सूरज को जल क्यों कैसे और कब चढ़ायें अधिकतम लाभ के लिए – Suraj Ko Argh

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सूरज को जल चढ़ाना या अर्घ देना कितना लाभदायक हो सकता है , यह अधिकतर लोग नहीं जानते हैं । इसके अलावा सूरज को जल किस स्थान पर देना चाहिए , कैसे देना चाहिए  , किस पात्र से देना चाहिए  , जल अर्पित करते समय कौनसा मंत्र बोलना चाहिए  , परिक्रमा कितनी करनी चाहिए इत्यादि के बारे मे भी लोगों को संशय रहता है ।

यहाँ सूरज को अर्घ देने संबंधी सभी प्रकार की जानकारी दी जा रही है ताकि सूर्यदेव को जल अर्पित करने का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके ।

सूरज को जल कैसे देते हैं

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके उगते हुए सूर्य को जल अर्पित किया जाता है ।

जिस लोटे से जल अर्पित करें , उसमें जल के साथ थोड़ा गंगाजल मिला लेना ठीक रहता है ।  जल मे रक्त चंदन , पुष्प या अक्षत आदि भी डाल सकते हैं ।

सूरज निकलने के बाद , 8 बजे से पहले अर्घ दे देना चाहिए । जल नंगे पैर अर्पित करना चाहिए । जूते या चप्पल आदि ना पहने । आसन पर खड़े हो सकते हैं । शरीर पर वह तौलिया नहीं होना चाहिए जिससे स्नान के बाद शरीर पोंछा हो ।

सूर्य को जल अर्पित करते समय दोनों हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए । इससे सूरज की किरणे शरीर मे प्रवेश करके सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं । जल की धारा के बीच से सूर्य देव को देखना चाहिए ।

अर्घ देते समय अंगूठे और तर्जनी अंगुली को मिला कर नहीं रखना चाहिए । तर्जनी अंगुली से अंगूठा दूर रहना चाहिए । लोटे से अर्घ देते समय भी अंगूठे का स्पर्श जल मे नहीं होना चाहिए ।

सूर्य को दिए जाने वाले अर्घ के जल के छीटे आपके पैरों पर नहीं पड़ने चाहिए ।

सूर्य को अर्घ रोजाना दे सकते हैं । सूतक काल मे भी सूर्य को जल अर्पित कर सकते हैं ।

सूरज को जल का अर्घ देने के फायदे

सूरज हमें बहुत अधिक प्रभावित करता है । धार्मिक कारणों से , ज्योतिषीय कारणों से अथवा वैज्ञानिक कारणों से , किसी भी रूप मे देखें तो पाते हैं कि सूरज को अर्घ देने से तीनों रूप से लाभ मिल सकता है ।

सूरज को जल अर्पित करने के धार्मिक लाभ

सूरज को देवता मानकर पूजा की जाती है । वेद पुराणों मे भी इसका उल्लेख मिलता है । भगवान राम खुद सूरज की पूजा करते थे । सूरज को अर्घ देते थे । पांडवों की माता कुंती सूरज की उपासक थी । छठ पर्व पर सूरज की पूजा विशेष रूप से की जाती है ।

( इसे भी पढ़ें : डाला छठ के पर्व पर सूर्य की पूजा कैसे करें )

सूरज को अर्घ देने के ज्योतिषीय लाभ

सूरज को ग्रहों का राजा माना जाता है । ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सूरज सिंह राशि का स्वामी होता है । सूर्य गृह किस भाव मे स्थित है , इससे पूरा जीवन प्रभावित होता है ।

सूरज को अर्घ देने से सूर्य ग्रह की अनुकूलता मे वृद्धि होती है । सूर्य गृह अनुकूल होता है तो शारीरिक , मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूती प्राप्त होती है ।

सूरज को नियमित जल चढ़ाने का वैज्ञानिक लाभ

सूरज से विटामिन डी प्राप्त होता है । विटामिन डी शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है । आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण धूप नहीं मिलने से विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं मे वृद्धि हुई है ।

थोड़ी धूप शरीर के लिए बहुत आवश्यक होती है । सूर्य को अर्घ देने से सूरज की किरणे शरीर पर पड़ती हैं जिसका लाभ शरीर को अवश्य मिलता है और हम स्वस्थ होते हैं ।

( इसे भी पढ़ें : विटामिन डी के कई महत्वपूर्ण कार्य और इसके लिए कितनी धूप चाहिए )

सूर्य जल चिकित्सा

यह एक विशेष चिकित्सा विज्ञान है । इसमें कांच के विभिन्न रंग की बोतल मे जल भरकर धूप मे रखा जाता है । यह जल चिकित्सा मे काम आता है । सूर्य को जल चढ़ाने से सूरज की रोशनी मे मौजूद सभी सात रंगों का चिकित्सीय लाभ शरीर को मिल जाता है ।

