रामनवमी Ram Navmi चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन होता है । इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप मे हुआ था । त्रेता युग मे राक्षसों के अत्याचार समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप मे सातवाँ अवतार लिया था ।
भगवान राम का जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था । अतः इस दिन दोपहर 12 बजे तक व्रत रखा जाता है । व्रत का पारायण पंचामृत से किया जाता है ।
रामनवमी कैसे मनाते हैं
राम मंदिर मे यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है । घर पर भी भगवान राम की पूजा की जाती है तथा व्रत रखा जाता है । मंदिरों मे भगवान राम की मूर्ति को दूध , दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से नहलाया जाता है । नए वस्त्र , सुंदर पुष्पमाला आदि से राम सीता को सजाया जाता है । विभिन्न प्रकार के व्यंजन तथा फल आदि का भोग लगाया जाता है । शंख और घंटा बजाकर हर्षोल्लास दर्शाया जाता है । गाजे और बाजे के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है ।
घर पर पूजा करने का तरीका इस प्रकार है –
रामनवमी पूजन सामग्री
पंचामृत , वस्त्र , लच्छा , रोली , अक्षत ( चावल ) , चन्दन , पुष्प माला , धूप , दीप , घी , तुलसी के पत्ते , कमल का फूल , फल , मिठाई (भोग के लिए ) ।
रामनवमी पूजन विधि
सुबह स्नान आदि करके पूजा स्थान को साफ करें ।
लकड़ी के पट्टे पर राम भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें ।
राम नवमी व्रत का संकल्प करें ।
भगवान को शुद्ध जल तथा पंचामृत से स्नान करवाये ।
नए वस्त्र आदि अर्पित करें ।
राम भगवान को रोली चावल व चन्दन लगाए ।
मोली अर्पित करें ।
पुष्प , फूल माला इत्यादि अर्पित करें ।
घी का दीपक व धूप (अगरबत्ती ) जलाएं ।
फल व मिठाई का भोग लगायें ।
श्रीराम के मंत्रों का जाप , रामायण का पाठ , राम चरित मानस का पाठ , राम रक्षा स्रोत का पाठ आदि जो आप कर सकें वो करें ।
भगवान राम की स्तुति और आरती गायें ।
आरती के लिए क्लिक करें –
आरती के बाद पंचामृत व भोग की मिठाई उपस्थित जन में भी बाँट दें ।
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