एक अकेली संतान ही ठीक है या दो बच्चे होने चाहिए – Single child or more

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एक अकेली संतान ( सिंगल चाइल्ड single child ) या दो बच्चे वाला परिवार आज के वक्त की जरुरत बन गया है।  समय में बदलाव के साथ दो बच्चे , फिर एक बच्चा और यहाँ तक कि अब तो बिना बच्चों का विचार भी पनपने लगा है।

अधिक बच्चों की उपयुक्त परवरिश कर पाना महंगाई तथा समय की कमी के कारण बहुत मुश्किल हो गया है। पहले अधिक भाई बहनों का परिवार हुआ करता था। माता पिता बहुत से बच्चों में बंटे होते थे। भाई बहन खुद ही आपस में मिलकर एक दूसरे की जरुरत और समस्या का समाधान कर लेते थे।

बड़े भाई बहन का सामान एक के बाद एक यूज कर लेता था। आपस में मिल बाँट कर हर चीज का उपयोग होता था। किसी भी चीज पर एकाधिकार नहीं होता था। इसी मानसिकता के साथ बचपन बीतने के कारण बड़े होने पर भी इसका लाभ मिलता था।

अब अधिकतर लोग एक बच्चा पैदा करने और उसी की परवरिश पूरी करने में अपना सब कुछ लगा देने को सबसे अच्छा निर्णय मानने लगे हैं। सिंगल चाइल्ड का निर्णय माता पिता की दृष्टि से सही हो सकता है लेकिन बच्चे की दृष्टि से भी वह निर्णय उतना ही सही होता है या नहीं यह विचार योग्य है।

क्या सिंगल चाइल्ड को सगे भाई बहन की कमी से दिक्कतें होती हैं ? क्या सगा भाई बहन होना जरुरी है ? संतान एक ही होनी चाहिए या दो ? एक ही संतान होने के क्या फायदे या नुकसान हो सकते हैं। क्या सिंगल चाइल्ड होने से बच्चे मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं ? आइये विचार करें –

सिंगल चाइल्ड के फायदे नुकसान

शेयर करने की ख़ुशी और आदत

जब एक से अधिक भाई बहन होते हैं तो घर की किसी भी चीज पर किसी एक का एकाधिकार नहीं होता है। इससे बच्चे शेयर करना सीख जाते हैं। बड़े होने के बाद भी अपनी चीजों को शेयर करने में उन्हें परेशानी नहीं होती। यह गुण अकेले बच्चे में नहीं आ पाता।

यहाँ तक कि कभी कभी शादी के बाद अपने जीवनसाथी के साथ भी चीजें बाँटने में उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। चीजें शेयर करना एक सुखद अनुभव होता है जिसे अकेले बच्चे महसूस नहीं कर पाते।

झगड़े से सीख

भाई बहन के झगड़ों के बारे में सभी जानते हैं। ये झगड़े बहुत कुछ सिखाते भी हैं। अपनी जरुरत के लिए झगड़ना और फिर झगड़े को सुलझा कर वापस समझौता कर लेना जीवन भर काम देता है। झगड़े सुलझाने के लिए कुछ समझौते करने ही पड़ते हैं। हमेशा किसी एक की पूरी जीत नहीं होती है। कभी किसी को झुकना पड़ता है कभी किसी को।

अकेली संतान को सिर्फ अपने माता पिता से जिद करनी होती है जो अधिकतर पूरी हो जाती हैं। बड़े होने पर भी जिद करना स्वभाव बन जाता है। जिद पूरी नहीं होने पर तनाव और डिप्रेशन के शिकार होने की सम्भावना रहती है।

जिम्मेदारी

दो बच्चे होने से बड़े बच्चे में जिम्मेदारी की भावना विकसित हो जाती है जो अकेले बच्चे में नहीं हो पाती। दो बच्चे आपस में क्षमा करना सीखते हैं , लेना देना सीखते हैं।

सिंगल चाइल्ड और खेलना

बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है। अधिकतर खेल दो या चार लोगों के लिए बने होते हैं। अकेले बच्चे के लिए दूसरे खिलाड़ी की कमी हमेशा रहती है। कुछ ही खेल ऐसे हैं जो अकेले खेले जा सकते हैं लेकिन उनसे जल्दी ही बोरियत होने लगती है।

माता पिता कभी कभी बच्चे के साथ खेलते हैं लेकिन वो औपचारिकता भर होती है क्योकि उनकी कोशिश रहती है कि बच्चा जीते ताकि उसे ख़ुशी मिले। ऐसे में बच्चे की जी जान लगाकर जीतने की भावना भी पैदा नहीं हो पाती। इस भावना के पैदा होने से बच्चे बड़े होकर अच्छी सफलता हासिल करते हैं।

अपनी समस्या और ख़ुशी शेयर करना

भाई बहन का रिश्ता एक अलग ही रिश्ता होता है। भले ही आप बहुत अच्छे माता पिता हों लेकिन कुछ बातें ऐसी होती ही हैं जो बच्चे माता पिता से शेयर नहीं कर सकते लेकिन भाई बहन आपस में कर सकते हैं। चाहे वो स्कूल की पढ़ाई  , परीक्षा या टीचर से सम्बंधित हो या पड़ौसी अथवा घर से बाहर आने जाने से सम्बंधित हो अथवा दोस्तों को लेकर कोई परेशानी हो। इसमें ख़ुशी और सुकून दोनों मिलते हैं जो किसी अन्य रिश्ते में नहीं मिलते।

