दीवारों पर पेंट Colour on walls कराते समय , बाजार में कई विकल्प मौजूद होने के कारण असमंजस होता है। प्राइमर और पुट्टी करवायें या नहीं और कैसे करवायें , पेंट कौनसा लें , कैसी फिनिश करवाएं , पेंट के कितने कोट लगायें , कौनसा पेंट महंगा या सस्ता पड़ेगा ये सब निर्णय लेने मुश्किल हो जाते हैं। आइये जानें क्या करें ।
आधुनिक टेक्नोलॉजी के कारण ढेर सारे विकल्प सामने होते हैं। मेट फिनिश , ग्लॉसी फिनिश , एंटी बेक्टीरिया पेंट, सिंथेटिक या एक्रिलिक डिस्टेंपर क्या हैं , इमल्शन या इनेमल से क्या मतलब है , प्राइमर या पुट्टी कब और कैसे करवायें , इसके आलावा पेंट ब्रश , रोलर या स्प्रे इनमे से किससे करवाना सही रहता है आदि बातें दिमाग में घूमने लगती हैं।
पेंट का शेड डिसाइड कर लेने के बाद वह सही तरीके से हो जाये और फिर उन दीवारों के बीच आप वैसा ही महसूस करें जैसा कि आपने सोचा था तो इसमें एक अलग ही आनंद मिलता है। दीवारें भी खिल उठती हैं साथ ही लम्बे समय तक वैसा ही फ्रेश लुक देती हैं। इसके लिए प्राइमर , वाल पुट्टी और पेंट की सही जानकारी तथा इनका सही तालमेल होना जरुरी होता है।
पेंट कौनसे होते हैं , कहाँ करवायें
Paint types and application
घर में किये जाने वाले पेंट डेकोरेटिव पेंट कहलाते हैं। मुख्य रूप से इसमें डिस्टेंपर या इमल्शन होते हैं जो वाटर बेस्ड होते है। इन्हे पतला करने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है। लकड़ी या लोहे पर लिया जाने वाला पेंट इनेमल कहलाता हैं , यह ऑइल बेस्ड होता है। इसे थिनर की मदद से पतला किया जाता है।
एक्रिलिक व सिंथेटिक डिस्टेंपर , इमल्शन व इनेमल में अंतर
Diffrence between acrilic synthetic distemper , emulsion and enamal
एक्रिलिक व सिंथेटिक डिस्टेंपर
Acrilic distemper and synthetic distemper
एक्रिलिक तथा सिंथेटिक दोनों डिस्टेंपर वाटर बेस्ड होते हैं। एक्रिलिक अपेक्षाकृत सस्ता तथा मेट फिनिश देने वाला डिस्टेम्पर है। सिंथेटिक डिस्टेंपर एक्रिलिक से महंगा होता है लेकिन इसमें थोड़ी चमक होती है तथा एक्रिलिक की अपेक्षा यह अधिक टिकाऊ होता है।
वाटर बेस्ड होने के कारण इन्हें पानी से धोकर साफ नहीं किया या सकता। सिंथेटिक डिस्टेंपर को गीले कपड़े से हल्के हाथ से पौंछ सकते हैं। ये घर में अंदर की दीवारों पर किये जाने वाले पेंट हैं। नमी और पानी इन्हें ख़राब कर देता है अतः बाथरूम या किचन जैसी नमी युक्त जगह के लिए ये उपयुक्त नहीं होते हैं।
इमल्शन – Emulsion
एक्रिलिक डिस्टेंपर का परिष्कृत रूप इमल्शन कहलाता है। इस प्रकार के पेंट में एडेसिव के लिए एक्रिलिक रेजिन, इमल्शन फॉर्म में उपयोग में लाये जाते हैं। इसमें चमक अधिक होती है और ये अधिक टिकाऊ होते हैं। अधिकतर लोग इसी पेंट को करवाना पसंद करते हैं। इसे पानी और साबुन के मृदु घोल से धोया जा सकता है। लेकिन इसे घिस कर साफ नहीं किया जा सकता।
इनेमल – Enamal
