खून कहाँ व कैसे बनता है तथा क्या काम करता है – Blood formation and functions

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खून ( Blood ) हमारे शरीर की नसों में लगातार दौड़ता रहता है। हमारे जीवित रहने और स्वस्थ बने रहने के लिए यह एक आवश्यक कार्य प्रणाली है। अतः खून के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आइये जाने शरीर में खून कैसे और कहाँ बनता है , खून में क्या क्या होता है तथा यह कौनसे कार्य करता है।

खून क्या काम करता है

Blood functions hindi me

रक्त के मुख्य कार्य ये होते हैं –

  • ऑक्सीजन तथा पोषक तत्वों को प्रत्येक अंगों तक पहुँचाना
  • बाहरी संक्रमण जैसे बैक्टीरिया , वायरस आदि से शरीर की रक्षा करना
  • शरीर का तापमान स्थिर बनाये रखना अर्थात ज्यादा सर्दी या गर्मी से शरीर को बचाना
  • विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिए किडनी और लीवर आदि तक पहुँचाना
  • चोट आदि के समय क्लोट बना कर रक्त का निकास बंद करना

एक स्वस्थ वयस्क शरीर में लगभग चार से पांच लीटर खून होता है।

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खून में क्या क्या होता है

Blood componants hindi me

खून में प्लाज्मा द्रव , लाल रुधिर कण (  RBC )  , सफ़ेद रुधिर कण ( WBC ) तथा प्लेटलेट होते हैं। खून में इनकी मात्रा का प्रतिशत लगभग यह होता है –

  • प्लाज्मा , Plasma- 55%
  • आर बी सी , RBC- 44%
  • डब्लू बी सी WBC + प्लेटलेट्स Pletlets – 1%

खून में इनका क्या कार्य होता है

Function of plasma and blood cells in hindi

प्लाज्मा – Plasma

प्लाज्मा एक द्रव है जिसके कारण ही रक्त वाहिकाओं में रक्त का प्रवाह होता है। इस द्रव में तैरते हुए ही रक्त कण यथास्थान पहुँचते हैं। रक्त कणों के अलावा प्लाज्मा में कई प्रकार के खनिज , पोषक तत्व , प्रोटीन , शक्कर , फैट , हार्मोन , एंटी बोडी , एंजाइम आदि होते हैं।

इसमें आँतों द्वारा अवशोषित किये हुए पोषक तत्व होते हैं जो जरुरत के अनुसार अपने गंतव्य तक पहुँचते हैं।

इसके अलावा प्लाज्मा द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य भी होता है। प्लाज्मा ही यूरिया को किडनी तक ले जाता है जिसे किडनी मूत्र के रूप में बाहर निकाल देती है।

प्लाज्मा ब्लड प्रेशर सामान्य बनाये रखने में भी सहायक होता है।

लाल रक्त कण ( RBC – Erythrocytes )

खून में RBC अधिक मात्रा में होते हैं। इनका आकार डिस्क जैसा गोल और चपटा होता है।  इनका मुख्य काम प्रत्येक कोशिका तक ऑक्सीजन पहुँचाने का होता है। यह कार्य RBC में मौजूद हीमोग्लोबिन के कारण संभव हो पाता है। हीमोग्लोबिन के कारण ही खून का रंग लाल होता है।

हीमोग्लोबिन में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड से जुड़ने और अलग होने की विशेषता होती है। ये फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर हर अंग तक पहुंचाते हैं और वहां से कार्बन डाई-ऑक्साइड लाकर फेफड़ों में छोड़ते हैं।  इनमे न्यूक्लियस नहीं होता।

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सफ़ेद रक्त कण ( WBC – leukocytes )

इनका आकार अपेक्षाकृत बड़ा होता है लेकिन कोई निश्चित आकर नहीं होता है।  WBC की संख्या बहुत कम होती है।  इनका मुख्य काम शरीर को संक्रमण से बचाना और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना होता है।

सफ़ेद रुधिर कण WBC अलग अलग प्रकार के होते हैं जिनमे लिम्फो साईट , मोनो साईट , न्युट्रोफिल्स , बेसोफिल्स , एसिनोफिल्स आदि शामिल है। इनके काम में भी कुछ विभिन्नता पाई जाती है।

प्लेटलेट्स ( thrombocytes )

ये भी संख्या में कम होते हैं और इनका आकर बहुत सूक्ष्म होता है।  ये लाल रक्त कण से लगभग पांच गुना छोटे होते हैं।  इनका मुख्य काम रक्त का थक्का बना कर खून बहना बंद करना होता है।

रक्त कण blood cells कहाँ बनते हैं

लाल रक्त कण , सफ़ेद रक्त कण और प्लेटलेट्स का निर्माण अधिकतर हड्डी के अन्दर पाए जाने वाले मुलायम स्पंजी अस्थि मज्जा ( bone marrow ) में होता है।

प्लेटलेट्स का निर्माण बोन मेरो में पाए जाने वाले मेगाकायरोसाईट megakaryocytes  नामक सेल में होता है।

दो प्रकार के सफ़ेद कण – T सेल और B सेल , लिम्फ नोड तथा स्प्लीन में भी बनते हैं तथा T सेल का निर्माण थायमस ग्रंथि में भी होता है।

बोन मेरो में स्टेम सेल्स होती है जो हर प्रकार के रक्त कण में विकसित होने की क्षमता रखती हैं। स्टेम सेल पहले अविकसित अवस्था वाले रक्त कण में परिवर्तित होती है उसके बाद पूर्ण विकसित लाल रक्त कण , सफ़ेद रक्त कण या प्लेटलेट के रूप में बदल जाती है।

प्लाज्मा कहाँ से आता है

प्लासना एक द्रव है। जिसमे पानी और कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। यह आँतों के द्वारा अवशोषण के माध्यम से रक्त वाहिकाओं में पहुंचता है।

रक्त कणों का जीवन कितना

Life of blood cells hindi me

रक्त कण लगातार बनते और मिटते रहते हैं।

लाल रक्त कण का निर्माण लगातार होता रहता है । इनका जीवन 100 से 120 दिन तक का होता है उसके बाद ये नष्ट हो जाते हैं। इनका निस्तारण स्प्लीन spleen , लीवर Liver तथा बोन मेरो Bone marrow में होता रहता है।

शरीर में प्रति सेकंड लगभग 20 लाख रक्त कण निर्मित होते हैं। शरीर की जरुरत के अनुसार लाल रक्त कणों के निर्माण की संख्या कम या ज्यादा होती रहती है।

श्वेत रक्त कण का निर्माण बोन मेरो , लीवर और स्प्लीन में होता है। यदि शरीर पर किसी संक्रमण का हमला होता है तो सफ़ेद रक्त कण अधिक मात्रा में बनते हैं। इनका जीवन कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन तक हो हो सकता है।

प्लेटलेट्स का जीवन 9-10 दिन का होता है। रक्त बह रहा हो तो प्लेटलेट्स अधिक मात्रा में बनने लगते हैं।

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