ताऊ या चाचा के बच्चे ( Cousine )

सगे भाई या बहन वाला प्यार चाचा या ताऊ के बच्चो ( कज़िन्स ) से नहीं मिल पाता विशेषकर यदि उनके खुद के सगे भाई बहन हों तो। आपकी सफलता की वो उतनी ख़ुशी नहीं मना पाते  , गिरने पर सँभालने वाले वो हाथ नहीं होते , शादी उतनी धूमधाम से नहीं होती। सफलता , ख़ुशी या दुःख में आप खुद को थोड़ा अकेला पाते हैं।

माता पिता का अधिक प्यार

अकेली संतान के लिए माता पिता का अत्यधिक प्यार उकताहट और चिढ़ का कारण बन सकता है। एक ही बच्चा हो तो माता पिता का केंद्र बिंदु बन जाता है। वह कोई भी कदम स्वेच्छा से नहीं बढ़ा पाता। माता पिता कदम कदम कर उसका मार्गदर्शन करके उसे कमजोर बना देते हैं। वह ओवर प्रोटेक्टेड चाइल्ड बन जाता है।

माता पिता की अपेक्षाएं

अकेली संतान होने पर उसी पर माता पिता की सभी अपेक्षाएं टिकी होती हैं। इससे उनकी अपेक्षाओं को पूरी करने का दबाव बच्चे पर बढ़ जाता है। संतान की सफलता या असफलता में वे खुद को पूरी तरह डूबा लेते हैं। दो बच्चे होने पर एक बच्चे की अधिक चिंता नहीं की जा सकती। यदि एक बच्चा असफल भी रहे तो दूसरा बच्चा सफल होकर माँ बाप की चिंता कम कर सकता है।

सुरक्षा की भावना

बड़े भाई बहन का होना सुरक्षा की भावना जीवन भर प्रदान करता है चाहे वो बहुत दूर ही क्यों न रहते हों। अकेली संतान में कभी कभी असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। जब माता पिता की अधिक उम्र हो जाती है तब पारिवारिक देखरेख के लिए सगा भाई बहन ही सबसे अधिक विश्वसनीय होता है जिसके साथ सब कुछ शेयर कर सकते हैं।

बड़े भाई बहन का फायदा छोटों को

बड़े भाई बहन द्वारा लड़-झगड कर किये हुए कुछ काम छोटे के लिए भी रास्ता खोल देते हैं। जैसे दोस्त के साथ उसके घर रात को रहना , दोस्तों की बर्थ दे पार्टी में जाना , मॉडर्न कपड़े पहनना आदि।

इसके अलावा कभी कोई गलत चलन परिवार में हो तो बड़े भाई बहन उसमे बदलाव लाकर छोटो के लिए सुविधा पैदा कर देते हैं। कभी कभी जो बातें माता पिता बताने में शर्म या झिझक महसूस करते हैं वो बातें बड़े भाई बहन से जानने को मिल जाती हैं।

कैसे रिएक्ट करें

सिंगल चाइल्ड को माता पिता के सामने कैसा व्यवहार करना है इसका अंदाजा नहीं लग पाता। कब और कैसे रिएक्ट करना चाहिये इस बारे में कन्फ्यूजन होता है। बड़ा भाई बहन इस बारे में बता कर दुविधा दूर कर देता है। माता पिता को भी एक बच्चा होने पर यह अनुभव नहीं हो पाता कि बच्चे को कैसे ट्रीट करें।

ऐसा नहीं है कि एक संतान होने के सिर्फ नकारात्मक प्रभाव ही होते हैं।  इसके कुछ फायदे भी है जिनमे विशेषकर ये हैं –

  • अकेली संतान माता पिता की संपत्ति की इकलौती वारिस होती है जिसे वह जैसे चाहे अपनी प्रगृति के लिए काम में ले सकता है।
  • माता पिता का सम्पूर्ण प्यार मिलता है।
  • जीवन में कठिन निर्णय नहीं लेने पड़ते। माता पिता का मार्गदर्शन हमेशा मिलता है।
  • कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होती। बचपन से ही खिलोने , गेम्स , साइकल , जूते , कपड़े , अच्छा स्कूल , अच्छी शिक्षा आदि सभी प्रकार की सुविधा मिल पाती है।
  • भाई बहन के झगड़े से मुक्त रहते हैं। मारना पीटना , चिल्लाना , खरोंचना आदि नहीं होते। एक ही संतान हो तो सामान्यतया पेरेंट्स को बच्चो की पिटाई नहीं करनी पड़ती। घर में शांति बनी रहती है। सिंगल चाइल्ड अपनी मर्जी से घर में कुछ भी कर सकता है।

एक ही संतान होनी चाहिए या दो या दो से अधिक बच्चे चाहिए , इस निर्णय का प्रभाव माता पिता और बच्चों पर जीवन भर रहता है। अतः सोच समझ कर उपयुक्त निर्णय लेना चाहिए।

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