सोमवती अमावस्या व्रत कथा – Somvati Amavsya Vrat Katha

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सोमवती अमावस्या व्रत कथा , व्रत और पूजन के बाद सुनी या कही जाती है । सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है । सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की या तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए ।  व्रत रखना चाहिए । इसके अलावा व्रत की कथा भी जरूर सुननी चाहिए । इससे परिवार मे सुख समृद्धि रहती है तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।

( क्लिक करके इसे देखें : सोमवती अमावस्या के व्रत पूजन उद्यापन और परिक्रमा की सम्पूर्ण विधि )

यहाँ आपको सोमवती अमावस्या के व्रत की कहानी बताई जा रही है । जो इस प्रकार है –

सोमवती अमावस्या के व्रत की कथा

Somvati amavsya vrat ki katha

एक गरीब ब्राह्मण परिवार था । ब्राह्मण की एक बेटी थी , जो सर्वगुण सम्पन्न थी । उसके विवाह के लिए ब्राह्मण ने कई योग्य वर देखे । लेकिन गरीबी के कारण कन्या का विवाह नही हो पा रहा था ।

एक दिन ब्राह्मण के घर एक साधु आए । ब्राह्मण परिवार ने साधु की अच्छी सेवा की । कन्या के सेवा भाव से वो विशेष प्रसन्न हुए ।

ब्राह्मण ने बेटी के विवाह ना हो पाने की बात साधु को बताई । साधु ने कन्या का हाथ देखकर कहा कि उसके भाग्य मे विवाह होना नहीं है । (somvati amavsya ki kahani ….)

उपाय पूछने पर साधु ने बताया कि पास के गाँव मे सोना नाम की एक धोबन परिवार सहित रहती है । वह धोबन पति पारायण और संस्कार सम्पन्न है । यदि यह कन्या उस धोबन की सेवा करे । और वो, कन्या की माँग मे अपना सिंदूर लगा दे । तो कन्या का विवाह हो सकता है ।

यह बात ब्राह्मण परिवार ने समझ ली । साधु के बताए अनुसार ब्राह्मण कन्या रोज सुबह सुबह धोबन के घर जाकर उसके घर के काम करने लगी ।

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धोबन ने अपनी बहु से कहा , कि आजकल तुम सारे काम , कब कर लेती हो पता ही नहीं चलता । बहु बोली मुझे तो लगा कि आप सारे काम कर लेते हो । दोनों बड़े हैरान हुए ।

धोबन ने नजर रखना शुरू किया । उसने पाया कि एक कन्या सुबह जल्दी आकर सारे काम कर देती है । रोज ऐसा होते देखकर एक दिन धोबन ने उसे रोका । वह उसके पैरों मे गिर पड़ी और पूछा आप कौन हैं और छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों कर रही हैं ।  (somvati amavsya ke vrat ki kahani ….)

कन्या ने उसे साधु द्वारा कही सारी बात बता दी ।

सोना धोबन संस्कारी और पति परायण थी । उसमे तेज था । वह अपना सिंदूर कन्या को देने के लिए तैयार हो गई । सोना धोबन ने जैसे ही अपनी माँग का सिंदूर कन्या की माँग मे लगाया धोबन के पति का देहांत हो गया । यह देखकर धोबन निर्जल ही अपने घर से निकल गई  ।

उस दिन सोमवती अमावस्या थी । धोबन को एक पीपल का पेड़ दिखाई दिया । धोबन के पास कुछ और तो था नहीं , उसने ईंट के टुकड़ों से 108 भँवरी देकर पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा लगाई । इसके बाद ही जल ग्रहण किया । धोबन के ऐसा करते ही उसका पति जीवित हो उठा । (somvati amavas ki vrat kahani ….)

ब्राह्मण की बेटी का विवाह भी हो गया । इस तरह सभी को अभीष्ट फल और सुख सौभाग्य की प्राप्ति हुई ।

कथा समाप्त हुई ।

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