पीपली या पीपल ( long piper ) एक बहुत लाभदायक औषधि और मसाला है। इसकी बेल होती है जिस पर यह फल के रूप में उगती है। यह काले रंग की लगभग आधा इंच लम्बी काली मिर्च जैसे लेकिन उससे अधिक तीखे स्वाद वाली होती है।
पीपली की तासीर बहुत गर्म होती है। अधिकतर दो प्रकार की पीपली छोटी पीपली और बड़ी पीपली काम आती है। छोटी पीपली भारत में प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होती है, लेकिन बड़ी पीपली मलेशिया, इंडोनेशिया , सिंगापुर आदि देशों से आयात की जाती है। इनके गुण लगभग समान होते हैं।
पीपली कितने प्रकार की
Type of pipli
आयुर्वेद में चार प्रकार की पीपली बताई गई है –
मगधी पीपल – Magadhi pipali
यह मघई पीपली भी कहलाती है। बिहार के मगध क्षेत्र में पैदा होने के कारण इसे मगधी पीपली कहा जाता है । पंजाबी भाषा में भी पिपली को मघ कहा जाता है।
वन पीपल – Van Pipali
यह वनों में अपने आप उगने वाली पीपली है। इसका आकार थोड़ा छोटा और पतला होता है। यह कम तीखी होती है। दक्षिण आसाम , बंगाल तथा बर्मा में यह अधिक होती है।
सिंघली पीपल – Singhli Pipali
इसे जहाजी पीपली भी कहते हैं। यह श्रीलंका और सिंगापूर आदि देशों से जहाज से आती थी इसलिए इसका नाम जहाजी पीपली हो गया।
गज पीपल – Gaj Pippli
इसे कुछ लोग पीपली और कुछ चव्य का फल कहते हैं।
पिपली में ऍल्कलॉयड पाइपराइन नामक तत्व होता है जिसके कारण इसका स्वाद तीखा होता है। पीपली के पौधे की जड़ भी आयुर्वेदिक औषधि होती है। पीपली की जड़ पीपलामूल Piplamool कहलाती है।
बरसात के मौसम में पीपली की बेल में फूल आते हैं और सर्दी में फल लगते हैं।
पीपल वाला त्रिकुटा चूर्ण
Trikuta Churn with pipli
जिस प्रकार तीन औषधि मिलाकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है उसी प्रकार पीपली , सौंठ और काली मिर्च को मिलाकर त्रिकुटा चूर्ण बनाया जाता है। यह त्रिकुटा चूर्ण Trikuta Churn अनेक बीमारियों के लिए असरदार औषधि होता है।
पेट के लिए अत्यंत लाभदायक लवण भास्कर चूर्ण में पीपली और पीपलामूल महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल रहते हैं ।
पीपली के फायदे
Pippli Benefits
अस्थमा , ब्रोन्काइटिस
त्रिकुटा चूर्ण अस्थमा और ब्रोन्काइटिस में लाभदायक होता है। पिप्पली का चूर्ण शहद के साथ लेंने से अस्थमा में आराम मिलता है और कफ बनना बंद हो जाता है।
खांसी
गाय के दूध के साथ पीपली का चूर्ण खांसी में लाभ पहुंचाता है।
दस्त
गर्म पानी के साथ पीपली चूर्ण लेने से दस्त ठीक होते हैं।
गले में खराश व साँस में अवरोध
गर्म पानी में पीपली चूर्ण , लौंग का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर कुछ देर रखकर छान कर पीने से आराम मिलता है।
अनिद्रा
एक ग्राम पीपली का पाउडर दूध में उबाल कर रात को सोते समय पीने से नींद अच्छी आती है। पीपला मूल का चूर्ण 2 ग्राम और मिश्री मिलाकर सुबह शाम लेने से अनिद्रा दूर होती है।
फ्लू
शहद में पीपली चूर्ण और अदरक का रस मिलाकर लेने से फ्लू में आराम मिलता है।
गले में संक्रमण
मुलैठी , वच , हरड़ , पीपली तथा इलायची पाउडर का भुना हुआ मिश्रण शहद के साथ लेने से गले का इन्फेक्शन ठीक होता है।
स्मरण शक्ति
पीपली में दिमागी शक्ति तथा स्मरण शक्ति में वृद्धि करने का गुण पाया जाता है।
दांत में दर्द
पीपली चूर्ण , सेंधा नमक , हल्दी , और सरसों का तेल मिलाकर दातों पर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है। पिपली के चूर्ण में घी और शहद मिलाकर लगाने से भी लाभ मिलता है।
बच्चों को खांसी बुखार
बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पीपली को घिस कर शहद के साथ मिलाकर चटाने से बुखार , खांसी , तिल्ली बढ़ने आदि में आराम आता है।
जुकाम
पिपली , पीपला मूल , काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में लेकर पीस कर बनाया हुआ चूर्ण 2 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से जुकाम ठीक होता है।
मोटापा
पिपली चूर्ण 2 ग्राम शहद में मिलाकर दिन मे तीन बार कुछ सप्ताह नियमित लेने से मोटापा कम होता है। इसके सेवन के एक घंटे के अन्तराल में कुछ खाना पीना नहीं चाहिए।
कब्ज
पीपलामूल और इलायची को मिलाकर बनाया हुआ चूर्ण घी में मिलाकर सुबह शाम लेने से कब्ज में आराम मिलता है।
स्तन के दूध में वृद्धि
पिपली चूर्ण और शतावरी चूर्ण शहद के साथ सुबह शाम लेने से प्रसूता के स्तन दूध में वृद्धि होती है।
बुखार
तीन ग्राम पिपली को एक गिलास पानी में उबालें। चौथाई रह जाने पर शहद मिलाकर पीने से कफ़ के कारण हुआ बुखार ठीक होता है।
यह पोस्ट सिर्फ जानकारी के लिए है। किसी भी खास उपचार के लिए विशेषग्य की राय जरुर ले लेनी चाहिए।
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