इनेमल पेंट ऑइल बेस्ड पेंट होते हैं जो लोहे या लकड़ी की सतह पर किये जाते हैं। इन्हें थिनर की मदद से पतला किया जाता है। ये बाथरूम या किचन में जहाँ पानी या नमी का प्रवाह होता है वहां लगाया जाता है। ऑइल बेस्ड होने के कारण ये पानी से बेअसर रहते हैं।
वाल पुट्टी क्या है और क्यों लगाते हैं
Use and appliation of Wall Putti
वाल पुट्टी दीवार की सतह को एक समान बनाने के लिए लगाईं जाती है। साथ ही इसे लगाने का उद्देश्य सीलन से दीवार को बचाना , फंगस व काई आदि को रोकना , पेंट की खपत कम करना तथा पेंट को टिकाऊ बनाना होता है।
यह सफ़ेद रंग का पाउडर होता है जो सफ़ेद सीमेंट , पोलिमर और फिलर आदि के मिश्रण से बना होता है। कई सीमेंट और पेंट बनाने वाली बड़ी कम्पनियाँ इसका उत्पादन करती हैं।
वाल पुट्टी को पानी में घोल कर पुट्टी ब्लेड की मदद से दीवार पर लगाकर उसकी सतह को समतल किया जाता है। फिर इसे रेगमाल ( sand paper ) से घिस कर सतह को चिकना किया जाता है। इससे पेंट करने के बाद दीवार उबड़ खाबड़ नजर नहीं आती।
वाल पुट्टी लगाने के बाद प्राइमर लगाया जाता है फिर पेंट किया जाता है। कुछ कम्पनियाँ इस प्रकार की वाल पुट्टी बनाती हैं जिन्हे लगाने के बाद प्राइमर की आवश्यकता नहीं होती , सीधे पेंट लगाया जा सकता है। पुट्टी के पैकेट पर उसे लगाने सम्बन्धी जानकारी मिल जाती है।
प्राइमर क्या होता है और क्यों लगाते हैं
Primer use and application
दीवार पर पेंट से पहले लगाए जाने वाले प्राइमर में सिंथेटिक रेजिन , साल्वेंट तथा एडिटिव एजेंट्स का मिश्रण होता है। कुछ प्राइमर पोलीथिलिन प्लास्टिक से युक्त भी होते हैं।
प्राइमर लगाने का उद्देश्य सतह द्वारा पेंट को अधिक सोखने से बचाना होता है। प्राइमर लगाने से पेंट के ज्यादा कोट नहीं लगाने पड़ते इस तरह महंगे पेंट की बचत होती है। प्राइमर पेंट को सही तरीके से चिपकाता भी है जिससे पेंट की लाइफ बढ़ जाती है।
इसके अलावा प्राइमर नई दीवार में मौजूद जॉइंट या अन्य कमी को छुपा देता है। छोटे क्रेक आदि को भर देता है। प्राइमर लगाने से सतह को अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है।
प्राइमर लगाने से दीवार पर लगे उन दाग धब्बों को मिटाने में भी मदद मिल जाती है जो पेंट से नहीं मिट पाते ।
वैसे तो प्राइमर सफ़ेद होते हैं लेकिन दीवार का रंग बदलना हो तो इसमें पेंट से मिलता हुआ रंग मिलाया जा सकता है। इससे पेंट का सही शेड बैठ जाता है और पुराने रंग की झलक मिट जाती है।
पेंट सम्बन्धी टिप्स – Paint Tips
— प्राइमर , पुट्टी और पेंट सभी में केमिकल होते हैं जो आँख या त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं अतः सावधान रहना चाहिए। दुर्घटना वश ऐसा हो जाये तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ये चीजें साँस के साथ अंदर न जाये इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
— आजकल ऐसे सॉफ्ट वेयर उपलब्ध हैं जो आपकी दीवारों को वर्चुअल तरीके से कलर किया हुआ दिखा सकते हैं। इससे आपको शेड चुनने में आसानी हो जाती है।
