टिड्डी दल Locust Swarm के बारे में इन दिनों बहुत समाचार मिल रहे हैं। एक साथ इतनी सारी टिड्डी को झुण्ड में उड़ते देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं टिड्डी दल क्या हैं। कहाँ से और क्यों आते हैं। क्या इनसे बीमारी फैलती है या ये हमें कुछ नुकसान पहुंचाते हैं ? आइये जाने।
टिड्डी ग्रासहोपर जैसा कीड़ा है जिसमें झुण्ड बनाकर उड़ने वाला व्यवहार पाया जाता है। टिड्डी के लम्बे पैर छलांग लगाने के लिए अनुकूल होते हैं साथ ही इनके दो मजबूत पंख इन्हें लम्बी उड़ान में मदद करते हैं।
टिड्डी दल क्या है
What is Locust swarm
टिड्डियाँ लाखों की संख्या में झुण्ड बनाकर हवा के साथ उडती हैं। ऐसे कई झुण्ड एक साथ मिलकर एक विशालकाय झुण्ड बना लेते हैं। इन्हें टिड्डी दल ( Locust Swarm ) कहा जाता है।
टिड्डी का ऐसा झुण्ड एक किलोमीटर से लेकर कई किलोमीटर तक फैला हुआ हो सकता है। कुछ झुण्ड अलग होकर अपनी दिशा बदल भी लेते हैं। टिड्डी दल उड़ता हुआ एक दिन में 150 किलोमीटर तक जा सकता है।
टिड्डी के एक किलोमीटर तक फैले हुए दल में लगभग 10-15 करोड़ तक टिड्डियाँ हो सकती हैं। इतनी टिड्डी एक दिन में 35 हजार लोगों का खाना चट कर सकती हैं। टिड्डी का संकट महामारी के स्तर तक भी पहुँच सकता है जिसे Locust Plague टिड्डी प्लेग कहा जाता है।
यह टिड्डीदल दिन में उड़ता रहता है और शाम होने पर रुक जाता है। जहां भी टिड्डी दल रुकता है , वहां खेतों की फसल को खाकर नष्ट कर देता है। बड़ी संख्या में अपने बच्चे भी वहाँ छोड़ जाता है।
क्या टिड्डी बीमारी फैलाती है
Does tiddy spread disease
अभी तक इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि टिड्डी किसी प्रकार की बीमारी फैलाती हैं।
क्या टिड्डी इंसान को काटती है
ये इंसान को नहीं काटती हैं। टिड्डी मनुष्य या पशु पक्षी पर किसी प्रकार का आक्रमण नहीं करती हैं। ये सिर्फ फसल के नर्म पत्ते खाती हैं , अपनी संख्या बढ़ाती है और उड़ती हैं। ये विषैली भी नहीं होती हैं।
क्या पक्षी टिड्डी को खाते हैं
kya birds tiddy ko khati he
कई बड़े पक्षी टिड्डी को बड़े चाव से खाते हैं। जैसे मुर्गे मुर्गी , कठफोड़वा Woodpacker , कौवे , बतख आदि। इनके अलावा छिपकली , मकड़ी , मेंढ़क आदि भी इन्हें खा जाते हैं।
क्या इंसान टिड्डी को खाते हैं
kya kuchh log tiidy kha jate he
कुछ देशों में इंसान द्वारा भी टिड्डी को खाया जाता है। अफ्रीका के कुछ देश , मोरक्को , इजिप्ट तथा सऊदी अरब आदि देशों में इन्हें खाते हैं । फल सब्जी की तरह ये बाजार में बिकते हुए भी देखे जा सकते हैं।
वहाँ टिड्डी प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का स्रोत मानी जाती है। इन्हें तल कर और व्यंजन बना कर खाया जाता है। कुछ धर्मों में इसे खाने के लिए उचित बताया गया है।
टिड्डीदल कहाँ से आते हैं
Tiddidal kaha se aate he
भारत में आने वाले टिड्डी दल की प्रजाति अधिकतर रेगिस्तानी टिड्डी होती है। ये भूमध्य सागर के देशों अफ्रीका , ईरान आदि में प्रजनन करती हैं। इनके प्रजनन का समय जून–जुलाई से अक्टूबर-नवम्बर तक होता है।
ये अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के रास्ते होती हुई भारत पहुंच जाती हैं। इस दौरान सभी जगह ये अंडे भी देती हैं और फसलों को नुकसान भी पहुंचाती हैं।
टिड्डी से क्या नुकसान होता है
tiddy kya nuksan karti he
टिड्डी वैसे तो छोटी होती है जो बहुत कम खाती है और वो भी सिर्फ फसल वाली चीजें। लेकिन लाखो करोड़ों की संख्या में होने के कारण यह झुण्ड बड़े बड़े खेतों की फसल मिनटों में खा जाते हैं। जिसके कारण लोगों को अनाज की कमी का संकट झेलना पड़ता हैं। किसानों की फसल नष्ट होने से भुखमरी के हालात पैदा हो जाते हैं।