( इसे भी पढ़ें : सूर्य जल चिकित्सा मे कौनसे रंग से क्या लाभ होता है )

सूरज को अर्घ कहाँ दें

सूर्य को अर्घ देने का सबसे अच्छा स्थान किसी जलाशय अथवा नदी के किनारे होता है । लेकिन किसी मंदिर मे जाकर भी सूर्य भगवान को अर्घ दे सकते हैं ।

ऐसा संभव ना हो तो घर की छत अथवा बालकोनी से भी सूर्य को अर्घ दे सकते हैं । जहाँ से सूर्य नजर आए ।

यदि सूर्य दिखना भी संभव ना हो तो सूर्य की तरफ ( पूर्व में ) मुँह करके घर मे साफ और शुद्ध जगह अर्घ दे सकते हैं । यह जल एक पात्र मे गिरा कर इकट्ठा कर सकते हैं । फिर इस जल को किसी पौधे मे डाल देना चाहिए । तुलसी मे ना डालें ।

सूरज को अर्घ देने के लिए लोटा कौनसा लें

सूर्य भगवान को तांबा अति प्रिय है । अतः तांबे के लोटे से अर्घ देना सबसे अच्छा होता है । कांसे के लोटे से भी अर्घ दिया जा सकता है ।

सूरज को कितनी बार जल चढ़ायें

सूर्य देव को तीन बार जल चढ़ाना चाहिए । पहले एक बार अर्घ दें और परिक्रमा  करें , फिर अर्घ दें फिर परिक्रमा करें , फिर अर्घ दें फिर परिक्रमा दें । इस प्रकार तीन बार अर्घ और तीन परिक्रमा करनी चाहिए ।

सूरज जिस दिशा मे होता है यानि पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके अर्घ देना चाहिए ।

सूर्य को दिए जाने वाले अर्घ का जल तुलसी के पौधे मे नहीं गिरना चाहिए । किसी थाली में सूर्य भगवान को अर्घ दिया हुआ जल इकट्ठा किया है तो वह जल भी तुलसी मे नहीं डालना चाहिए । अन्य पौधों मे यह जल डाला जा सकता है ।

सूर्य को अर्घ देते समय कौनसा मंत्र बोलें

सूरज को जल देते समय यहाँ बताए गए 5 मंत्रों मे से कोई भी मंत्र बोल सकते हैं । मंत्र बोलने से अधिक लाभ मिलता है ।

  1.  “ ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ”
  2.  “ ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:”
  3.   सूर्य के बारह नाम – ॐ सूर्याय नम:, ॐ मित्राय नम: , ॐ रवये नम: , ॐ भानवे नम: , ॐ खगाय नम: , ॐ पूष्णे नम: , ॐ हिरण्यगर्भाय नम: , ॐ मारीचाय नम: , ॐ आदित्याय नम: , ॐ सावित्रे नम: , ॐ अर्काय नम: , ॐ भास्कराय नम:,
  4.  “ ऊं ब्रह्म स्वरुपिणे सूर्य नारायणे नमः ”
  5.   गायत्री मंत्र

सूरज को अर्घ देने के बाद अंत मे सूर्यपस्थान अर्थात सूर्य भगवान को नमस्कार करना चाहिए ।

विशेष परेशानी से मुक्ति के लिए सूर्य को जल

जीवन मे कई प्रकार की परेशानी आती हैं । इनके निवारण के लिए सूर्य को जल अर्पित करते समय लोटे के जल में कुछ विशेष चीजें डालकर अर्घ देने से लाभ मिल सकता है । जो इस प्रकार हैं –

आर्थिक परेशानी से मुक्ति के लिए सूरज को जल

तांबे के लोटे मे शुद्ध जल भरकर उसमे गेंदे का फूल , कुमकुम और अक्षत डालकर सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए ।

विवाह ना होने संबंधी परेशानी के लिए सूरज को जल

तांबे के लोटे मे जल के साथ पीले कनेर का पुष्प , आंवले का रस तथा हल्दी पाउडर डालकर सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए ।

संतान प्राप्ति और दाम्पत्य जीवन की शांति के लिए

तांबे के लोटे मे शुद्ध जल के साथ लाल कनेर का पुष्प , रोली और अक्षत मिलकर जल अर्पित करने से संतान सुख प्राप्त होने मे मदद मिलती है ।

सूर्य को रोजाना अर्घ देकर आप भी अपने जीवन को सुख समृद्धि से परिपूर्ण बनायें ।

ॐ सूर्याय नमः !!!

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