पालक Spinach लगभग हमेशा मिलने वाली सब्जी है। पत्तेदार सब्जी से मिलने वाले फायदों के कारण इन्हे खाने की सलाह हमेशा दी जाती है। इनमें पालक का नाम सबसे पहले आता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी बहुत से खनिज और विटामिन पालक से प्राप्त हो सकते हैं। नियमित रूप से पालक का उपयोग लाभदायक होता है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में Paalak का उपयोग सावधानी के साथ करना चाहिए।
पालक कैसे खाएं
How to have spinach hindi me
पालक को सब्जी बनाकर , चटनी बनाकर , उबाल कर या सूप बनाकर कैसे भी खाया जा सकता है। पकाने के बाद भी इसके गुण नष्ट नहीं होते हैं। पालक के रस का उपयोग भी किया जा सकता है। Paalak ka ras पी सकते है।
इसके रस से आटा लगाकर चपाती या पूड़ी बना सकते है। इसे दाल के साथ या किसी दूसरी सब्जी के साथ मिलाकर खाने से पौष्टिकता भी मिलती है और सब्जी या दाल कलरफुल भी हो जाती है।
पालक की सब्जी में पालक पनीर , पालक का रायता , पकौड़े , कबाब आदि का विशेष स्थान है। Paalak को पीस कर आटे के साथ मिलाकर भी पूड़ी आदि बनाये जाते हैं। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा ताजा और सस्ता मिलता है। पालक को पानी में उबाल कर काम ले रहें हों तो बचा हुआ पानी काम में ना लें।
पालक के पोषक तत्व
Spinach ke poshak tatv hindi me
कृपया ध्यान दे : किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
पालक प्रोटीन , विटामिन , खनिज और फाइबर से भरपूर होता है। इसमें पानी में घुलनशील तथा वसा में घुलनशील दोनों प्रकार के विटामिन होते हैं। यह विटामिन K , विटामिन A , विटामिन E , विटामिन B2 , विटामिन B6, मेग्नेशियम तथा आयरन का भंडार है।
इसके अलावा इसमें विटामिन C , विटामिन B1 , B3 , मेगनीज , फोलेट , कॉपर , कैल्शियम , पोटेशियम प्रचुर मात्रा में होते है। यह फास्फोरस , ज़िंक , सेलेनियम तथा ओमेगा -3 फैटी एसिड का भी अच्छा स्रोत है। पालक में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट , फिटोनुट्रिएंट्स तथा फ्लेवोनोइड्स भी पाए जाते है।
पालक के फायदे – Spinach Benefits
हड्डी तथा दांत
पालक में विटामिन k की भरपूर मात्रा होती है। यह विटामिन कैल्शियम के अवशोषण को सुधारता है तथा पेशाब के माध्यम से निकलने वाले कैल्शियम को रोकता है। इस प्रकार हड्डी को मजबूत बनाये रखने में सहायक होता है।
विटामिन K के अलावा Paalak से मिलने वाले मेगनीज, कॉपर , मेग्नेशियम , ज़िंक तथा फास्फोरस आदि तत्व हड्डियों की मजबूती में योगदान देते हैं। ये तत्व दांत और नाख़ून भी मजबूत बनाते हैं।
मसूड़ों के लिए भी पालक फायदेमंद होता है। कच्चा Paalak चबाकर खाने से पायरिया में आराम मिलता है। पालक का रस एक कप और एक कप गाजर का रस मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से मसूड़ों से खून आना बंद होता है।
स्किन और बाल
विटामिन A तथा विटामिन C के कारण त्वचा और बालों के लिए पालक बहुत लाभदायक होता है। ये विटामिन कोलेजन निर्माण में सहायक होते हैं जो बालों के लिए तथा स्किन के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा आयरन की कमी के कारण भी बाल गिरने शुरू हो जाते है। Palak का नियमित उपयोग आयरन की कमी नहीं होने देता जो बालों को गिरने से रोकता है।
आँखों के लिए
पालक से मिलने वाले बीटा केरोटीन तथा ल्यूटेन आँखों के लिए फायदेमंद है। ऑंखें सूखी-सूखी रहती हों , आँखों में जलन होती हो तो Palak नियमित खाने से लाभ होता है। पालक में सूजन और जलन दूर करने का गुण होता है।
इसके अलावा पालक में पाए जाने वाले तत्व उम्र बढ़ने पर मैक्युला को ख़राब होने से बचाने में जरुरी भूमिका अदा करते हैं। Palak से मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल के नुकसान से बचाकर आँख को ग्लूकोमा , मोतियाबिंद आदि समस्या से बचाते हैं।
स्नायु तंत्र को फायदा
पालक में मौजूद कई प्रकार के खनिज जैसे फोलेट , पोटेशियम और कई एंटीऑक्सीडेंट आदि होने के कारण पालक का नियमित उपयोग करने से तंत्रिका तंत्र को बहुत लाभ होता है।
यह अल्ज़ाइमर जैसी दिमाग की बीमारी से बचाने में भी सहायक होता है। इसके अलावा Palak से मिलने वाला पोटेशियम भी दिमाग के स्वास्थ्य के लिए जरुरी होता है। इसकी मदद से दिमाग को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति उचित मात्रा में होती रहती है।
ब्लड प्रेशर
पोटेशियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह ब्लड प्रेशर कम करता है। केला पोटेशियम की अधिकता के कारण जाना जाता है लेकिन पालक में केले से भी दुगनी मात्रा में पोटेशियम होता है।