— पेंट की कवरेज की जानकारी ले लेनी चाहिए। कवरेज का मतलब है कि एक लीटर पेंट से कितने स्क्वायर फीट दीवार को कलर किया जा सकता है। इससे आपको खर्चे का अंदाजा लग जाता है। सभी बड़ी कम्पनीयां जैसे एशियन पेंट , बर्जर , नेरोलक आदि पेंट कितना लगेगा उसका अनुमान लगाने के लिए ऑनलाइन सुविधा प्रदान करती हैं।
— नया मकान यदि नया बना हुआ हो तो अन्दर की तरफ लगभग 6 महीने बाद कलर पेंट करवाना चाहिए। बाहर की तरफ 45 दिन बाद पेंट करवाया जा सकता है।
— पेंट किये जाने से पहले क्रेक , सीलन , पपड़ी , काई , फंगस आदि का उपचार कर लेना चाहिए।
— लाइट शेड डार्क शेड की अपेक्षा सस्ते होते हैं। साथ ही इनसे जगह खुली खुली और बड़ी दिखती है , अतः हो सके तो लाइट शेड ही चुनने चाहिए। एक दीवार पर डार्क शेड करवाकर रूम को आधुनिक रूप दिया जा सकता है।
— शेड कार्ड में देखकर चुने हुए शेड और दीवार पर लगे शेड में मामूली अंतर हो सकता है। इसे ध्यान में रखना चाहिए।
— पेंट का दूसरा कोट लगाने से पहले पहले कोट को पर्याप्त या कंपनी द्वारा बताये समय तक जरूर सूखने देना चाहिए।
— छत पर सफ़ेद शेड करवाने से रूम साइज बड़ा दिखता है।
— ब्रश की अपेक्षा रोलर से किये गए पेंट से फिनिशिंग अच्छी आती है तथा लकीरें नहीं दिखती हैं।
— फर्श को पेंट के धब्बों से बचाने के लिए अख़बार , कपड़ा या किसी दूसरी चीज से ढक देना चाहिए।
— किसी एक दीवार पर वाल पेपर लगवाने से भी रूम आधुनिक दिखने लगता है।
— प्रतिष्ठित कंपनी के उत्पाद का उपयोग करने से मन में किसी प्रकार का संशय नहीं रहता है।
— कुछ लोग मेट फिनिश पसंद करते हैं और कुछ ग्लॉसी , आपको अपनी पसंद के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।
— पैसे बचाने के उद्देश्य से प्राइमर और पुट्टी नहीं करवाना गलत निर्णय होता है।
— कुछ पेंट में VOC ( volatile organic compound ) हो सकते है , जो नुकसानदेह होते हैं। इनके कारण नाक और गले में जलन , सिरदर्द तथा घबराहट हो सकती है। इसके अलावा लीवर , किडनी या नर्वस सिस्टम पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। अतः पेंट में VOC का पता कर लेना चाहिए।
इन्हे भी जानें और लाभ उठायें :
सब्जी काटने पकाने मे ये गलती कभी ना करें
खाना खाने के तुरंत बाद भूलकर भी ना करें ये काम
ओक्सीमीटर से ऑक्सीज़न लेवल कैसे पता चलता है
घर में कौनसे पौधे लगाएं जो नुस्खों में काम आये
नशा छोड़ने के ये आसान घरेलु उपाय अवश्य आजमाएं
झाड़ू कौनसा लें और धन वृद्धि के लिए उसे कैसे रखें
शादी के समय पति पत्नी एक दूसरे को क्या वचन देते हैं
क्या अंडा शाकाहारी लोग भी खा सकते हैं
शाकाहारी और माँसाहारी भोजन के क्या फायदे नुकसान हैं
क्या भैस का दूध नुकसानदायक होता है
कुत्ते को कौनसी चीजें नहीं खिलानी चाहिए
मच्छर क्यों और किसे अधिक काटता है
सूर्य जल चिकित्सा का तरीका और फायदे
हेल्थ इंश्योरेंस कराने से पहले यह जानना क्यों जरुरी