शंख बजाने के फायदे , पूजा वाला असली शंख और उसके प्रभाव – Shankh types

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शंख conch से वैसे तो सभी परिचित हैं लेकिन शंख के फायदे , गुण , महत्त्व और वास्तु प्रभाव आदि के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते। आइये जानें शंख क्या हैं , कितने प्रकार के होते हैं और पूजा में कौनसा शंख रखना चाहिए।

शंख क्या हैं

Shankh kya hote he

शंख समुद्र में पाए जाने जीव मोलस्क ( घोंघा ) के कठोर कवच होते हैं जो कैल्शियम कार्बोनेट जैसे तत्वों से बने होते हैं।  ये कवच चोट , आघात और अन्य जीवों से उनकी रक्षा करते हैं । समुद्र में हजारों प्रकार की प्रजाति के मोलस्क Mollusk होते हैं , जिनके कवच विभिन्न आकार और रंग में पाये जाते हैं। ये कवच ही हमें शंख के रूप में प्राप्त होते हैं।

शंख का उपयोग घर में सजावट के लिए , घर और मंदिर में पूजा के लिए , शंखनाद के लिए , दवाओं में , खेल के सामान बनाने में तथा आभूषण बनाने आदि में किया जाता है।

शंख का पौराणिक महत्त्व

Shankha importance

हिन्दू धर्म में शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से होना माना जाता है। विष्णु भगवान सभी अवतारों में शंख धारण किये हुए दिखाई देते हैं। समुद्र मंथन से ही माँ लक्ष्मी तथा शंख अवतरित हुए थे , अतः शंख को माँ लक्ष्मी के भाई का दर्जा दिया जाता है। शंख को खुशहाली और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

महाभारत में शंख का महत्त्व और वर्णन अधिक मिलता है। भगवान श्री कृष्ण पंचजन्य नामक शंख बजाते थे जो अद्भुत और अनूठा था। जिसकी आवाज से विरोधी का ह्रदय कांप जाता था। अर्जुन के पास देवदत्त नामक शंख होता था।

ब्रम्हवैवर्तपुराण के अनुसार शंख के मध्य में वरुण , पृष्ठ भाग में ब्रह्मा तथा अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास होता है। अतः शंख की पूजा लाभदायक होती है।

शंख कितने प्रकार के

Shankh kitne type ke

शंख की हजारों प्रकार की प्रजाति होती है। इनके आकार और उन पर बनी डिजाईन के आधार और प्रभाव के अनुसार उन्हें अलग अलग नामों से पुकारा जाता है।  जैसे गणेश शंख Ganesh shankh , सुदर्शन शंख sudarshan shankh , गोमुखी शंख Gomukhi shankh , चन्द्र chandra shankh , गदा Gada shankh , कामधेनु Kamdhenu shankh , सुघोष sughosh shankh , गरुड़ garud shankh ,  मणिपुष्पक Manipushpak shankh , केतु Ketu shankh , शेषनाग sheshnag shankh  , कश्यप Kashyap shankh , पंचजन्य शंख Panchjanya shankh इत्यादि ।

मंदिर या घर में पूजा के लिए अथवा शंखनाद के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख होते हैं – वामावर्ती शंख तथा दक्षिणावर्ती शंख। Vamavarti shankha and Dakshinavarti shankha

दक्षिणावर्ती शंख

Dakshinavarti shankh

दक्षिणावर्ती शंख घर या मंदिर में पूजा के लिए रखे जाते हैं , इन्हें बजाया नहीं जाता है। इनका पेट दायीं और होता है अतः इन्हें दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं। ये शंख दुर्लभ होते हैं। माना जाता है कि ये माता लक्ष्मी का स्वरुप होते हैं तथा इनकी पूजा करने से सुख , धन समृधि , खुशहाली , संपत्ति आदि में बढ़ोतरी होती है।

दुर्लभ होने के कारण दक्षिणावर्ती शंख अन्य चीजें जैसे मार्बल पाउडर आदि से भी बनाये जाने लगे है। अतः इन्हें खरीदते समय सावधानी रखनी चाहिए।