इसके अलावा Palak से मिलने वाले फोलेट के कारण भी यह रक्त शिराओं को लचीला बनाकर रक्तचाप कम करता है। इससे हृदय पर भी अधिक भार नहीं पड़ता। Palak से मिलने वाला ल्यूटेन नामक तत्व रक्त शिराओं को लचीला बनाये रखने में सहायक होता है। यह कोलेस्ट्रॉल तथा फैट को कम करके हृदय रोग से बचाने में सहायक होता है।
मांसपेशियों की मजबूती
Palak में पाए जाने वाले विशेष प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स तथा प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूती देते है विशेष कर हृदय की मांसपेशी के लिए यह बहुत लाभदायक होता है। पालक में पाया जाने वाला प्रोटीन शरीर आसानी से शरीर ग्रहण कर लेता है। इससे घाव आदि भरने में भी मदद मिलती है ।
वजन
पालक मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक होता है। Palak का उपयोग भोजन की तीव्र इच्छा जिसे क्रेविंग कहते है उस पर भी काबू करने मे सहायक होता है।
इसमें पाए जाने वाले फाइबर के कारण यह आँतों को साफ करता है , पाचन क्रिया सुधारता है तथा कब्ज होने से रोकता है। पाचन क्रिया सही होने पर शरीर पर अनावश्यक वजन नहीं चढ़ता।
इस तरह वजन कम करने के लिए Palak का उपयोग मददगार साबित होता है। Palak में पाए जाने वाले तत्व पेट में मौजूद म्यूकस मेम्ब्रेन की परत की रक्षा करने में सहायक होते है। इससे पेट में अल्सर आदि होने से बचाव होता है।
गर्भावस्था में पालक
पालक में वे सभी खनिज और विटामिन होते है जिनकी गर्भावस्था में जरूरत होती है। विशेष कर फोलेट Palak में बहुतायत में होता है। यह खून की कमी नहीं होने देता , समय से पूर्व प्रसव से बचाता है।
इसके अलावा फोलेट शारीरिक और मानसिक थकान , भूख में कमी तथा डिप्रेशन आदि दूर करता है। पालक से मिलने वाले बीटा केरोटीन तथा विटामिन A शिशु के फेफड़ों के विकास में तथा शिशु के वजन को संतुलित बनाये रखने में सहायक होते है।
पालक में मौजूद नाइट्रेट तथा पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते है। इससे मिलने वाला कैल्शियम शिशु में हड्डी और दांतों को मजबूत बनाता है। अतः गर्भावस्था में पालक का उपयोग करना चाहिए।
बिवाई , एड़ी फटना
Palak को पीस कर फटी एड़ी पर लगा लें। दो तीन घंटे बाद धो लें। इससे फटी एड़ियां बिवाई ठीक होती है और एड़ी मुलायम होती है।
पालक से नुकसान
Spinach se nuksan hindi me
हालाँकि पालक के फायदे और इसमें पाए जाने वाले तत्वों को जानकर ऐसा लग सकता है कि इसे कितना भी खाया जा सकता है लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। Palak के अत्यधिक उपयोग से भी कुछ नुकसान हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं।
खनिजों का अवशोषण
पालक में ऑक्जेलिक एसिड काफी मात्रा में होता है। इस तत्व में खनिज के साथ चिपकने की प्रवृति होती है। यह कैल्शियम , मेग्नेशियम , ज़िंक आदि खनिज के साथ चिपक जाता है जिसके कारण शरीर इन खनिजों को अवशोषित नहीं कर पाता।
इस वजह से शरीर की सामान्य प्रक्रिया बाधित होकर खनिज लवण की कमी हो सकती है। अतः बहुत अधिक मात्रा में Palak का उपयोग सही नहीं होता है।
पेट ख़राब
Palak में फाइबर अधिक मात्रा में होता है। इसमें कोई शक नहीं कि फाइबर की शरीर के लिए जरुरी होते है लेकिन इनकी अधिक मात्रा पाचन तंत्र पर भार भी बढ़ाती है।
इसलिए अधिक मात्रा में पालक का सेवन गैस , पेट फूलना , ऐंठन आदि पैदा कर सकता है। इसके अलावा फाइबर की अधिक मात्रा दस्त का कारण भी बन सकती है। अतः उचित मात्रा में ही Palak का सेवन करना चाहिए।
गुर्दे की पथरी
पालक में प्यूरिन तथा ऑक्जेलिक एसिड पाए जाते है। प्यूरिन की अधिक मात्रा शरीर में यूरिक एसिड बढ़ाती है जो गुर्दे के लिए ठीक नहीं होता है। ऑक्जेलिक एसिड भी कैल्शियम के साथ मिलकर गुर्दे में जमा हो सकता है।
ये दोनों तत्व गुर्दे में पथरी बना सकते हैं। अतः अधिक मात्रा में Palak नुकसान का कारण बन सकता है। विशेषकर यदि गुर्दे की समस्या हो तो पालक नहीं खाना चाहिये । गुर्दे सही तरह से काम नहीं कर रहे हों तो शरीर में पोटेशियम की अधिकता भी हो सकती है जो नुकसान देह होती है।
गठिया
Palak में प्यूरिन की अधिक मात्रा के कारण बनने वाला यूरिक एसिड जोड़ों में दर्द , सूजन , अर्थराइटिस का कारण बन सकता है। अतः इस तरह की समस्या की संभावना हो तो Palak का उपयोग सावधानी पूर्वक करें।
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