टिड्डी क्या खाती है
tiddi kya khati he
ये शुद्ध शाकाहारी होती हैं। पेड़ पौधों से सम्बंधित सब चीजें खा सकती हैं। जैसे पत्तियां , फूल , छाल , तना , फल , बीज आदि। ये जिन फसल को खाकर नष्ट कर देती हैं उनमे चावल , मक्का , ज्वार , बाजरा , गन्ना , जौ , गेहूं , कपास , खजूर , सब्जियां , घास , केला आदि तथा अन्य कई फसलें शामिल हैं।
टिड्डी का जीवन चक्र
life cycle of Tiddi
नर टिड्डी का आकार मादा टिड्डी से छोटा होता है। टिड्डी लगभग 12 सप्ताह तक जीवित रहती है। अपने जीवन काल में मादा टिड्डी तीन बार अंडे देती हैं। टिड्डियाँ रात के समय ही अंडे देती हैं।
टिड्डी के जीवन की तीन स्टेज होती हैं : अंडा ( egg ) , शिशु ( Nimf , Hoppers ) और वयस्क ( adult ) . इनमे प्यूपा वाली स्टेज नहीं होती है।
टिड्डी के अंडे
Tiddy ke eggs
रेगिस्तानी टिड्डी नमी वाली जमीन के अंदर अंडे देती है। अंडे देने के लिए यह अपने पेट को जमीन में तीन चार इंच तक घुसा देती है। टिड्डी एक बार में लगभग 150 अंडे देती है जो पीले चावल जैसे दिखते हैं। अंडे के साथ कुछ मात्रा में झाग होता है जो अंडों को सूखने से , ख़राब होने से तथा अन्य जीवों का भोजन बनने से बचाता है।
टिड्डी के बच्चे (शिशु )
Tiddi ke bachche . baby tiddi
अंडे देकर टिड्डी उड़ जाती हैं। नमी से अंडे हेच होते हैं और लगभग दो सप्ताह बाद उनसे बच्चे ( टिड्डी के बच्चे ) निकलते हैं। टिड्डी के बच्चे को निम्फ या होपर्स कहते हैं। बच्चे लगभग 6 से 8 सप्ताह तक अवयस्क रहते हैं। आठ सप्ताह तक ये निम्फ Nimf या होपेर्स Hoppers कहलाते हैं। ये होपेर्स अंडे देने में सक्षम नहीं होते हैं।
क्या टिड्डी त्वचा बदलती है
Does Tiddi Molt
होपेर्स ( Tiddi ke bachche ) 5 बार अपनी त्वचा बदलते ( Molting ) हुए बड़े होते रहते हैं। पांचवीं बार त्वचा बदलने के बाद इनके पंख पूरी तरह विकसित हो जाते हैं। लेकिन ये तुरंत उड़ने में सक्षम नहीं हो पाते। टिड्डी की यह अवस्था फ्लेजलिंग Fledgling कहलाती है
इस अवस्था में ये ढ़ेर सारा हरा भरा नर्म पत्तीदार भोजन खाते हैं। इससे इनमें उड़ने की ताकत और अंडे देने की क्षमता विकसित होती है।
लगभग सात से दस दिन में इनके पंख कड़क हो जाते हैं और यह वयस्क टिड्डी बन जाते हैं जो उड़ भी सकती है और अंडे भी दे सकती है। ये वयस्क टिड्डियाँ उड़कर झुण्ड बना लेती हैं। वयस्क टिड्डी लगभग 6 से 8 सप्ताह तक जीवित रहती है।
इस दौरान इनका खाना और अंडे देना चलता रहता है। एक जगह खाना समाप्त होने पर इनका झुण्ड खाने की तलाश में दूसरी जगह के लिए उड़ जाता है।
टिड्डी से होने वाले नुकसान से बचाव
tiddy se bachav ke upay
फसलों को टिड्डियों से बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है । कीटनाशक के छिड़काव से ये मर जाती हैं। लेकिन इन पर कीटनाशक तभी छिड़का जा सकता है जब इनका झुण्ड जमीन पर उतरा हुआ हो। उड़ते समय कीट नाशक छिड़कना संभव नहीं होता है।
किसान इन्हें भगाने के लिए अपने तरीके भी काम में लेते हैं। कई जगहों पर किसान टिड्डियों को भगाने के लिए थालियां पीटते हैं। तेज आवाज में गाने बजाते हैं। आग जलाते हैं। खेतों में बीच-बीच में ट्रेक्टर भी चलाते हैं। ताकि आवाज सुनकर झुण्ड आगे चला जाये। इससे टिड्डी मरती नहीं हैं लेकिन फसल नष्ट होने से बच जाती है।
Ref :
https://www.hindustantimes.com/india-news/
https://www.bhaskar.com/
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