क्विनोवा वर्तमान में सबसे अधिक चर्चित हेल्थी फ़ूड है। इसे सुपर फ़ूड कहा जाने लगा है। गेहूँ , चावल , ज्वार , मक्का , रागी की तरह इसका उपयोग भी अनाज की तरह किया जा सकता है। आइये जाने क्विनोवा क्या है और इसे सुपर फ़ूड क्यों कहते हैं।
किनोवा क्या है
Quinoa kya hota he
यह केनोपोडियम क्विनोवा Chenopodium quinoa नामक पौधे के बीज हैं। हजारों साल से इसे दक्षिणी अमरीकी देशों में अनाज की तरह उगा कर भोजन के लिए काम लिया जाता रहा है।
पिछले कुछ सालों में पोषक तत्वों की बहुतायत के कारण इसे विश्व भर में पहचान मिली। अब यह अत्यधिक लोकप्रिय हो गया है , विशेषकर हेल्थ के प्रति जागरूक लोगों में। इसे कई देशों में उगाया जाने लगा है।
भारत में भी इसकी खेती होने लगी है। अंग्रेजी भाषा का शब्द तथा स्पेलिंग QUINOA होने के कारण इसका उच्चारण कई प्रकार से किया जाता है। यहाँ इसे किनोवा , केनवा या क्विनोवा आदि नामों से जाना जाता है।
वैसे इसका सही उच्चारण “कीन वा“ होता है।
वनस्पति विज्ञान के अनुसार Quinao अनाज नहीं है बल्कि एक छद्म अनाज ( Pseudo Cereal ) है। यह amaranth family का सदस्य है। इसे अनाज की तरह पीस कर या पका कर उपयोग में लाया जा सकता है।
किनोवा की विशेषता
Qoinoa ki khasiyat
क्विनोवा में कई प्रकार की ऐसी विशेषताएं होती हैं जो दूसरे अनाजों में नहीं होती हैं। किनोवा की कुछ खास बातें इस प्रकार हैं –
- किनोवा उगाने के लिए कई प्रकार की परिस्थियाँ अनुकूल होती है। यह 4 से 35 डिग्री तापमान में उगाया जा सकता है। इसे अधिक सिंचाई की जरुरत नहीं होती तथा इसके उत्पादन की लागत कम आती है।
- कीनवा उगाने के लिए कीटनाशक नहीं डालना पड़ता क्योकि इसके छिलके पर प्राकृतिक रूप से सैपोनिन नामक कड़वा तत्व होता है जो कीट पतंगों से इसे बचाता है। पशु भी इसकी फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते। धोने पर यह कड़वा तत्व आसानी से निकल जाता है। बाजार में मिलने वाला किनोवा अधिकतर धुला हुआ होता है।
- क्विनोवा में शरीर के लिए जरुरी तथा लाभदायक 9 प्रकार के एमिनो असिड पाए जाते हैं जो अन्य किसी अनाज में नहीं होते हैं। इसमें अनाजों में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्व भी होते हैं।
- इसके फायदे देखते हुए UN ने वर्ष 2013 को अंतर्राष्ट्रीय किनोवा वर्ष ( International quinoa year ) का नाम दिया था।
- नासा ने इसके पोषक तत्व , उपयोग तथा उगाने में आसानी को देखते हुए स्पेस मिशन के लिए अनुकूल फसल माना है।
किनोवा के पोषक तत्व
किनोवा में उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन होते हैं , सभी अनाज से ज्यादा और अच्छे प्रोटीन इसमें पाए जाते हैं।
यह कार्बोहाइड्रेट तथा फाइबर से भरपूर है , इसके जितना फाइबर किसी दूसरे अनाज में नहीं होता है। इसमें गेहूं से दोगुनी मात्रा में फाइबर पाया जाता है।
किनोवा खनिज तथा विटामिन से भरपूर होता है। इसमें मैगनीज , फास्फोरस , मैग्नेशियम , फोलेट , कॉपर , आयरन , जिंक , पोटेशियम आदि खनिज की अच्छी मात्रा होती है। इसके अलावा विटामिन B 1 , B 2 , B 6 का यह अच्छा स्रोत है। इसमें थोड़ी मात्रा में विटामिन E , विटामिन B3 , कैल्शियम तथा ओमेगा 3 फटी एसिड भो पाया जाता है।
किनोवा में कई प्रकार के माइक्रो न्यूट्रीएंट्स होने के साथ एंटी-ओक्सिडेंट तथा फाइटो केमिकल्स भी मौजूद होते हैं। किनोवा में शरीर के लिए जरुरी 9 एमिनो एसिड पाए जाते हैं जो भोजन से प्राप्त करने पड़ते हैं। इसलिए यह सम्पूर्ण आहार है।