वामवर्ती शंख

Vamavarti Shankh

वामवर्ती शंख बजाने के लिए काम लिए जाते हैं। ये शंख बायीं तरफ से खुलते हुए दिखाई देते है इसलिए इन्हें वामावर्ती शंख कहा जाता है। वामावर्ती शंख अधिक संख्या में पाये जाते हैं। शंख को बजाने पर ॐ जैसी ध्वनी सुनाई देती है अतः शंखनाद की आवाज को ॐ जितना ही प्रभावकारी माना जाता है।

पूजा आदि शुभ कार्य से पहले शंखनाद किया जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसके अलावा बीमारी फ़ैलाने वाले कीटाणुओं का नाश होता है।

शंख के फायदे

Shankh benefits

—  दक्षिणावर्ती शंख को पूजा कक्ष में रखकर उसका विधिवत पूजन करने से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है एंव परिवार में आपसी प्रेम का अच्छा वातावरण बनता है।

—  वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। शंख की आवाज से ‘सोई हुई भूमि’ जाग्रत होकर शुभ फल देती है।

—  माना जाता है की यदि शंख में पानी भरकर रखा जाए तो वह नदियों के संगम जल जैसा पावन हो जाता है।

शंख का पानी पीने के लाभ :

शंख में भरकर रखा हुआ पानी पीने से आलस दूर होता है , शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है , स्मरण शक्ति बढती है , प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा हड्डी व दांत मजबूत होते हैं।

शंख में रखे जल से पूजा करने या घर में छिडकाव करने से नकारत्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है।

पानी भरने के लिए शंख को कैसे रखें :

चांदी या लकड़ी के पात्र में चावल , कौड़ी या रुद्राक्ष रखकर उस पर शंख रखना चाहिए , फिर उसमे पानी भरना चाहिए। पानी काम में लेने के बाद तुरंत उसमे पानी वापस भर देना चाहिए।

—  बजाये जाने वाले वामावर्ती शंख से निकली आवाज कई प्रकार से फायदेमंद होती है , इसे बजाने वाले को भी कई लाभ मिलते हैं। शंख को बजाने का एक विशेष तरीका होता है जिसे आसानी से सीखा जा सकता है। थोड़ी प्रेक्टिस के बाद शानदार ढंग से शंखनाद किया जा सकता है।

शंक बजाने या शंखनाद करने के फायदे

shankhnad effects and labh

शंखनाद करने से घर के वास्तु दोष नष्ट हो जाते हैं , नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।  शंख की ध्वनी को ॐ के समकक्ष माना जाता है।

शंख बजाने से किसी भी प्रकार का वाणी दोष , हकलाना आदि हो तो उसमे लाभ होता है। इससे गले तथा फेफड़ों के रोगों से बचाव होता है। सर दुखने पर शंखनाद की आवाज से सरदर्द में राहत मिलती है। स्मरण शक्ति बढती है।

—  शंख में रखकर दान की हुई वस्तु का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह दान गदा शंख में रखकर करना चाहिए जो आकार में बड़ा और गदा जैसा दिखने वाला होता है।

—  सुदर्शन शंख जिस पर सुदर्शन चक्र जैसी धारियां बनी होती है पूजा में अथवा किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाने पर साथ रखने से कार्य सफल होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है।

—  राहू केतु की दशा से पीड़ित होने पर विष्णु भगवान के मंदिर में केतु शंख का दान करने से लाभ मिलता है।

—  चन्द्र शंख की पूजा करने से मानसिक शक्ति , मानसिक शांति व एकाग्रता में लाभ मिलता है।

—  गणेश शंख की पूजा करने से विघ्न दूर होते हैं तथा रुके हुए काम पूर्ण होने की सम्भावना बढ़ जाती है। नौकरी सम्बन्धी परेशानी दूर होती है।

—  शंख से ठाकुर जी को पंचामृत स्नान , केसर स्नान या जल चढ़ाना आदि कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं। शंख में जल भरकर प्रभु की आरती भी की जाती है।

सावधानी : शिवलिंग पर शंख के माध्यम से जल नहीं चढ़ाया जाता , माना जाता है कि ऐसा करने से शिवलिंग तथा शंख दोनों के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। सिर्फ पारद के बने पारदेश्वर शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाया जा सकता है।

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