

इसे बनाने के लिए सफेद दानेदार चीनी के क्रिस्टल को गुड़ के सिरप में मिलाया जाता है। इस ब्राउन शुगर को रिफाइंड यानी साफ सफेद चीनी में गुड़ मिलाकर बनाया जाता है। यह कई तरह की प्रक्रियाओं से होकर गुजरती है। रिफाइंड ब्राउन शुगर मूल रूप से सफेद चीनी होती है।

डेमरेरा सुगर – Demerara sugar

यह चीनी यूरोप में अधिक प्रसिद्ध है तथा अमेरिका में भी इसे बहुत पसंद किया जा रहा है। भारत में भी लोग इसे काम में लेने लगे हैं। इस शक्कर का नाम ब्रिटिश कोलोनी डेमरेरा के नाम पर रखा गया है जो वर्तमान में गुयाना में है। वहाँ पैदा हुए गन्ने से बनी हुई चीनी का एक अलग ही स्वाद होता है।

यह चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस को गाढ़ा करके क्रिस्टल में परिवर्तित किया जाता है। इसमें किसी प्रकार की प्रोसेसिंग नही की जाती , इसलिए यह फायदेमंद और स्वादिष्ट होती है।

इसमें प्राकृतिक रूप से मोलासेज होता है। जितना अधिक मोलासेज होता है उतना ही गहरा रंग होता है। इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम , आयरन , मैग्नेशियम , मैंगनीज , जिंक आदि लवण मौजूद होते हैं।

मीठा मीठा ही होता है चाहे वो गुड़ , मिश्री या चीनी किसी भी रूप में हो क्योंकि ये सभी शरीर को ग्लूकोज देते हैं। यदि डायबिटीज से ग्रस्त हैं या मोटापा कम करना चाहते हैं तो कोई भी मीठा उत्पाद लाभदायक नहीं होता। अतः पहले डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

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