किनोवा के फायदे
Quinoa benefits
किनोवा में भरपूर फाइबर होता है। फाइबर पाचन क्रिया के लिए जरुरी होते हैं। ये कब्ज में राहत प्रदान करते हैं , वजन कम करने तथा डायबिटीज होने से रोकने में सहायक होते हैं। इसके अलावा कोलेस्ट्रोल को कम करके हार्ट प्रॉब्लम की संभावना को कम करते हैं।
( इसे पढ़ें : भोजन में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होना क्यों अति आवश्यक )
हमारे शरीर को कई प्रकार के प्रोटीन , खनिज तथा विटामिन की जरुरत होती है। ये सभी जरुरी तत्व किनोवा में पाए जाते है विशेषकर एमिनो एसिड और वो भी दूसरे सभी अनाजों से अधिक मात्रा में।
इसमें ग्लूटेन नहीं होता है। कुछ लोगों को ग्लूटेन से या गेहूं से एलर्जी होती है और कुछ लोग सेलिअक नामक बीमारी के शिकार होते हैं। ऐसे लोग गेहूं नहीं खा सकते लेकिन वे किनोवा का उपयोग कर सकते हैं।
गेहूं से एलर्जी के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
किनोवा का ग्लाईसेमिक इंडेक्स कम होता है। अधिक ग्लाईसेमिक इंडेक्स वाली चीजें मोटापा , डायबिटीज या हार्ट समस्या का कारण बन सकती हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा होती है , यदि आप कम कार्ब वाली कीटो डाइट पर हैं तो इसे ना लें।
( इसे पढ़ें : कीटो डाइट लेने से वजन कम कैसे होता है )
इसमें एंटी-ओक्सिडेंट की भरपूर मात्रा होती है इस कारण फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान तथा अन्य बीमारियों से बचाने में यह सहायक होता है। फ्री-रेडीकल्स कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का कारण बनते हैं।
( इसे पढ़ें : फ्री-रेडीकल्स कैसे बनते हैं , इनसे नुकसान और एंटी-ओक्सिडेंट कैसे बचाते हैं )
किनोवा में पाए जाने वाले फ्लेवेनोइड्स एंटी-वायरल , एंटी-डिप्रेशन और एंटी-इन्फ्लेमेटरी के रूप में लाभ पहुंचाते हैं।
किनोवा मे भी अनाज व मेवों की तरह फाईटिक एसिड होता है। यह तत्त्व अन्य खनिज का शरीर में अवशोषण में बाधा उत्पन्न करता है। पकाने से पहले भिगोने या अंकुरित कर लेने से पोषक तत्व ग्रहण करने में आसानी हो जाती है।
क्विनोवा में ओक्जेल्ट की मात्रा ज्यादा होती है। अतः किडनी की परेशानी से ग्रस्त लोगों को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
किनोवा कैसे खाएँ
How to use quinoa
- इसे चावल की तरह पका कर खा सकते हैं। 2 कप पानी में 1 कप किनोवा और स्वादानुसार नमक डालकर पका लें। 10 – 15 मिनट में पक जाता है।
- पकाने के बाद इसे वैसे ही , दलिए की तरह या कोई सब्जी , दाल मिलाकर या अन्य तरीके से खा सकते हैं।
- इसके फ्लेक्स बनाये जा सकते हैं।
- यह कुकिंग या बेकिंग के काम आ सकता है।
- आटा के रूप में पिसवा सकते हैं। इसकी रोटी बनाई जा सकती है। गेहूं के आटे में इसका आटा मिलाया जा सकता है।
- इसकी खिचड़ी बना कर खाई जा सकती है।
- इसे बेक किया जा सकता है . पुडिंग , केक , मफिन्स या बिस्किट बनाते समय उसमे थोडा क्विनोवा का आटा मिला सकते हैं।
- किसी भी सूप में पके हुए क्विनोवा मिलाकर खाए जा सकते हैं।
- इन्टरनेट पर किनोवा से बनाने वाली कई रेसिपी देखी जा सकती है।
- इन्हें नाश्ते , लंच या डिनर में कभी भी खाया जा सकता है।
अभी किनोवा थोड़ा महँगा है लेकिन उत्पादन बढ़ने से आने वाले समय में इसका मूल्य अवश्य कम हो सकता है।
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