संकष्टी चतुर्थी व्रत sankashti chaturthi vrat गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। संकष्टी का अर्थ है – कठिन समय से मुक्ति पाना। आइये जानें संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में विस्तार से।
गणेश जी की पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले सर्वप्रथम की जाती है। गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता हैं। बुद्धि और विवेक द्वारा हर कार्य सफलता पूर्वक संभव हो सकता है तथा हर प्रकार के संकट का समाधान हो सकता है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर प्रकार का कष्ट दूर करने तथा कठिन समय से मुक्त करने वाला माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी कब आती है
Sankat chauth kab hoti he
हर महीने पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी Vinayak chauth के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ होती है। इसे तिल चौथ या माहि चौथ भी कहते हैं। यह दिन भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में धूम-धाम से मनाया जाता है।
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संकष्टी चतुर्थी को संकट हारा , सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी Angaraki chaturthi कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी 6 महीनों में एक बार आती है और इस दिन व्रत करने से जातक को पूरे संकष्टी का लाभ मिल जाता है।
यह दिन बहुत उत्साह और उल्लास से मनाया जाता हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जातक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। sankat chauth vrat …
संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजन
Sankat Chaturthi Ganesh pooja
— सुबह जल्दी उठें , नित्य कर्म , स्नान आदि से निवृत होकर साफ और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
— ये वस्त्र लाल , गुलाबी या पीले रंग के हो तो शुभ रहता है।
— पूजा के समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में हो अर्थात गणेश जी का मुँह पश्चिम या दक्षिण दिशा में हो।
— चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश को विराजमान करें।
— रोली , मौली , चावल , पुष्प , फूल माला , जनेऊ अर्पित करें।
— दीप धुप , मिठाई , फल , दक्षिणा आदि अर्पित करें।
— भोग लगाने के लिए मोदक , लड्डू , केला आदि अर्पित करें।
— इस मन्त्र का उच्चारण करें –
गजाननं भूत गणादि सेवितं ,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम् ,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ।।
— पूजा के बाद फलाहार लें जिसमे फल, दूध , मूंगफली या साबूदाना आदि लें।
— शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें।
— रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है। purnima ke bad sankat chaturthi …
संकष्टी चतुर्थी के व्रत से लाभ
घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है।
विपदा दूर होती है।
मनोकामनाओं पूर्ण होती है।
चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन बहुत शुभ माना जाता है।
सूर्योदय से प्रारम्भ होने वाला यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद संपन्न होता है।
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